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    नारकोटिक्स दवाओं की अवैध बिक्री पर नहीं लग पा रही रोक, एफएसडीए विभाग लगाम लगाने में नाकाम

    Updated: Tue, 14 Oct 2025 12:08 AM (IST)

    नारकोटिक्स दवाओं की अवैध बिक्री पर खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफएसडीए) विभाग लगाम लगाने में नाकाम रहा है। बिना डॉक्टर के पर्चे के इन दवाओं की बिक्री और तस्करी जारी है। हाल ही में नारकोटिक्स ब्यूरो ने भारी मात्रा में कोडीन सीरप और अन्य नशीली दवाएं बरामद कीं, जो बांग्लादेश भेजी जा रही थीं। एफएसडीए अब इन दवाओं के बिक्री रिकॉर्ड की जांच कर रहा है ताकि इस अवैध कारोबार पर रोक लगाई जा सके।

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    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। नारकोटिक्स और मानसिक रोगों के इलाज में काम आने वाली साइकोट्रोपिक दवाओं की अवैध बिक्री खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफएसडीए) विभाग नहीं रोक पा रहा है। कंपनी से निकल कर थोक व फुटकर दुकानों तक पहुंचते-पहुंचते इन दवाओं की बिक्री का गुम रिकार्ड तलाशना एफएसडीए के लिए चुनौती बन गया है।

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    शेड्यूल एक्स और एच-1 श्रेणी की इन दवाओं को बिना डाक्टर के पर्चे के नहीं बेचा जा सकता है। यदि कोई व्यक्ति इन दवाओं को खरीदने आता है तो उसके पर्चे की फोटो कापी को भी दुकानदार को दो साल तक सुरक्षित रखना होता है। इसके बावजूद इन दवाओं की तस्करी पर रोक नहीं लग पा रही है।

    15 और 16 जुलाई 2025 को नारकोटिक्स ब्यूरो ने लखनऊ से 5,700 बोतल कोडीन सीरप पकड़ा था। इसी के साथ 18.47 लाख से अधिक एल्प्राजोलाम, ट्रेमाडाल, क्लोनाजेपाम की गोलियां बरामद हुई थीं। इस खेप को बांग्लादेश ले जाने का जानकारी मिली थी।

    इसी तरह 12 अक्टूबर को लखनऊ में छापेमारी करके 2,600 बोतल कोडीन सीरप की खेप पकड़ी गई, लेकिन बिक्री का रिकार्ड मिला सिर्फ एक हजार बोतल का। अब एफएसडीए बिना रिकार्ड के बिक रही इन दवाओं की टूटी कड़ी को तलाशने में जुट गया है। कंपनी से कितनी बोतल कफ सीरप थोक व्यापारियों तक पहुंची और उन्होंने आगे इसे किन दुकानदारों को बेचा, इसके रिकार्ड की जांच शुरू की गई है।

    एक औषधि निरीक्षक बताते हैं कि कोडीन सीरप को बेचने पर प्रतिबंध नहीं है, लेकिन इसका इस्तेमाल नशे के लिए भी किया जाता है। शेड्यूल एच-1 में मानसिक रोगों के इलाज में दी जाने वाली 46 साइकोट्रोपिक दवाएं शामिल की गई हैं। अत्यंत नशीली दवाएं शेड्यूल एक्स में रखी गई हैं।

    इनकी बिक्री बिना डाक्टर के पर्चे के नहीं की जाती है। इसके बावजूद कोडीन सीरप सहित अन्य नारकोटिक्स दवाएं तस्करी करके पश्चिम बंगाल के रास्ते बांग्लादेश भेजी जा रही हैं। यह दवाएं वहां नशा करने वालों को कई गुणा अधिक दामों में बेची जाती हैं।

    औषधि नियंत्रक शशि मोहन के अनुसार नारकोटिक्स दवाओं की अवैध बिक्री को रोकने के लिए कंपनी से आपूर्ति के बाद थोक और फुटकर बिक्री के रिकार्ड की जांच ही एकमात्र तरीका है। बड़ी बरामदगी होने पर जांच में गड़बड़ करने वाली फर्म का पता चल जाता है। जो भी बरामदगी हुई है, उसके रिकार्ड की जांच शुरू कर दी गई है।