Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    सेवानिवृत्त अफसर क्यों हो जाते हैं डिजिटल अरेस्ट का शिकार? ठगी का एहसास होने पर यहां करें शिकायत

    Updated: Tue, 28 Oct 2025 06:07 PM (IST)

    लखनऊ में साइबर जालसाजों ने बुजुर्गों को डिजिटल अरेस्ट कर करोड़ों ठगे। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जांच की इच्छा जताई है, जिससे पीड़ितों को न्याय की उम्मीद है। कई मामलों में लोगों से लाखों-करोड़ों रुपये ठगे गए। पुलिस के अनुसार, सरगना दूसरे राज्यों में बैठे हैं। ठगी होने पर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर शिकायत करें और अनजान लिंक से बचें।

    Hero Image

    जागरण संवाददाता, लखनऊ। साइबर जालसाजों ने लखनऊ में रहने वाले बुजुर्गों और सेवानिवृत्त अफसरों को कभी बदनामी तो कभी गिरफ्तारी का डर दिखाकर सबसे ज्यादा ठगा है। झांसे में लेकर कई दिनों तक डिजिटल अरेस्ट रखा इस बीच लगातार करोड़ों रुपये उनसे अलग-अलग खातों में ट्रांसफर कराए।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    कुछ मामलों में पुलिस ने गिरफ्तारियां कर कुछ रकम भी वापस कराई लेकिन अधिकांश रकम वापस नहीं मिली। जालसाजी के मास्टरमाइंड भी पकड़ से दूर हैं। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने डिजिटल अरेस्ट से जुड़े मामलों की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) को सौंपने की इच्छा जताई तो पीड़ितों में भी न्याय की आस जगी है।

    केस एक- ऐशबाग निवासी 73 वर्षीय रीता भसीन को जालसाजों ने 22 दिनों तक मनी लांड्रिंग के डर में डिजिटल अरेस्ट रखा। इस दौरान जालसाजों ने कई बार बैंक भेजकर रुपये ट्रांसफर कराये। किसी से बात करने से भी मना किया और लगभग 70 लाख रुपये ठग लिए। साइबर क्राइम थाने में मुकदमा दर्ज हुआ तो पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा और 12 लाख रुपये वापस कराए। हालांकि, अन्य रकम नहीं बरामद हो सकी।

    केस दो- 20 से 27 अगस्त के बीच जालसाजों ने खुद को सीबीआइ अफसर बताकर मर्चेंट नेवी के सेवानिवृत्त अफसर सुरेंद्र पाल सिंह और उनके सौ वर्षीय पिता हरदेव सिंह को डिजिटल अरेस्ट कर लिया। जालसाजों ने अलग-अलग आरोपों में फंसाने का डर दिखाया फिर गिरफ्तारी और बदनामी से बचाने के नाम पर उनसे 1.29 करोड़ रुपये ठग लिए। इसके बावजूद उनकी मांग जारी रही। ठगी का एहसास होने पर पीड़ितों ने सरोजनी नगर थाने में मुकदमा दर्ज कराया। ठगी की रकम अब भी उन्हें नहीं मिल सकी है।

    केस तीन- इंदिरा नगर निवासी सेवानिवृत्त कृषि अधिकारी हीरक भट्टाचार्य को जालसाजों ने तीन सितंबर 2025 को फोन किया। आरोप लगाए कि दिल्ली में खुले उनके एक बैंक खाते से मनी लांड्रिंग की जा रही है। गिरफ्तारी का डर दिखाया और जांच के नाम पर उनसे कई बार में 1. 18 करोड़ रुपये ठग लिए। उन्होंने कई दिन बाद साइबर क्राइम थाने में मुकदमा दर्ज कराया। छानबीन कर पुलिस ने माल निवासी कमलेश को गिरफ्तार कर लिया। कुछ रकम कमलेश के खाते में भी भेजी गई थी। पुलिस अन्य जालसाजों की तलाश कर रही है। हीरक से ठगी गई रकम अब तक उन्हें नहीं मिली।

    दूसरे प्रदेशों से संचालित होता है नेटवर्क

    शहर के पुलिस उपायुक्त साइबर अपराध कमलेश दीक्षित बताते हैं कि अधिकांश मामलों में सरगना अन्य प्रदेशों में बैठकर लोगों को ठगी का शिकार बनाते हैं। ऐसे में संबंधित राज्यों की पुलिस और एजेंसियों से संपर्क कर कार्रवाई करनी होती है। कई बार इस पूरी प्रक्रिया में समय भी लगता है। कई मामलों में अन्य राज्यों से भी गिरफ्तारियां की गई हैं। अब अगर मामले सीबीआइ के पास जाते हैं तो निःसंदेह पीड़ितों को इसका लाभ मिलेगा।

    यहां करें शिकायत

    ठगी का एहसास होने पर यहां करें शिकायत

    - 1930 हेल्पलाइन नंबर पर शिकायत दर्ज कराएं।
    - संबंधित थाने में संपर्क करें।
    - 112 पर भी शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
    - नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल पर आनलाइन शिकायत करें।
    - जनपद के साइबर क्राइम थाने में भी शिकायत कर सकते हैं।

    यह बरतें सावधानियां

    - अनजान और अविश्वसनीय लिंक/एप/वेबसाइट पर आर्थिक लेनदेन न करें।
    - किसी को अपने बैंक खाते या मोबाइल से जुड़े ओटीपी न बताएं।
    - शेयर मार्केट में निवेश और मुनाफे के झांसे में न आएं।
    - यदि कोई व्यक्ति सीबीआइ, ईडी या अन्य एजेंसी का अफसर बन गिरफ्तारी का झांसा दें तो बातों में न आएं।
    - सरकारी योजना का लाभ दिलाने के नाम पर किसी को बैंक खातों की जानकारी न दें।