UP News: विकास के 3333 करोड़ रुपये नहीं ले पा रहे नगरीय निकाय-प्राधिकरण, मंत्री ने अधिकारियों से तलब किया जवाब
स्टांप विभाग उपयोगिता प्रमाण पत्र न मिलने के कारण अगली किस्त जारी नहीं कर पा रहा है जिससे शहरों में विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं। राज्य मंत्री रवीन्द्र जायसवाल ने अधिकारियों को तत्काल प्रमाण पत्र उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। प्रमाण पत्र न मिलने से 3333.84 करोड़ रुपये की किश्त अटकी हुई है। अधिकारियों की अनुपस्थिति पर नाराजगी जताई गई और जवाब तलब करने की बात कही गई।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। दो प्रतिशत अतिरिक्त स्टांप शुल्क से शहरों में तेजी से विकास कार्य कराने में नगरीय निकाय-विकास प्राधिकरण आदि लापरवाही बरत रहे हैं।
स्टांप एवं पंजीयन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रवीन्द्र जायसवाल ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि पूर्व में दी गई धनराशि का उपभोग करते हुए उपयोगिता प्रमाण पत्र शीघ्र उपलब्ध कराएं ताकि अगली किस्त की धनराशि का भुगतान किया जा सके।
पहली तिमाही की धनराशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र मिलने पर ही विभाग तीसरी किश्त का भुगतान करेगा। सभी नगरीय निकायों ने पिछले वित्तीय वर्ष की धनराशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र तक अभी नहीं दिया है।
स्टांप एवं न्यायालय शुल्क एवं पंजीयन राज्य मंत्री ने सोमवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के दौरान उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं दिए जाने पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि दो प्रतिशत अतिरिक्त स्टांप शुल्क का भुगतान त्रैमासिक आधार पर चार किश्तों में किए जाने की व्यवस्था है।
पिछले वित्तीय वर्ष 2024-25 के पहले व दूसरे तिमाही के लिए संबंधित संस्थाओं को तय प्रक्रिया के तहत धनराशि दी गई इसके बाद भी अधिकांश संस्थाओं द्वारा उपयोगिता प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया। उपयोगिता प्रमाण पत्र न मिलने से 3,333.84 करोड़ रुपये की अगली किश्तों का भुगतान करना संभव नहीं हो पा रहा है।
वीडियो कांफ्रेंसिंग में प्रमुख सचिव अमित कुमार गुप्ता, महानिरीक्षक निबंधन नेहा शर्मा के साथ ही सभी मंडलायुक्त, जिलाधिकारी, निदेशक, नगर आयुक्त, उपाध्यक्ष, सीईओ, सचिव एवं अधिशासी अधिकारियों को रहने के निर्देश दिए गए थे लेकिन कई निकायों के वरिष्ठ अधिकारी कांफ्रेंसिंग में शामिल नहीं हुए।
मंत्री ने बताया कि संबंधित अधिकारियों से जवाब-तलब किया जाएगा। विदित हो कि दूसरी किस्त का उपयोगिता प्रमाणपत्र उपलब्ध कराने वालों को ही चौथी किस्त की धनराशि देने की व्यवस्था है।
उल्लेखनीय है कि इस धनराशि से शहरों में सड़क निर्माण से लेकर पेयजल, मार्ग प्रकाश आदि के कामों के साथ ही कमाई का जरिया बनने वाले नए कार्य भी कराए जा सकते हैं। धनराशि बंटवारे के तय फार्मूले के तहत 25 प्रतिशत धनराशि डेडीकेटेड अर्बन ट्रांसपोर्ट फंड को दी जाती है।
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