UP Politics: विधानसभा चुनाव से छह माह पहले ही प्रत्याशी तय करेगी सपा, पंचायत चुनाव पूरे होने के बाद शुरू होगी प्रक्रिया
समाजवादी पार्टी 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए नई रणनीति अपना रही है। पार्टी चुनाव से छह महीने पहले प्रत्याशियों की घोषणा करने की तैयारी में है। इसकी शुरुआत पंचायत चुनावों के बाद होगी जिसमें हारी हुई सीटों पर ध्यान दिया जाएगा। जातीय समीकरणों और पंचायत चुनावों में प्रदर्शन को भी महत्व दिया जाएगा। सपा का उद्देश्य गुटबाजी से बचना और बेहतर तैयारी करना है।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। पिछले दो विधानसभा चुनावों में सूबे की सत्ता पाने में नाकाम रही सपा वर्ष 2027 के लिए अलग रणनीति पर काम कर रही है। तैयारी और प्रचार में बढ़त के लिए कम से कम छह माह पहले प्रत्याशी घोषित करने की तैयारी की जा रही है।
अगले साल अप्रैल-मई में प्रस्तावित त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के बाद इसकी प्रक्रिया शुरू हो सकती है। इसमें सबसे पहले पूर्व के चुनावों की हारी सीटों और नजदीकी अंतर वाले विधानसभा क्षेत्रों को लिया जाएगा।
प्रत्याशी चयन में जातीय समीकरण तो साधे ही जाएंगे, पंचायत चुनावों पंचायत चुनावों में पार्टी का प्रदर्शन और संभावित उम्मीदवारों के उसमें योगदान को भी देखा जाएगा।
वर्ष 2012 में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने वाली सपा को वर्ष 2017 में करारी हार का सामना करना पड़ा था और उसे 47 सीटें ही हासिल हुई थीं। वर्ष 2022 के विधानसभा चुनावों में सपा 111 सीटों पर ही जीत सकी थी।
इसके बाद वर्षा 2024 के लोकसभा चुनावों में 37 सीटों पर जीत हासिल कर सपा ने बढ़त बनाई। पार्टी अब इस प्रदर्शन को बेहतर कर विधानसभा चुनावों में बड़ी जीत की तैयारी में जुटी है। प्रदेश में वर्ष 2027 में विधानसभा चुनाव होने हैं और उससे पहले वर्ष 2026 में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कराए जाएंगे।
पार्टीं पंचायत चुनाव की तैयारी के साथ विधानसभा चुनावों के लिए भी रणनीति को धरातल पर उतारने में जुटी है। पिछले दिनों हारी हुई 100 सीटों पर प्रभारियों की तैनाती कर फीडबैक जुटाया था। इनमें आगरा, मथुरा, हाथरस, हापुड़, गाजियाबाद, नोएडा, बुलंदशहर आदि जिले शामिल थे।
वर्ष 2022 में 25 सीटें ऐसी थी, जहां सपा के प्रत्याशी पांच हजार वोटों के अंतर से पराजित हुए थे। पार्टी की पहली कोशिश इन सभी सीटों पर जमीन मजबूत करने की है। इनमें से ज्यादातर सीटों के लिए ही प्रत्याशियों के नाम जल्द घोषित करने पर विचार किया जा रहा है।
पार्टी का मानना है कि जल्द उम्मीदवार तय होने से चुनावी तैयारी बेहतर तरीके से हो सकेगी और टिकट वितरण के बाद उठने वाले गुटबाजी और विरोध के मामलों को भी चुनाव से पहले ही सुलझाया जा सकेगा।
बसपा आजमाती रही है फार्मूला
चुनाव से कई माह पहले ही प्रत्याशी घोषित करने का फार्मूृला बसपा भी आजमाती रही है। पिछले कई चुनावों में बसपा द्वारा प्रत्याशियों को प्रभारी के रूप में संबंधित विधानसभा, लोकसभा क्षेत्रों में लगाया जाता था। हालांकि पिछले कुछ चुनावों से उसका का प्रयोग कामयाब नहीं हो रहा है।
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