सिद्धि विनायक मंदिर ने मरीजों के उपचार में खर्च किए 30 करोड़, रोज 200 मरीजों का मुफ्त डायलिसिस हो रहा
मुंबई का सिद्धि विनायक मंदिर मानव सेवा का एक बड़ा केंद्र है। यह जरूरतमंदों को भोजन शिक्षा और चिकित्सा सहायता प्रदान करता है। इस वर्ष मंदिर का टर्नओवर 130 करोड़ रुपये रहा जिसमें से 30 करोड़ रुपये रोगियों के इलाज में खर्च किए गए हैं। मंदिर एक डायलिसिस सेंटर भी चलाता है और किसानों के बच्चों की शिक्षा का खर्च भी उठाता है।

जागरण संवाददाता, लखनऊ। देवालय आदिकाल से आस्था ही नहीं मानव सेवा के बड़े केंद्र रहे हैं। मुंबई का सिद्धि विनायक मंदिर इस परंपरा का निर्वहन कर रहा है। मंदिर प्रबंधन जरूरतमंदों के भोजन, शिक्षा और चिकित्सा में मदद के साथ ही प्राकृतिक आपदा में भी सहायता प्रदान कर रहा है।
मंदिर के कोषाध्यक्ष आचार्य पवन त्रिपाठी ने बताया कि इस वर्ष मंदिर का टर्न-ओवर 130 करोड़ रुपये रहा है। इनमें से 30 करोड़ रुपये रोगियों की चिकित्सा में खर्च किए गए हैं।
आचार्य त्रिपाठी ने दैनिक जागरण को बताया कि मुंबई के रोगी आर्थिक सहायता के लिए सिद्धि विनायक मंदिर में आवेदन करते हैं। मंदिर समिति आवेदक के आधार कार्ड, राशन कार्ड आदि की जांच के बाद अस्पताल के एस्टीमेट के आधार पर सहायता राशि देती है। मंदिर एक डायलिसिस सेंटर भी चलाता है, जिसमें लगभग 200 मरीज प्रतिदिन डायलिसिस कराते हैं। प्रति मरीज डायलिसिस का खर्च 950 रुपये आता है।
इसमें से 750 रुपये मंदिर की ओर से दिया जाता है, जबकि 200 रुपये मरीज देता है। उन्होंने बताया कि मंदिर का एक पुस्तकालय भी है, जिसमें विद्यार्थियों को पढ़ने की सुविधा के साथ भोजन भी दिया जाता है। मंदिर के बुक बैंक से जरूरतमंद बच्चों को निश्शुल्क पुस्तकें भी दी जाती हैं।
मंदिर बलिदानी और कर्ज आदि के कारण आत्महत्या करने वाले किसानों के बच्चों की शिक्षा का खर्च भी उठाता है। मंदिर ने ''प्लास्टिक मुक्त देवस्थान'' पहल भी की है। इसके तहत प्रसाद के लिए पालीथिन की जगह कागज के थैले के उपयोग काे बढ़ावा देकर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया जा रहा है।
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