'2040 तक अंतरिक्ष में जाएगा स्वदेशी यान', राज्य मंत्री बोले- तैयार हो रहीं भविष्य की योजनाएं
अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला के बाद भारत अंतरिक्ष में अपनी मौजूदगी और बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। भारत का लक्ष्य वर्ष 2035 तक अपना स्वयं का अंतरिक्ष स्टेशन बनाना है, और यदि सब कुछ योजना के अनुसार रहा तो 2040 तक देश अपना स्वदेशी अंतरिक्ष यान भी भेज देगा।

जागरण संवाददाता, लखनऊ। अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला के बाद भारत अंतरिक्ष में अब और दखल बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। भारत का लक्ष्य वर्ष 2035 तक अंतरिक्ष में अपने स्टेशन का निर्माण करना है। सब कुछ ठीक रहा तो 2040 तक भारत अपना स्वदेशी अंतरिक्ष यान भेजेगा।
सिटी मांटेसरी स्कूल में चल रहे मुख्य न्यायाधीशों के सम्मेलन में शनिवार को मुख्य अतिथि केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डा. जितेंद्र सिंह ने शुभांशु पर चर्चा करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा, इस योजना पर तेजी से काम हो रहा है और विज्ञानियों की क्षमता पर किसी तरह का शक नहीं होना चाहिए। हम यह मिशन पूरा करके रहेंगे।
सरकार भविष्य के लिए बना रही योजना
राज्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में हमारी सरकार भविष्य में ऐसी योजनाएं बना रही है जो भविष्य की चुनौतियों से निपटने में सक्षम हैं। हाल ही में छह हजार मीटर की समुद्र की गहराई तक जाकर हमने पनडुब्बी के निर्माण के क्षेत्र में अपना परचम लहराया है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हम आगे बढ़ रहे हैं। सौर ऊर्जा के साथ ही इलेक्ट्रिक वाहनों के माध्यम से जलवायु परिवर्तन को रोकने के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं।
समय की मांग है कि हम पर्यावरण को लेकर छोटे-छोटे कार्य करें। उन्होंने प्लास्टिक की उपयोगिता को लेकर कहा कि हम यह ठान लें कि हम प्लास्टिक की पन्नी का प्रयोग नहीं करेंगे, कपड़े का बैग प्रयोग करेंगे। पहले खुद फिर मुहल्ला और शहर तक अभियान चलाएं, जिससे युवाओं को भी प्रेरणा मिले। वे आगे अभियान को बढ़ाने में सहयोग करें।
दूरदर्शन पर प्रसारित चित्रहार का किया जिक्र
राज्यमंत्री ने तकनीक के विकास को लेकर 1980 में दूरदर्शन पर प्रसारित चित्रहार का जिक्र किया। कहा कि कभी यह दूरदर्शन पर आता था और अब यह तकनीक के विकास के साथ हर हाथ में मोबाइल फोन के साथ पहुंच गया है। विज्ञान और अनुसंधान के क्षेत्र में विकास की संभावनाएं हैं और एआइ जैसी तकनीक हमारे जीवन का हिस्सा बनेंगी तो इसके विपरीत प्रभाव भी होंगे।
इसके गलत इस्तेमाल से परेशानियां भी होंगी, जिससे रोकने के लिए प्रयास भी किए जा रहे हैं। उन्होंने सम्मेलन की संयोजिका और सीएमएस की प्रबंधक डा.गीता गांधी किंगडन के प्रयास की सराहना की।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।