NBRI Innovation : एनबीआरआई का नवाचार, प्रयागराज महाकुंभ के ‘जल मंथन’ से निकला सुगंध का अमृत
Innovation of NBRI Lucknow एनबीआरआइ का दावा है कि बाजार में उपलब्ध कुंभ जल जैसे उत्पादों की तुलना में फ्रोटस-कुंभ स्प्रे बिलकुल अलग है। हमारे उत्पाद में शुद्ध बेल पत्र तेल और महाकुंभ के पवित्र जल का संयोजन किया गया है जिससे इसे एक दिव्य सुगंध प्राप्त होती है। बेलपत्र के तेल में हल्की मगर विशिष्ट सुगंध होती है जो ताजगी भरी आयुर्वेदिक व थोड़ी तीक्ष्ण होती है।

पवन तिवारी, जागरण, लखनऊ : कबिरा संगत साधु की ज्यों गंधी की बास, जो कुछ गंधी दे नहीं, फिर भी बास सुबास। जैसे गंधी यानी इत्र बेचने वाले के पास से स्वत: सुगंध आती रहती है, वैसे ही साधु की संगति से ज्ञान, कल्याण की प्राप्ति स्वयमेव होती रहती है।
ऐसा ही एक इत्र भी तैयार किया गया है, जो तन-मन को सुगंधित कर सकारात्मक ऊर्जा के साथ ही हमें आत्मिक शुद्धि भी प्रदान करेगा। महाकुंभ के पावन पर्व पर अमृत योग में एकत्र किए गए संगम के पवित्र जल से इसे तैयार किया गया है।
राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (सीएसआइआर-एनबीआरआइ) ने यह इत्र तैयार किया है और इसका पेटेंट भी करा लिया गया है। कई कंपनियों ने टेक्नोलाजी हस्तांतरण में रुचि दिखाई है। संस्थान जल्द ही यह प्रक्रिया पूरी कर लेगा। इसे नाम दिया गया है फ्रोटस कुंभ। संस्थान के विज्ञानी इसे आस्था, विज्ञान और पवित्रता की त्रिवेणी मानते हैं। वे कहते हैं कि यह हमारी परंपरा, विज्ञान और पवित्रता का अनोखा मिश्रण है।
अब इत्र के रूप मे पूरी हो रही आस
प्रयागराज में संगम तट पर 13 जनवरी से 26 फरवरी के मध्य 45 दिनों तक चले महाकुंभ में आस्था का उफान था। मेले से लौटते में लोग इस दुर्लभ योग का पवित्र जल भी साथ ले गए। सबके मन में यही लालसा थी, ‘काश! हम अमृत घट की उन बूंदों को हमेशा के लिए सहेज लेते।’ यह आस अब इत्र के रूप मे पूरी हो रही। एनबीआरआइ के जनसंपर्क अधिकारी रजत रस्तोगी कहते हैं कि हमारे पास महाकुंभ के दौरान एकत्र किए गए संगम जल का 25 लीटर का भंडारण है। जिस भी कंपनी को टेक्नोलाजी हस्तांतरित की जाएगी, उसे यह जल भी दिया जाएगा।
क्या-क्या है इस इत्र में
- महाकुंभ का प्रसंस्कृत (प्रोसेस्ड) जल
- बेल पत्र का सुंगधित तेल
- तुलसी और अन्य औषधीय तत्व
फ्रोटस-कुंभ स्प्रे बिल्कुल अलग
एनबीआरआइ का दावा है कि बाजार में उपलब्ध कुंभ जल जैसे उत्पादों की तुलना में फ्रोटस-कुंभ स्प्रे बिलकुल अलग है। हमारे उत्पाद में शुद्ध बेल पत्र तेल और महाकुंभ के पवित्र जल का संयोजन किया गया है, जिससे इसे एक दिव्य सुगंध प्राप्त होती है। बेलपत्र के तेल में हल्की मगर विशिष्ट सुगंध होती है, जो ताजगी भरी, आयुर्वेदिक व थोड़ी तीक्ष्ण होती है। यह सुगंध अन्य फ्लोरल या फ्रूटी (फूलों-फलों) की सुगंध की तरह भले ही तेज न हो, लेकिन आयुर्वेदिक सुगंध चिकित्सा (अरोमा थेरेपी) में इसका विशेष स्थान है।
समुदायों को एकसूत्र में पिरोएगा
एनबीआरआइ के निदेशक, डॉ. एके शासनी ने बताया कि यह इत्र जन-जन की आस्था से जुड़ा है। वनस्पतियों की प्राकृतिक सुगंध और महाकुंभ के पावन जल से तैयार यह इत्र विशाल भारतवर्ष के सभी वर्गों, समुदायों के लोगों को एकसूत्र में पिरोएगा।
बेलपत्र तेल का अन्य सुगंधित तेलों से मिश्रण
इत्र का संयोजन करने वाली टीम के विज्ञानी बताते हैं कि हमने बेलपत्र तेल को अन्य सुगंधित तेलों (हल्के फ्लोरल नोट्स) के साथ मिलाया है, जिससे इसकी मूल हर्बल सुगंध संतुलित, गहन और आकर्षक रूप लेती है। शोध टीम के विज्ञानी स्पष्ट करते हैं कि वैसे तो जल-तेल का मिश्रण नहीं बन सकता, लेकन आधुनिक परफ्यूमरी तकनीक से ऐसा संभव हो सका है।
बेलपत्र भगवान शिव को तो अति प्रिय है ही, इसकी पत्तियां हमारे अंतस को संतुलित करती हैं। तीसरा तत्व तुलसी है इस इत्र का। वातावरण शुद्ध करने से लेकर पुरानी व्याधियां मिटाने की शक्ति है तुलसी दल में। एनबीआरआइ निदेशक डॉ. एके शासनी के अलावा इस शोध टीम में कंसल्टेंट डॉ.आलोक लेहरी, सीनियर टेक्निकल आफिसर डॉ. एमएम पांडेय भी शामिल हैं।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।