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    उत्तर प्रदेश में सड़क हादसों में रोकथाम के लिए 20 जिलों में 233 संवेदनशील थाने चिन्हित, जल्द जारी होगी एसओपी

    Updated: Wed, 05 Nov 2025 12:04 AM (IST)

    उत्तर प्रदेश में सड़क हादसों को रोकने और यातायात सुधारने के लिए कार्ययोजना बनाई गई है। 20 जिलों में संवेदनशील थाने और दुर्घटना संभावित क्षेत्र चिन्हित किए गए हैं। डीजीपी ने अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की और एसओपी जारी करने के निर्देश दिए। शून्य मृत्यु जिला कार्यक्रम के तहत पुलिस को विशेष जिम्मेदारी सौंपी गई है और अतिरिक्त संसाधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं।

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    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। हाईवे से लेकर घनी आबादी के बीच हो रहे भीषण सड़क हादसों की रोकथाम व यातायात व्यवस्था में सुधार के लिए विस्तृत कार्ययोजना तैयार की गई है। सड़क हादसों के दृष्टिगत 20 जिलों में 233 संवेदनशील थाने, 89 क्रिटिकल कारीडोर व 3233 दुर्घटना बहुल क्षेत्र भी चिन्हित किए गए हैं।

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    डीजीपी राजीव कृष्ण ने सोमवार को वरिष्ठ अधिकारियों के साथ सड़क दुर्घटनाओं को कम करने व यातायात व्यवस्था को सुधारने के लिए वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से समीक्षा की। नवंबर माह को यातायात माह के रूप में मनाए जाने के दौरान विशेष कार्ययोजना के तहत कार्यवाही सुनिश्चित कराए जाने का निर्देश दिया।

    डीजीपी ने कहा कि योजना के तहत एसओपी (मानक संचालन प्रक्रिया) जारी की जा रही है, जिसमें सभी चरणों के स्पष्ट दिशा-निर्देश शामिल होंगे।

    यातायात निदेशालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने तीन सर्वाधिक सड़क दुर्घटना प्रभावित मार्गों के अलग-अलग हिस्सों का स्थलीय निरीक्षण किया था। रोड इंजीनियरिंग, संसाधनों व पुलिस बल की उपलब्धता, तकनीकी पहलुओं तथा अन्य कारकों का विश्लेषण कर दुर्घटनाएं घटाने की रणनीति बनाई गई।

    चिन्हित मार्गों में राष्ट्रीय राजमार्ग-34 (सिकंदराबाद–बुलंदशहर से गभाना टोल प्लाजा, अलीगढ़), राष्ट्रीय राजमार्ग-27 (अवध चौराहा, लखनऊ से जाजमऊ पुल, उन्नाव) व राष्ट्रीय राजमार्ग-34 (नौबस्ता से सजेती, कानपुर) शामिल थे। तीनों ही मार्गों के चिन्हित हिस्से में दो माह तक योजनाबद्ध रूप से विशेष कार्यवाही की गई, जिससे सकारात्मक परिणाम मिलने का दावा किया गया है।

    सिकंदराबाद–बुलंदशहर से गभाना टोल प्लाजा, अलीगढ़ के बीच अगस्त माह में दुर्घटनाओं में 33.33 प्रतिशत व सितंबर माह में 81.48 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई। अवध चौराहा, लखनऊ से जाजमऊ पुल, उन्नाव के बीच अगस्त में दुर्घटनाओं में 64.29 प्रतिशत व सितंबर में 90.48 प्रतिशत की कमी हुई।

    नौबस्ता से सजेती (कानपुर) के मध्य अगस्त में हादसों में 38.46 प्रतिशत की कमी हुई और सितंबर में स्थिति स्थिर रही। यातायात निदेशालय के अध्ययन के आधार पर डीजीपी ने सड़क दुर्घटनाओं की रोकथाम के लिए कार्ययोजना जारी की है। यातयात प्रबंधन में सुधार के लिए महानगरों के साथ-साथ जनसंख्या घनत्व के आधार पर अन्य प्रमुख शहर चुने गए हैं।

    वहीं हादसों में जनहानि को न्यूनतम करने के लिए सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय के शून्य मृत्यु जिला (जेडएफडी) कार्यक्रम के तहत इंटीग्रेटेड रोड एक्सीडेंट डेटाबेस (आइआरएडी) के माध्यम से वर्ष 2023 व 2024 में घटित सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़ों के आधार पर पांच पुलिस कमिश्नरेट व 15 अन्य जिलों को एक्सीडेंटल डेथ रिडक्शन डिस्ट्रिक्ट के रूप में चिन्हित किया गया है।

    इनमें लखनऊ, कानपुर नगर, गौतमबुद्वनगर, आगरा व प्रयागराज के लिए बुलंदशहर, उन्नाव, हरदोई, अलीगढ, मथुरा, बरेली, फतेहपुर, सीतापुर, गोरखपुर 15, बाराबंकी, कुशीनगर, जौनपुर, बदायूं, फीरोजाबाद व आजमगढ़ शामिल हैं।

    पुलिस को सौंपे गई खास जिम्मेदारी, संसाधन भी बढ़े

    शून्य मृत्यु जिला कार्यक्रम के तहत 20 जिलों में 233 संवेदनशील पुलिस थाने, 89 क्रिटिकल कारीडोर व 3233 दुर्घटना बहुल क्षेत्र चिन्हित किये गये हैं। यहां जिला पुलिस को विशेष दायित्व सौंपे गए हैं। हर संवेदनशील थाने को एल्कोमीटर व स्पीड गन समेत अन्य अतिरिक्त संसाधन उपलब्ध कराये जा रहे हैं।

    थानों में क्रिटिकल कारिडोर टीम भी गठित की जाएगी, जिन्हें प्रवर्तन व दुघर्टना की जांच का जिम्मा साैंपा जाएगा। रोड इंजीनियरिंग व अन्य संबंधित विभागों से समन्वय की जिम्मेदारी डीसीपी/एसपी ट्रैफिक की होगी। डीजीपी मुख्यालय से इसकी नियमित समीक्षा होगी।