ग्रीन गैस उत्पादन मामले में लखनऊ को बड़ी सफलता, बख्शी तालाब में CBG प्लांट बनकर तैयार; कब से शुरू होगी सप्लाई?
लखनऊ में बख्शी का तालाब स्थित कंप्रेस्ड बायोगैस (सीबीजी) प्लांट से प्रतिदिन 24 टन सीबीजी का उत्पादन होगा। नैपियर घास और बायोवेस्ट से गैस बनेगी। विवान बायोमास एनर्जिया ने ग्रीन गैस लिमिटेड के साथ अनुबंध किया है। प्लांट में पानी की खपत नहीं होती और यह स्वचालित है। यहाँ जैविक खाद भी तैयार हो रही है जिससे किसानों को आर्थिक मदद मिलेगी।

जासं, लखनऊ। पेट्रोल-डीजल के अलावा दूसरे वैकल्पिक ईंधन के उत्पादन की दिशा में लखनऊ ने भी बड़ी उपलब्धि हासिल की है। बख्शी का तालाब में कंप्रेस्ड बायोगैस (सीबीजी) प्लांट तैयार है। इस प्लांट से प्रतिदिन 24 टन सीबीजी का उत्पादन किया जाएगा।
इसका ट्रायल शुरू हो गया है और सितंबर से ही सप्लाई भी होने लगेगी। इस प्लांट में नैपियर घास और दूसरे बायोवेस्ट से गैस तैयार की जा रही है। प्लांट में कुछ तकनीक यूरोप की है, लेकिन अधिकांश इसे मेड इन इंडिया की तर्ज पर पर्यावरण के अनुकूल तैयार किया गया है।
ग्रीन गैस लिमिटेड से किया अनुबंध
हरित ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए विवान बायोमास एनर्जिया कंपनी ने बख्शी का तालाब क्षेत्र के बीबीपुर गांव में सीबीजी प्लांट लगाया है। कंपनी ने ग्रीन गैस लिमिटेड से अनुबंध किया है, जो गेल इंडिया और इंडियन आयल कॉरपोरेशन का ज्वाइंट वेंचर है, जिसे मात्र चालीस हजार वर्ग फीट क्षेत्र में डाइजेस्टर्स का निर्माण किया गया है।
कंपनी के निदेशक अमित गोयल ने बताया कि प्लांट से उत्पादित की जाने वाली गैस को ग्रीन गैस लिमिटेड खरीदेगी। इसके अलावा कंपनी के भी फिलिंग स्टेशन होंगे, जहां से आम ग्राहकों को आपूर्ति की जाएगी। प्लांट में प्रतिदिन 24 टन शुद्ध बायोगैस तैयार करने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया गया है। प्रथम चरण में छह टन गैस उत्पादन सफलतापूर्वक आरंभ हो चुका है।
किसानों के लिए तैयार होती है जैविक खाद
इस संयंत्र को पूरी तरह पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है। सबसे बड़ी विशेषता है कि इसमें पानी की कोई खपत नहीं होती है। यह प्लांट पूरी तरह से स्वचालित है, जिसका संचालन केवल एक कंप्यूटर के द्वारा किया जा सकता है। अमित गोयल का कहना है कि गैस के अलावा किसानों के लिए यहां पर जैविक खाद भी तैयार की जा रही है।
फिलहाल तीस हजार लीटर तरल और 70 हजार किलो ठोस खाद प्रतिदिन तैयार की जा रही। गैस तैयार करने के लिए नैपियर घास और बायो वेस्ट आसपास के किसानों से ही लिया जा रहा है, जिससे उनको आर्थिक रूप से भी काफी मजबूती मिल रही है। करीब एक वर्ष पूर्व अमित ने प्लांट पर कार्य शुरू किया था।
उनका कहना है कि वैसे तो सरकार की काफी योजनाएं हैं, लेकिन अनापत्तियों के लिए काफी चक्कर लगाने पड़ते हैं। इस दिशा में प्रशासन को ध्यान देना चाहिए ताकि भविष्य में ईंधन और ऊर्जा की परियोजनाओं को जल्द पूरा किया जा सके। लखनऊ का यह पहला प्लांट है, जहां पर इतने बड़े पैमाने पर सीबीजी का व्यावसायिक उत्पादन किया जा रहा है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।