Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    'बहुजन समाज को शासक वर्ग बनने से रोकने की कोशिश', मायावती ने किस पर साधा निशाना?

    Updated: Sat, 06 Dec 2025 04:11 PM (IST)

    बसपा अध्यक्ष मायावती ने आंबेडकर की पुण्यतिथि पर बहुजन समाज की स्थिति पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि जातिवादी सरकारों में बहुजन हित प्राथमिकता नहीं रहा। ...और पढ़ें

    Hero Image

    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। डा. भीमराव आंबेडकर की पुण्यतिथि पर बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने देश में बहुजन समाज की हालत को लेकर सवाल उठाया। सपा सुप्रीमो ने कहा कि बहुजन के आत्मसम्मान और स्वाभिमान वाले अच्छे दिन आखिर कब आएंगे? जातिवादी पार्टियों की सरकारों में बहुजन का हित कभी प्राथमिकता में नहीं रहा।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    विरोधी दलों द्वारा इस समाज को सत्ता में आने से रोकने की साजिश की जाती है। उन्होंने रुपये के अवमूल्यन को लेकर कहा कि यह आर्थिक से ज्यादा राजनीतिक महत्व का मुद्दा बन गया है। सरकार को इस पर गंभीर होकर ठोस कदम उठाने चाहिए।

    शनिवार को नई दिल्ली स्थित अपने आवास पर डा. आंबेडकर को श्रद्धांजलि देने के बाद मायावती ने कहा कि देश की एकमात्र आंबेडकरवादी पार्टी होने के नाते बसपा चिंतित है कि करोड़ों दलितों, आदिवासियों और पिछड़े वर्गों को आज भी वह बेहतर जीवन क्यों नहीं मिला, जिसके लिए बाबा साहेब ने पूरी जिंदगी संघर्ष किया और संविधान में अधिकार दिलाए।

    विरोधी दल साम, दाम, दंड, भेद का इस्तेमाल करके बहुजन समाज को शासक वर्ग बनने से रोकने की कोशिश कर रहे हैं। इससे निपटने के लिए बहुजन को अपनी वोट की ताकत को पहचानना होगा और चुनाव आयोग द्वारा कराए जा रहे मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) में पूरी भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी।

    उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सहित विभिन्न राज्यों में बसपा कार्यकर्ताओं ने बाबा साहेब को आंबेडकर को श्रद्धांजलि दी है। लखनऊ स्थित सामाजिक परिवर्तन स्थल और नोएडा के राष्ट्रीय दलित प्रेरणा स्थल पर बड़ी संख्या में अनुयायी एकत्र हुए।

    पिछले कार्यक्रमों में भारी भीड़ और सुरक्षा प्रबंध के कारण अनुयायियों को होने वाली असुविधा को देखते हुए वे अब जयंती और पुण्यतिथि के कार्यक्रम अपने आवास या पार्टी कार्यालय में ही करती हैं।

    बसपा सुप्रीमाे ने बाबा साहेब के विचारों, संवैधानिक मूल्यों और मानवतावादी दृष्टि को आज के दौर की सबसे बड़ी जरूरत बताते हुए कहा कि आज की विषम परिस्थिति में बहुजन समाज को सही से समझकर उनके बताए रास्तों पर चलने की जरूरत है।