'अब दुनिया को नए संयुक्त राष्ट्र की जरूरत', राजनाथ सिंह बोले- दुनियाभर के संघर्षों में नहीं दिखी UN की सक्रिय भूमिका
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संयुक्त राष्ट्र की भूमिका और कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि इजरायल-हमास, यूक्रेन-रूस और अफ्रीका के कई हिस्सों में चल रहे संघर्षों के बावजूद यूएन की सक्रियता नहीं दिखी। उन्होंने कहा कि आज विश्व को एक नए संयुक्त राष्ट्र की जरूरत है, जिसमें नई संस्था नहीं, बल्कि नई ऊर्जा, कार्यशैली और दृष्टिकोण शामिल हों।

जागरण संवाददाता, लखनऊ। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के गठन, भूमिका और कार्यों पर खुलकर बात रखी। कहा, इजरायल-हमास संघर्ष, यूक्रेन-रूस युद्ध और सूडान-अफ्रीका के कई क्षेत्रों में संघर्ष जारी है। इन सबके बीच यूएन की भूमिका और सक्रिय रूप से देखने को मिल सकती थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। आज एक नए संयुक्त राष्ट्र की आवश्यकता है। नए यूएन में नई संस्था नहीं, बल्कि नई ऊर्जा, नई कार्यशैली और नया दृष्टिकोण का समावेश होना चाहिए।
शुक्रवार को सिटी मांटेसरी स्कूल कानपुर रोड परिसर में आयोजित विश्व के न्यायाधीशों के 26वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में मुख्य अतिथि रक्षा मंत्री ने कहा कि कई देश खुलेआम अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं, तो कई देश अपने कानून बनाकर दुनिया पर हावी होने का प्रयास कर रहे हैं। यह समय यूएन की बुराई का नहीं, बल्कि उसे सशक्त करने का है। यूएन में सुधार करके एक बेहतर संस्था बनाई जा सकती है।
बिना भेदभाव के होने चाहिए निर्णय
यूएन में बिना किसी भेदभाव के निर्णय होने चाहिए। तभी यह संस्था फिर अपना वास्तविक उद्देश्य पूरा कर सकती है। उन्होंने कहा कि कोई भी आइडिया एक समय की देन होती है। परिस्थितियां बदलने पर बदलाव आवश्यक होता है। आज विश्व में अप्रत्याशित परिवर्तन दिखाई दे रहे हैं। वैश्विक राजनीति की जटिलता बड़े देशों का प्रभाव और संस्थागत राजनीति की गतिशीलता के असर ने यूएन को प्रश्नों के कठघरे में खड़ा कर दिया है। ये स्थिति तभी बदल सकती है, जब यूएन शांति, न्याय और समान प्रतिनिधित्व के रूप में काम करेगा।
राजनाथ सिंह ने कहा कि यूएन को रीफार्म करने के साथ री-स्ट्रेंथ (फिर से मजबूत) करने और बदलती दुनिया के अनुरूप उसे तैयार करने की आवश्यकता है। यह सम्मेलन इस पर विचार करने का एक सशक्त फोरम है। आप सभी यहां इस पर अपना विचार व्यक्त करें। ये दुनिया को उनका संदेश होगा। यूएन को लेकर भारत का स्टैंड स्पष्ट है। भारत 75-80 साल पहले जैसा था, अब वैसा आज नहीं है। दुनिया को भारत के सिविलाइजेशनल नजरिए से बहुत कुछ सीखना है।

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