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    Smart Meter: रीडिंग Zero ही कर दी गई, स्मार्ट मीटर की वजह से बिजली विभाग को कैसे लग गई करोड़ों की चपत?

    Updated: Tue, 02 Sep 2025 02:06 PM (IST)

    लखनऊ में स्मार्ट मीटर लगाने वाली कंपनियों पर मनमानी के आरोप लगे हैं। मध्यांचल विद्युत वितरण निगम ने पोलारिस कंपनी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है क्योंकि कंपनी ने पुराने मीटरों का हिसाब ज़ीरो कर दिया और कई मीटर वापस नहीं किए जिससे उपभोक्ताओं को बिल जारी करने में परेशानी हो रही है। गोंडा में भी एफआईआर के निर्देश दिए गए हैं।

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    स्मार्ट मीटर कंपनियों की मनमानी से बिजली विभाग को करोड़ों की चपत

    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं के परिसर में स्मार्ट मीटर लगाने में कंपनियां मनमानी कर रही हैं। नया मामला जो सामने आया है, उसमें स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगा रही एक कंपनी द्वारा बिजली विभाग को करोड़़ों रुपये का नुकसान पहुंचाने की बातें बताई जा रही हैं।

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    इस मामले में मध्यांचल विद्युत वितरण निगम प्रबंधन ने स्मार्ट मीटर लगा रही कंपनी पोलारिस के खिलाफ के खिलाफ सीतापुर जिले में एफआइआर दर्ज कराया है। गोंडा में भी एफआइआर दर्ज कराने के लिए कहा गया है।

    पूरे प्रदेश में स्मार्ट प्रीपेट मीडर लगाने का टेंडर चार कंपनियोंं को मिला है। इन कंपनियों ने अब तक करीब 35 लाख उपभोक्ताओं के परिसर में स्मार्ट मीटर लगाए हैं। स्मार्ट मीटर लगाने की प्रक्रिया में मनमानी करने के मामलों के साथ ही इन स्मार्ट मीटरों में भार जंपिंग और तेज चलने की शिकायतें आ रही हैं।

    राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बताया है कि मध्यांचल विद्युत वितरण निगम ने पोलारिस कंपनी के साथ ही कंपनी के स्टेट हेड व अन्य कार्मिकों के खिलाफ सीतापुर जिले में एफआइआर दर्ज कराया है। इस कंपनी ने बिजली विभाग को करोड़ों रुपये का नुकसान पहुंचाने का काम किया है।

    स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने के दौरान कंपनी ने पुराने मीटर उतारे लेकिन इन मीटरों का पूरा हिसाब जीरो कर दिया। बड़ी संख्या में पुराने मीटर विभाग को वापस नहीं मिले हैं। सीतापुर में 443 पुराने मीटर विद्युत परीक्षण खंड को उपलब्ध नहीं कराए गए। जिसकी वजह से उपभोक्ताओं के मासिक बिल जारी नहीं किए जा सके हैं।

    इस कंपनी ने गोंडा में पुराने मीटर उतारने के बाद सीलिंग सर्टिफिकेट में इन मीटरों की रीडिंग जीरो कर दी। गोंडा में दो मामलों में 4270 नग पुराने मीटर कंपनी ने विभाग को वापस नहीं किए। गोंडा के मुख्य अभियंता ने भी एफआइआर दर्ज कराने के निर्देश दिए हैं।

    उन्होंने कहा है कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर का कोई लेखा जोखा विभाग को नहीं मिल रहा है जिससे परिसर में नया स्मार्ट मीटर लगने के बाद उपभोक्ताओं को बिजली नहीं दिया जा रहा है।

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