Diwali Crackers: पटाखे फोड़ने पर गंध नहीं सुगंध आएगी, यूपी में क्या खास होने वाला है?
लखनऊ में इस दिवाली पर विशेष सुगंधित पटाखे फोड़े जाएंगे। राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (एनबीआरआई) ने ग्रीन क्रैकर तकनीक विकसित की है। स्टार्टअप कॉन्क्लेव में उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कृषि और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने की बात कही। विज्ञान के नवाचारों को उद्यमशीलता में बदलने पर जोर दिया गया। इस दौरान कई स्टार्टअप्स को सम्मानित किया गया।

जागरण संवाददाता, लखनऊ। प्रकाश पर्व दीपावली पर फोड़े जाने वाले पटाखे अब प्रकाश के साथ सुगंध भी फैलाएंगे। पहले पटाखे सिर्फ गंध फैलाते थे, कुछ पटाखे खूब प्रकाश फैलाते, इस प्रकाश में विविध रंगों का उपयोग किया जाने लगा लेकिन, एनबीआरआइ ने अब ग्रीन क्रैकर टेक्नोलाजी तैयार किया है, जिसमें पटाखे फूटने पर आसपास सुगंध बिखरेगी।
यह दावा सीएसआइआर-एनबीआरआइ परिसर में सोमवार से शुरू हुए दो दिवसीय स्टार्टअप कान्क्लेव के शुभारंभ अवसर पर किया गया। मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व केंद्रीय विज्ञान व प्रौद्योगिकी मंत्री डा. जितेंद्र सिंह की उपस्थिति में उद्योग प्रतिनिधियों से समझौता होगा।
राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान एनबीआरआइ के केएन कौल ब्लाक में सोमवार को चौथे स्टार्टअप कान्क्लेव का शुभारंभ करते हुए उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा, देश को 2047 तक विकसित भारत बनाने के लिए एनबीआरआइ भी योगदान दे रहा है।
सीएसआइआर अब केवल प्रयोगशालाओं में नवाचार नहीं कर रहा बल्कि लोगों के जीवन में वास्तविक बदलाव ला रहा है। किसान राष्ट्र की प्रगति में प्रमुख भूमिका निभाते हैं और स्टार्टअप विकसित भारत के निर्माण में अनिवार्य हैं।
उन्होंने वोकल फार लोकल पर जोर देते हुए कृषि को विज्ञान और प्रौद्योगिकी से जोड़ने की आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि सरकार स्टार्टअप को प्रोत्साहित करने और एक जिला एक उत्पाद क्लस्टर को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है।
सीएसआइआर की महानिदेशक व डीएसआइआर सचिव डा. एन. कलैसेल्वी ने सीएसआइआर के विस्तृत पारिस्थितिकी तंत्र अकादमिक जगत, उद्योग और स्टार्टअप करते हुए कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी कृषि को पुनर्जीवित करने, नवाचार को बढ़ावा देने और समुदायों को सशक्त बनाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
उन्होंने एनबीआरआइ के जैव उर्वरक, सीमैप के अरोमा मिशन, आइआइटीआर के पर्यावरणीय डाटा समाधान और सीडीआरआइ की व्यक्तिगत औषधि में प्रगति का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि लखनऊ राष्ट्रीय नवाचार केंद्र के रूप में उभर रहा है। उन्होंने बताया, कैसे विज्ञान के नवाचारों को उद्यमशीलता में परिवर्तित किया जा रहा है।
इसके पहले उपमुख्यमंत्री सहित अन्य अतिथियों ने प्रदर्शनी का भ्रमण किया। सत्र का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। एनबीआरआइ के निदेशक डा. एके शासनी ने स्वागत करते हुए पौध विज्ञान, संरक्षण, अनुसंधान व किसान और उद्योग तक पहुंच में संस्थान के योगदान पर चर्चा किया।
सीमैप के निदेशक डा. पीके त्रिवेदी ने लखनऊ स्थित प्रयोगशालाओं के योगदान का उल्लेख किया। सीडीआरआइ की निदेशक डा. राधा रंगराजन ने कान्क्लेव का उद्देश्य बताया कि यह वैज्ञानिकों, स्टार्टअप्स, निवेशकों और नीति-निर्माताओं को लैब से मार्केट तक की यात्रा को गति देने के लिए जोड़ता है। आइआइटीआर लखनऊ के निदेशक डा. भास्कर नारायण ने आभार ज्ञापित किया।
चार महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर
-आइआइटीआर, लखनऊ और पंजाब बायोटेक्नोलाजी इनक्यूबेटर (पीबीटीआइ), मोहाली से पर्यावरण विज्ञान, विषविज्ञान और जैव प्रौद्योगिकी में संयुक्त अनुसंधान एवं कौशल विकास।
-सीडीआरआइ लखनऊ और केनिसएआइ टेक्नोलाजी प्राइवेट लिमिटेड, वाराणसी से एआई-आधारित औषधि खोज और विकास हेतु पांच वर्षीय साझेदारी।
-सीडीआरआइ लखनऊ और वीजन लैब्स एलएलपी, हैदराबाद से सटीक कैंसर अनुसंधान एवं किफ़ायती औषधि विकास के लिए तीन वर्षीय सहयोग।
-आइआइटीआर, लखनऊ और स्मार्टक्यूआर टेक्नोलाजीज प्राइवेट लिमिटेड, पुणे के साथ बौद्धिक संपदा और पेटेंट हस्तांतरण, जिससे सीएसआइआर तकनीकों का व्यावसायीकरण और सामाजिक उपयोग संभव होगा।
प्रभावी नवाचारों के लिए सम्मानित
उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने प्रभावी नवाचार करने वाले स्टार्टअप को सम्मानित किया। डा. देवेंद्र कुमार पटेल की प्रयोगशाला को पीएफएएस हटाने के लिए नैनोकंपोजिट-आधारित जल शोधक विकसित करने के लिए सराहा गया।
डा. प्रभांशु त्रिपाठी की प्रयोगशाला को कृत्रिम खाद्य रंगों से आंत माइक्रोबायोटा पर प्रभाव और आंत के बैक्टीरिया व मेटाबोलाइट्स की पहचान के लिए एप्टामर-आधारित बायोसेंसर विकसित करने के लिए सम्मानित किया गया।
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