उत्तर प्रदेश में पराली जलने के मामलों में तेजी से इजाफा, शाहजहांपुर में तीन गुना बढ़ोतरी
मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी ने जिलाधिकारियों को इस पर अंकुश लगाने का निर्देश दिया है। उन्होंने लिखा है कि जिलों में फसल अवशेष जलाने की घटनाएं बढ़ीं हैं 12 नवंबर को सेटेलाइट इमेजरी से पता चला है कि अब तक 2237 घटनाएं हो चुकी हैं।

लखनऊ, राज्य ब्यूरो। प्रदेश में धान की कटाई के साथ ही पराली जलने की घटनाएं भी तेजी से बढ़ रही हैं। इसे रोकने के उपाय अब तक कारगर नहीं हो सके हैं। शाहजहांपुर जिले में पिछले वर्ष की अपेक्षा करीब तीन गुना घटनाएं बढ़ीं हैं। इसी तरह पीलीभीत, मथुरा, लखीमपुरखीरी व बाराबंकी सहित कुल 23 जिलों में किसान अवशेष का प्रबंधन करने की जगह उसे जला रहे हैं। इसीलिए 2237 घटनाएं हो चुकी हैं।
मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी ने जिलाधिकारियों को इस पर अंकुश लगाने का निर्देश दिया है। उन्होंने लिखा है कि जिलों में फसल अवशेष जलाने की घटनाएं बढ़ीं हैं, 12 नवंबर को सेटेलाइट इमेजरी से पता चला है कि अब तक 2237 घटनाएं हो चुकी हैं। शासन की प्राथमिकता है कि किसान अवशेष प्रबंधन करें, इसलिए इन घटनाओं को रोकना जरूरी है। इन दिनों जिलों में विशेष सतर्कता बरती जाए। मुख्य सचिव ने सुझाव दिया है कि धान की कटाई कंबाइन हार्वेस्टर से करके अवशेष प्रबंधन के यंत्र मल्चर, स्ट्रा चापर, श्रेडर, सुपर सीडर आदि का प्रयोग करके अवशेष प्रबंधन करें।
कृषि विभाग की ओर से किसानों को जागरूक करने के लिए व्यापक प्रचार-प्रसार का कार्यक्रम चलाया जा रहा है। किसानों व जनप्रतिनिधियों से संवाद करते हुए पराली जलाने से हो रहे पर्यावरण नुकसान से अवगत कराया जाए। इसके लिए ग्राम स्तरीय गोष्ठी, मुनादी, पोस्टर, वाल राइङ्क्षटग आदि कराया जाए। अपर मुख्य सचिव कृषि डा. देवेश चतुर्वेदी ने बताया कि विभाग किसानों को बायो डिकंपोजर वितरण निश्शुल्क करा रहा है। इससे फसल अवशेष को खेत में ही गलाकर प्रबंधन किया जा सकता है।
यह भी उपाय करें किसान
- निराश्रित गोआश्रय स्थलों पर पराली पहुंचाई जाए।
- मनरेगा के तहत सामूहिक कस्पोस्ट गड्ढे खोदवाकर पराली प्रबंधन हो।
- किसानों को अवशेष प्रबंधन योजना के तहत अनुदान पर कृषि यंत्र मुहैया कराए जा रहे हैं।
ये विभाग लगाएं अंकुश : जिले में कृषि विभाग, गन्ना, राजस्व, उद्यान, सहकारिता व अन्य विभागों के अधिकारी व कर्मचारियों को ग्राम पंचायत व विकासखंडवार दायित्व सौंपते हुए घटनाएं रोकी जाएं। हर दिन आइसीएआर रिपोर्ट आने के बाद 12 घंटे के अंदर स्थलीय निरीक्षण व 24 घंटे में कृषि निदेशालय को रिपोर्ट भेजी जाए। प्रवर्तन कार्रवाई के लिए जिम्मेदारी भी तय की जाए। एनसीआर के जिलों में इस बार घटनाएं नियंत्रित रही हैं। अब गन्ने की कटाई चल रही है इसलिए फिर सतर्कता बरतें।
इन जिलों में बढ़ी घटनाएं : शाहजहांपुर, मथुरा, पीलीभीत, रामपुर, लखीमपुरखीरी, बाराबंकी, गौतमबुद्धनगर, हरदोई, कौशांबी, लखनऊ, महराजगंज, बहराइच, बरेली, सिद्धार्थनगर, झांसी, अलीगढ़, औरैया, बस्ती, इटावा, फतेहपुर, मैनपुरी, सहारनपुर व सीतापुर।
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