आरटीई के तहत मुफ्त शिक्षा पाने वालों के लिए जरूरी खबर! सरकार ने लिया बड़ा फैसला
शिक्षा के अधिकार के तहत निजी स्कूलों को मिलने वाली फीस प्रतिपूर्ति की दर में कोई बदलाव नहीं होगा। सरकार प्रति बच्चा 450 रुपये प्रतिमाह की दर से भुगतान करेगी। निजी स्कूल एसोसिएशन ने इस राशि को कम बताया है। विभाग ने आगामी सत्र में आरटीई प्रवेश के लिए प्रचार-प्रसार करने का फैसला किया है ताकि अधिक से अधिक बच्चों को लाभ मिल सके।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। शिक्षा के अधिकार (आरटीई) के तहत निजी विद्यालयों को दी जाने वाली फीस प्रतिपूर्ति की दर अगले सत्र में भी नहीं बढ़ाई जाएगी। शासन ने स्पष्ट किया है कि पहले की तरह ही प्रति बच्चा अधिकतम 450 रुपये प्रतिमाह, यानी अधिकतम 5,400 रुपये वार्षिक प्रतिपूर्ति दी जाएगी।
विद्यालय की वास्तविक फीस या फिर यह निर्धारित अधिकतम दर जो भी कम होगी, वही देय होगी। यदि किसी विद्यालय ने अभिभावकों से अतिरिक्त शुल्क लिया तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।
आरटीई के तहत निजी गैर-सहायता प्राप्त मान्यता प्राप्त स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की फीस की प्रतिपूर्ति राज्य सरकार करती है। यह राशि आगे समग्र शिक्षा की वार्षिक कार्ययोजना के अंतर्गत भारत सरकार से स्वीकृत होकर राज्य सरकार को दी जाती है।
अनएडेड प्राइवेट स्कूल्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष अनिल अग्रवाल ने कहा कि मौजूदा प्रतिपूर्ति राशि बेहद कम है। स्कूलों का वास्तविक खर्च इससे कहीं ज्यादा है। वर्षों से इसे बढ़ाने की मांग की जा रही है, लेकिन इस बार भी दर में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है।
उनका कहना है कि इसी वजह से हर साल आरटीई के तहत प्रवेश को लेकर समस्या खड़ी होती है। वर्तमान शैक्षिक सत्र में प्रदेश में आरटीई के तहत 1,85,675 सीटें आवंटित की गई थीं, लेकिन केवल 1,40,063 बच्चों का ही नामांकन हुआ। यानी लगभग 76 प्रतिशत बच्चों को ही प्रवेश मिल सका।
शिक्षा विभाग ने तय किया है कि आगामी शैक्षिक सत्र में हर जिले के स्कूलों की प्री-प्राइमरी और पहली कक्षा की कुल सीटों में से 25 प्रतिशत सीटें आरटीई के तहत आरक्षित की जाएंगी। बीते सत्र में कई जिलों में निर्धारित लक्ष्य के अनुसार आवेदन ही नहीं आए, जिससे प्रवेश प्रभावित हुआ।
इस स्थिति को देखते हुए शिक्षा विभाग ने निर्णय लिया है कि आगामी सत्र से आरटीई प्रवेश के लिए बड़े पैमाने पर प्रचार-प्रसार अभियान चलाया जाएगा। इसका उद्देश्य अधिक से अधिक अभिभावकों को आवेदन के लिए प्रेरित करना और बच्चों को 25 प्रतिशत सीटों का पूरा लाभ दिलाना है।
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