यूपी में बिजली दरों में बढ़ोतरी की काेशिश, नियामक आयोग में याचिका दाखिल
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बिजली दरों में बढ़ोतरी और कंपनियों के निजीकरण के प्रयासों के खिलाफ नियामक आयोग में एक लोक महत्व याचिका दायर की है। उन्होंने आयोग से बिजली दरों में किसी भी वृद्धि को खारिज करने और कंपनियों के पास मौजूद सरप्लस धनराशि के आधार पर दरों को कम करने की मांग की है। वर्मा ने निजीकरण के प्रस्ताव को असंवैधानिक बताया और कहा कि छह साल से दरें न बढ़ने से जनता को राहत मिली है, और अब वृद्धि मुख्यमंत्री की उपभोक्ता हितैषी नीति के खिलाफ होगी।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बिजली दरों में बढ़ोत्तरी और बिजली कंपनियों के निजीकरण की कोशिशों के खिलाफ बुधवार को नियामक आयोग में लोक महत्व याचिका दायर की। आयोग से मांग की है कि बिजली दरों में किसी भी प्रकार की बढ़ोतरी को पूरी तरह खारिज किया जाए।
याचिका के माध्यम से आयोग से अपील की है कि राज्य के उपभोक्ताओं की बिजली कंपनियों पर निकल रही सरप्लस धनराशि के आधार पर बिजली दरें कम की जाएं।उपभोक्ताओं की सरप्लस धनराशि निकलने पर किसी भी कानून के हवाले से बिजली दरें नहीं बढ़ाई जा सकती हैं।
बिजली कंपनियों के निजीकरण का पूरा प्रस्ताव असंवैधानिक है, लिहाजा इस प्रस्ताव को आयोग हरी झंडी न दे। वर्मा ने कहा है कि प्रदेश में लगातार छह वर्षों से बिजली दरें नहीं बढ़ने से जनता को बड़ी राहत मिली है।
यह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उपभोक्ता हितैषी नीति का प्रमाण है।ऐसे में बिजली दरों में अब वृद्धि करना सीधे सीधे मुख्यमंत्री की नीति के खिलाफ मानी जाएगी। आयोग से मांग की है कि वह बिजली दरों की घोषणा तत्काल करे।
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