Nepal Crisis Impact: नेपाल हिंसा का यूपी पर कितना पड़ रहा असर? कारोबारियों ने बता दी अंदर की बात
नेपाल में हिंसा के कारण उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती जिलों में कारोबार पर बुरा असर पड़ा है जिससे व्यापारी चिंतित हैं। गोंडा जिले जहां पेट्रोलियम डिपो हैं से नेपाल को डीजल-पेट्रोल की आपूर्ति बाधित है। नेपाल से मसाला भी नहीं आ रहा है। बलरामपुर सीमा पर अलर्ट है और श्रावस्ती में सीमा पर पहरा है। हिंसा के चलते सिद्धार्थनगर के एक व्यापारी का शोरूम तोड़ दिया गया है।

जागरण टीम, लखनऊ। नेपाल में व्याप्त हिंसा का उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती जिलों के कारोबार पर प्रतिकूल असर पड़ा है, जिससे व्यापारी ¨चतित हैं। यदि जल्द ही स्थिति सामान्य नहीं हुई तो मुश्किलें बढ़ेंगी। गोंडा जिले में पेट्रोलियम कंपनी के डिपो हैं, जहां से नेपाल को डीजल-पेट्रोल और सीएनजी की आपूर्ति होती है। चार दिन से टैंकर खड़े हैं।
नेपाल से भी मसाला आदि यहां के बाजार में आता है। अनुमान है कि प्रतिदिन 40 करोड़ रुपये का कारोबार प्रभावित हुआ है। बलरामपुर सीमा से सटे नेपाल के बांके जिले में मंगलवार को आगजनी, तोड़फोड़ तथा लूटपाट का प्रयास करने के बाद अलर्ट जारी कर दिया गया है।
श्रावस्ती में सीमा से सटी पगडंडियों व जंगली रास्तों पर वन विभाग व एसएसबी का पहरा है। दोनों ओर से आवागमन प्रतिबंधित है। भारतीय पर्यटक, कारोबारियों के वाहन नेपाल में फंसे हैं। देवीपाटन मंडल के मुख्यालय गोंडा में पेट्रोलियम कंपनियों के डिपो से प्रतिदिन डीजल, पेट्रोल व सीएनजी के 15 से 20 टैंकर नेपालगंज जाते थे।
चार दिन से टैंकर खड़े हैं। वहीं, गल्ला व्यापारियों का रोजाना करोड़ों रुपये का नुकसान हो रहा है। सिविल लाइंस के व्यापारी प्रदीप गुप्ता का कहना है कि नेपाल से मसाला मंगवाते थे। वहां के मसालों की खुशबू व गुणवत्ता ठीक रहती है।
गल्ला व्यापारी संघ के सदस्य सचिन गर्ग ने बताया कि पहाड़ी धनिया, मेथी, हींग, मिर्ची व लौंग अधिक मात्रा में व्यापारी आपूर्ति करते थे, लेकिन चार दिनों से वहां के व्यापारियों ने सामान नहीं भेजा। इसके बदले वह लोग वहां के व्यापारियों को मटर व दाल की आपूर्ति करते थे।
हिंसा से काफी नुकसान हो रहा है। सिद्धार्थनगर बढ़नी के ज्ञान प्रकाश सिंह नेपाल के बुटवल में मूर्ति का कारोबार करते हैं। स्वजन ने बताया कि ¨हसा में शोरूम तोड़ दिया गया। काफी नुकसान हुआ है। बुधवार को पचपेड़वा के रामलीला मैदान में साप्ताहिक बाजार लगता है।
इसमें नेपाली भी खरीदारी करने आते हैं। बाजार संचालक बाबूलाल ने बताया कि सामान्य दिनों में करीब 200 लोग बाजार में आते थे। नेपाल के व्यापारी भी दुकान लगाते थे, लेकिन ¨हसा के कारण कोई नहीं आया।
श्रावस्ती की 62 किलोमीटर सीमा नेपाल से सटी है। यहां के पहाड़ों पर रह रहे नेपाली नागरिकों के घरेलू सामानों की जरूरत भारतीय क्षेत्र की सीमावर्ती सिरसिया, जमुनहा व कानीबोझी बाजार से पूरी होती है। आम दिनों की तरह बुधवार को भी इन बाजारों में नेपाली नागरिक नजर आए। हालांकि, इनकी संख्या अपेक्षाकृत कम थी।
सीमा पार दवा और खाद्यान्न की किल्लत
नेपाल में दवा की कमी ने लोगों की परेशानी बढ़ गई है। शुगर, ब्लडप्रेशर और दिल के रोग की दवाओं की किल्लत हुई है। नेपाली नागरिक नो-मेंस लैंड पर खड़े होकर भारत से दवा मंगा रहे हैं। किसी को भी सीमा पार करने की अनुमति नहीं है।
फल, सब्जी, राशन सहित अन्य जरूरी सामान की मांग के अनुरूप आपूर्ति कम होने से जरूरी सामान की कीमतों में उछाल आ गया है। नौतनवां, सोनौली, भगवानपुर, शिवतरी, बरगदवा, ठूठीबारी के दुकानों पर ग्राहक ही नहीं हैं।
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