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    Lucknow News: भाजपा सांसद का आरोप, बांग्लादेशियों को लखनऊ नगर निगम ने दी मान्यता, पुलिस भी शांत

    By Ajay Srivastava Edited By: Dharmendra Pandey
    Updated: Fri, 24 Oct 2025 03:39 PM (IST)

    Lucknow News: बृजलाल ने इंटरनेट मीडिया पर पोस्ट कर कहा था कि वह गोमतीनगर विस्तार में जब सुबह सैर करने निकलते हैं तो उन्हें बांग्लादेशी सफाई करते मिलते है। ये अपने को असाेम का निवासी बताते हैं, लेकिन सब हैं बांग्लादेशी।

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    भारतीय जनता पार्टी से राज्यसभा सदस्य और पूर्व डीजीपी बृजलाल 

    जागरण संवाददाता, लखनऊ : भारतीय जनता पार्टी से राज्यसभा सदस्य और पूर्व डीजीपी बृजलाल ने राजधानी में कथित बांग्लादेशियों की बढ़ती संख्या पर चिंता जताते हुए पुलिस के साथ ही नगर निगम को भी घेरा है। उन्हाेंने आरोप लगाया कि नगर निगम ने इन कथित बांंग्लादेशियों को रोजगार देकर संरक्षण दे रखा है तो लखनऊ पुलिस को भी कोई चिंता नहीं है।

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    दरअसल नगर निगम में भाजपा की महापौर और अधिकांश पार्षद भी भाजपा के हैं तो महापौर सुषमा खर्कवाल ने इसका जवाब देते हुए कहा कि नगर निगम सीधे तौर पर नहीं, बल्कि सफाई कार्य देख रही एजेंसियां ही आधार कार्ड व अन्य साक्ष्य का परीक्षण कर उनसे काम लेती हैं। उन्होंने असाेम का बता कर रह रहे लोगों की जांच कराकर वापस भेजने की मांग करते हुए पुलिस आयुक्त को पत्र लिखा था।

    बृजलाल ने इंटरनेट मीडिया पर पोस्ट कर कहा था कि वह गोमतीनगर विस्तार में जब सुबह सैर करने निकलते हैं तो उन्हें बांग्लादेशी सफाई करते मिलते है। ये अपने को असाेम का निवासी बताते हैं, लेकिन सब हैं बांग्लादेशी। दुखद यह है कि नगर निगम ने इन्हें सफाई कर्मी के रूप मान्यता दे रखी है।

    गोमतीनगर विस्तार में खाली जमीनों और गोमती नदी की तलहटी, नालों के किनारे इनकी बहुत सी झोपड़ियां मिल जाएंगी। ये अपने को असाेम के बोंगाई गांव का निवासी बताते है और कुछ नलबाड़ी, बरपेटा और नौगांव का। यह वही स्थान है जहां कांग्रेसी सरकारों में इन्हें वोट-बैंक के तौर पर योजनाबद्ध तरीके से बसाया गया था। इंदिरा गांधी इन्ही बांग्लादेशियों के सहारे 1983 का असम चुनाव जीतना चाहती थीं जिनकी संख्या उस समय लगभग 40 लाख थी।

    बृजलाल ने कहा कि आल असम स्टूडेंट यूनियन, आल असम गणसंग्राम की मांग थी कि पहले इन विदेशियों को बाहर करो, तब विधान सभा का चुनाव कराओ। इंदिरा गांधी अपनी जिद् पर अड़ी रहीं जिसका परिणाम 12 फरवरी 1983 को नेल्ली दंगा हुआ जिसने तीन हजार से चार हजार लोग मारे गए थे। जब से बांग्लादेश में कट्टरपंथियों और पाकिस्तान समर्थक सरकार बनी है, तब से बांग्लादेशी देश की सुरक्षा में खतरा बन गए। ये उत्तर प्रदेश की आतंकी घटनाओं में भी शामिल रह चुके हैं।