यूपी के विश्वविद्यालयों में Back Exam का सिस्टम हो जाएगा खत्म? राज्यपाल ने समीक्षा बैठक में कही ये बात
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने विश्वविद्यालयों में बैक पेपर प्रणाली खत्म करने और शिक्षण गुणवत्ता सुधारने पर जोर दिया। उन्होंने समर्थ पोर्टल के माध्यम से सभी शैक्षणिक कार्य संचालित करने, विशेषज्ञ टीम गठित करने और सीबीसीएस व एनईपी को प्रभावी ढंग से लागू करने के निर्देश दिए। विद्यार्थियों को आत्मनिर्भर बनाने, छात्रावासों का संचालन स्वयं करने और बालिकाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने पर भी बल दिया गया।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। राज्यपाल और कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने राज्य विश्वविद्यालयों को बैक पेपर प्रणाली को खत्म करने पर जोर देते हुए कहा है विद्यार्थियों को इस तरह तैयार किया जाए कि उन्हें बैक पेपर देने की जरूरत ही न पड़े। साथ ही, विश्वविद्यालयों को शिक्षण की गुणवत्ता और परीक्षा प्रणाली को और बेहतर बनाने के निर्देश दिए।
वह बुधवार को राजभवन में समर्थ पोर्टल के कामकाज की आनलाइन समीक्षा बैठक कर रही थीं। उन्होंने कहा कि अब नामांकन, परीक्षा, परिणाम, फीस भुगतान, काउंसलिंग, प्रैक्टिकल परीक्षा और डिजिलाकर इंटीग्रेशन जैसे सभी शैक्षणिक कार्य समर्थ पोर्टल के माध्यम से ही संचालित किए जाएं। विश्वविद्यालय समर्थ पोर्टल के सभी 39 माड्यूल पर पूर्ण दक्षता हासिल करें।
राज्यपाल ने राजभवन स्तर पर एक विशेषज्ञ टीम गठित करने के निर्देश दिए, जिसे समर्थ पोर्टल के अधिकारी प्रशिक्षित करेंगे। यह टीम विश्वविद्यालयों को पोर्टल आधारित कार्यप्रणाली में दक्ष बनाएगी। उन्होंने च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम ( सीबीसीएस) और राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के प्रभावी क्रियान्वयन पर भी जोर दिया।
निर्देश दिया कि जिन विद्यार्थियों ने फीस जमा करने के बाद प्रवेश नहीं लिया है, उनकी फीस वापसी की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। राज्यपाल ने प्रत्येक विश्वविद्यालय में आइटी विशेषज्ञों की टीम बनाने, सत्रों की समयबद्ध शुरुआत करने और विद्यार्थियों को समर्थ पोर्टल के उपयोग की जानकारी देने के निर्देश दिए।
सुझाव दिया कि विश्वविद्यालय अपने शैक्षणिक और प्रशासनिक कार्यों के छोटे-छोटे वीडियो बनाकर यूट्यूब पर साझा करें, ताकि पारदर्शिता और जागरूकता बढ़े। कहा कि विश्वविद्यालय एक-दूसरे के अनुभवों से सीखें और यह भी अध्ययन करें कि अन्य राज्यों में समर्थ पोर्टल का उपयोग कैसे हो रहा है।
निर्माण कार्यों की गुणवत्ता पर निगरानी रखने, जर्जर भवनों की मरम्मत करने और केवल आवश्यकतानुसार नए निर्माण कराने पर भी जोर दिया। शिक्षकों को सामाजिक उत्तरदायित्व निभाने और विद्यार्थियों को आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित करने को कहा। उन्होंने कहा कि छात्र अपने छात्रावासों का संचालन स्वयं करना सीखें ताकि उनमें नेतृत्व और जिम्मेदारी की भावना विकसित हो।
बालिकाओं की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए उन्होंने कहा कि यदि कोई छात्रा बिना कारण छात्रावास से बाहर जाती है, तो अभिभावकों को तुरंत सूचना दी जाए। विश्वविद्यालयों को अपने परिसर और गोद लिए गए गांवों में स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के निर्देश दिए।
राज्यपाल ने यह भी कहा कि जिन विश्वविद्यालयों में स्विमिंग पूल हैं, वहां आसपास के गांवों के बच्चों को तैराकी प्रशिक्षण दिया जाए। बैठक में विशेष कार्याधिकारी राज्यपाल डा. सुधीर महादेव बोबडे, पंकज एल जानी, राजभवन के अधिकारी-कर्मचारी, समर्थ पोर्टल अधिकारी, विभिन्न राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपति और कुलसचिव मौजूद रहे।

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