2029 तक उत्पादन क्षमता 61,000 मेगावाट पार... योगी सरकार में बिजली सेक्टर ने तोड़े सारे रिकॉर्ड
UP News | UPPCL | उत्तर प्रदेश सरकार राज्य में बिजली उत्पादन क्षमता को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। 2029-30 तक 60985 मेगावाट उत्पादन क्षमता का लक्ष्य रखा गया है। पिछले कुछ वर्षों में राज्य ने विद्युत आपूर्ति में कई रिकॉर्ड बनाए हैं और ट्रांसमिशन क्षमता में भी वृद्धि हुई है। सरकार ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर परियोजनाओं पर भी काम कर रही है।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। प्रदेश के ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने कहा है कि भविष्य में यूपी की बिजली की मांग को पूरा करने के लिए उत्पादन क्षमता बढ़ाई जा रही है। राज्य की कुल अनुबंधित बिजली उत्पादन क्षमता 36,191 मेगावाट है, जिसे वर्ष 2029-30 तक बढ़ाकर 60,985 मेगावाट कर दिया जाएगा। इस प्रकार 2029-30 तक राज्य में बिजली की कुल अनुबंधित उत्पादन क्षमता में 24,794 मेगावाट की वृद्धि हो जाएगी।
शुक्रवार को चंडीगढ़ में केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर की अध्यक्षता में आयोजित उत्तरी क्षेत्र के ऊर्जा मंत्रियों के सम्मेलन में एके शर्मा ने कहा कि यूपी में योगी आदित्यनाथ सरकार के कार्यकाल में राज्य की ऊर्जा क्षेत्र में कई बड़े काम हुए हैं।
पिछले आठ सालों में सभी स्रोतों से यूपी में बिजली की उत्पादन क्षमता 15 हजार मेगावाट से बढ़कर 25 हजार मेगावाट हो गई है। विद्युत उपकेंद्रों की क्षमता जो मार्च 2017 में 39,159 मेगावाट थी वह अब बढ़कर 1,99,500 मेगावाट हो गई है। ट्रांसमिशन लाइनें मार्च 2017 तक 7,502 सर्किट किलोमीटर मात्र थी इसे बढ़ाकर 62,483 सर्किट किलोमीटर किया गया है। यह विद्युत लाइनों के निर्माण में नया कीर्तिमान है।
पिछले चार वर्षों से यूपी ने अन्य राज्यों की अपेक्षा ज्यादा विद्युत आपूर्ति करने का रिकार्ड स्थापित किया है। वर्ष 2024 में प्रदेश की सर्वाधिक विद्युत आपूर्ति 30,618 मेगावाट थी, जबकि महाराष्ट्र में 28,924 मेगावाट और गुजरात में 25,588 मेगावाट रही थी। अभी भी उत्तर प्रदेश महाराष्ट्र और गुजरात से पांच हज़ार मेगावाट से अधिक बिजली की आपूर्ति कर देश में सर्वाधिक बिजली आपूर्ति करने वाला राज्य बना हुआ है।
उन्होंने कहा कि हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा राष्ट्र को 3960 मेगावाट की नई थर्मल विद्युत उत्पादन क्षमता की इकाइयां समर्पित की गई हैं। इस नई क्षमता के साथ उत्तर प्रदेश की कुल उत्पादन क्षमता अब 8500 मेगावाट हो गई है, जो वर्ष 2017 में लगभग 5100 मेगावाट थी। वर्ष 2017 की तुलना में यह क्षमता लगभग दोगुणी हो गई है।
ट्रांसमिशन के क्षेत्र में भी उत्तर प्रदेश ने सभी रिकार्ड तोड़ दिए हैं। ट्रांसफार्मर स्टेशनों की क्षमता वर्ष 2017 की तुलना में पांच गुणा और 2022 की तुलना में डेढ़ गुणी बढ़कर 2,00,000 एमवीए तक पहुंचा दी गई है। प्रदेश ने 62,483 सर्किट किलोमीटर ट्रांसमिशन लाइनों का निर्माण कर नया कीर्तिमान स्थापित किया है, जो वर्ष 2017 की तुलना में नौ गुणा और 2022 की तुलना में ढा़ई गुणा अधिक है।
यूपी आरडीएसएस योजना के क्रियान्वयन में यूपी देश का नंबर एक राज्य है। ग्रीन एनर्जी कारीडोर-दो परियोजना के कार्यान्वयन में भी उत्तर प्रदेश देश का शीर्ष राज्य है। इस परियोजना के तहत राज्य चार गीगावाट की हरित ट्रांसमिशन क्षमता स्थापित कर रहा है, जो 2,500 किमी. से भी अधिक लंबी ट्रांसमिशन लाइनों में फैली हुई है। प्रदेश ने ग्रीन एनर्जी कारीडोर-तीन परियोजना भी भारत सरकार के समक्ष प्रस्तुत किया है, जिसमें 17 गीगावाट क्षमता और 2,200 किमी. से अधिक हरित विद्युत ट्रांसमिशन लाइनों का प्रविधान है।
ऊर्जा मंत्री ने कहा कि ग्रीष्मकालीन बिजली मांग के प्रबंधन के लिए राज्य में तेजी से कार्य किए जा रहे हैं। राज्य ने 17,000 मेगावाट से अधिक की आंतरिक उत्पादन क्षमता प्राप्त कर ली है। इस वर्ष जुलाई से सितंबर के बीच बिजली की अनुमानित अधिकतम मांग 32,500 मेगावाट को पूरा करने के लिए 94 प्रतिशत बिजली की व्यवस्था कर ली गई है। शेष बिजली ऊर्जा एक्सचेंजों के माध्यम से ली जाएगी।
राज्य की पारेषण प्रणाली में वर्तमान में 698 उपकेंद्र, 1,99,347 एमवीए ट्रांसमिशन क्षमता और 58,672 सर्किट किलोमीटर पारेषण लाइनें शामिल है। इसमें 118 नए उपकेंद्र, 74,195 एमवीए पारेषण क्षमता और 13,228 सर्किट किलोमीटर नई पारेषण लाइनों का और निर्माण वर्ष 2029-30 तक किया जाना है। जिसके बाद पारेषण प्रणाली में कुल 816 उपकेंद्र, 2,73,542 एमवीए पारेषण क्षमता तथा 71,900 सर्किट किलोमीटर पारेषण लाइनें हो जाएंगी।
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