अब केमिकल फ्री होंगे सिंदूर और रिफ्रेशिंग ड्रिंक, कमल की पंखुड़ियों से बनें इन प्रोडक्ट को सीएम करेंगे लांच
लखनऊ में एनबीआरआई ने मंदिरों से निकलने वाले फूलों से केमिकल-फ्री सिंदूर बनाया है। उन्होंने कमल की पंखुड़ियों और जड़ों से बने दो नए पेय पदार्थ भी विकसित किए हैं जिनमें एंटीऑक्सीडेंट गुण हैं। स्टार्टअप कॉन्क्लेव में किसानों की समस्याओं के समाधान और कृषि में नवाचार पर ध्यान केंद्रित किया गया जिसमें जड़ी-बूटी की खेती और काटन में पिंक बालवर्म की समस्या का समाधान शामिल था।

जागरण संवाददाता, लखनऊ। एनबीआरआई की बिजनेस डेवलपमेंट डिपार्टमेंट की सीनियर टेक्निकल ऑफिसर स्वाति शर्मा ने बताया, विभाग ने मंदिरों से निकलने वाले अपशिष्ट फूलों को रिसाइकिल करके केमिकल-फ्री सिंदूर तैयार किया है।
पारंपरिक सिंदूर में लेड व अन्य हानिकारक धातुओं की मात्रा पाई जाती है, जबकि इस तकनीक से तैयार सिंदूर में जीरो केमिकल, प्राकृतिक रंग और सुरक्षित बाइंडिंग एजेंट का प्रयोग किया गया है। यह शोध अपशिष्ट प्रबंधन और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
विभाग ने कमल आधारित पेय पदार्थ भी विकसित किया है। पहला उत्पाद कमल की पंखुड़ियों से तैयार लोटस ड्रिंक है, जो अत्यंत रिफ्रेशिंग है। इसमें प्राकृतिक फ्लेवर्स व उच्च एंटीआक्सीडेंट गुण मौजूद हैं। यह ड्रिंक शरीर से टाक्सिंस निकालने और हाइड्रेशन बढ़ाने में सहायक है। इसे जल्द ही राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में लांच किया जाएगा।
विज्ञानी स्वाति शर्मा ने बताया कि एक और अनोखा प्रोडक्ट कमल की राइजोम (जड़) और शहद से तैयार ड्रिंक है। विशेषता है कि इसमें चार प्रतिशत तक प्राकृतिक अल्कोहलिक कंटेंट है, जो किण्वन प्रक्रिया से उत्पन्न होता है।
इसमें पॉलिफेनाल और फ्लेवोनाइड्स जैसे एंटीऑक्सीडेंट कंपाउंड्स पाए जाते हैं, जो हृदय स्वास्थ्य और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहायक होते हैं।
स्टार्टअप कॉन्क्लेव में इनोवेशन की झलक
स्टार्टअप कॉन्क्लेव में किसानों की समस्याओं के समाधान और नवीन शोध कार्यों की झलक देखने को मिली। विश्वेषण हाउस एंड अरोमैटिक प्राइवेट लिमिटेड के कृष्ण गोपाल ने बताया कि उनकी कंपनी जड़ी-बूटी की खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों के साथ सस्टेनेबल एग्रीकल्चर मॉडल पर कार्य कर रही है। कंपनी हल्दी की खेती को प्रोत्साहित कर रही है।
इसकी पत्तियों से तेल निकालकर उससे विविध उत्पाद तैयार कर रही है। हाल ही में कंपनी ने एक ऐसा उत्पाद विकसित किया है जो फलों और सब्जियों की शेल्फ लाइफ बढ़ाने में सहायक है। इससे परिवहन और भंडारण में आसानी होगी और किसानों को बेहतर मूल्य मिल सकेगा।
चल रहा है ट्रायल
वहीं, मेरठ मूल निवासी विज्ञानी डॉ. अरविंद चौधरी ने काटन में पिंक बालवर्म की समस्या को लेकर नया शोध प्रस्तुत किया। बताया कि वर्ष 2013-14 से यह समस्या किसानों के लिए बड़ी चुनौती बन गई है, जिससे पैदावार घट रही है और ‘सफेद सोना’ कही जाने वाली काटन की गुणवत्ता पर असर पड़ रहा है।
इस दिशा में एनबीआरआइ के साथ एमओयू के तहत नया जीन विकसित किया गया है, जिसका ट्रायल चल रहा है। यह वैरायटी बीटी काटन में प्रतिरोध क्षमता प्रदान करेगी और आने वाले वर्षों में किसानों को उपलब्ध कराई जाएगी। उन्होंने कहा कि इस नवाचार से काटन की पैदावार बढ़ेगी, पिंक बालवर्म से निजात मिलेगी।
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