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    इलाहाबाद हाई कोर्ट के 43 बार जमानत याचिका स्थगित करने पर सुप्रीम कोर्ट नाराज, पीठ ने कही ये बात

    By Agency Edited By: Vinay Saxena
    Updated: Wed, 27 Aug 2025 08:07 PM (IST)

    व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मामलों को स्थगित करने की प्रवृत्ति की न‍िंदा करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट को फटकार लगाई और साढ़े तीन साल से जेल में बंद आरोपित को जमानत दे दी है। सर्वोच्च अदालत ने इस बात पर रोष व्यक्त किया कि सीबीआई के कई मामलों में हिरासत में चल रहे आरोपित की जमानत याचिका को 43 बार स्थगित किया गया है।

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    इलाहाबाद हाई कोर्ट के 43 बार जमानत याचिका स्थगित करने पर सुप्रीम कोर्ट नाराज।

    नई दिल्ली, प्रेट्र। व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मामलों को स्थगित करने की प्रवृत्ति की न‍िंदा करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट को फटकार लगाई और साढ़े तीन साल से जेल में बंद आरोपित को जमानत दे दी है। सर्वोच्च अदालत ने इस बात पर रोष व्यक्त किया कि सीबीआई के कई मामलों में हिरासत में चल रहे आरोपित की जमानत याचिका को 43 बार स्थगित किया गया है।

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    प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई और जस्टिस एनवी अंजरिया की पीठ ने 25 अगस्त को रामनाथ मिश्रा उर्फ रमनाथ मिश्रा की याचिका को स्वीकार किया और आदेश दिया कि यदि किसी अन्य मामले में उनकी आवश्यकता नहीं है तो उन्हें जमानत पर रिहा किया जाए। सर्वोच्च न्यायालय ने विशेष रूप से इलाहाबाद हाई कोर्ट की जमानत मामलों में निपटने की प्रक्रिया पर आलोचना की और कहा, ''इलाहाबाद हाई कोर्ट के बारे में क्या कहा जाए?''

    प्रधान न्यायाधीश ने आदेश में कहा, ''इस मामले में 43 बार स्थगन हुआ है। हम नागरिक की व्यक्तिगत स्वतंत्रता से संबंधित मामलों को बार-बार इसतरह स्थगित करने की प्रवृत्ति की सराहना नहीं करते। व्यक्तिगत स्वतंत्रता से संबंधित मामलों को अदालतों द्वारा अत्यधिक तेजी से निपटाया जाना चाहिए।''

    यह ध्यान में रखते हुए कि मिश्रा जेल में साढ़े तीन साल से अधिक समय से हैं जिसमें संबंधित मामले में बिताया गया समय भी शामिल है, पीठ ने उन्हें जमानत देने का निर्णय लिया।मिश्रा के लिए पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता यशराज स‍िंह देवरा ने बताया कि एक सह-आरोपित को मई में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा राहत दी गई थी, जबकि हाई कोर्ट ने 27 बार सुनवाई को स्थगित किया था। याचिका का विरोध करते हुए अतिरिक्त सालिसिटर जनरल एसडी संजय ने तर्क किया कि हाई कोर्ट के समक्ष मामला लंबित होने के दौरान जमानत देना गलत मिसाल स्थापित करेगा। आपत्ति को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता की लंबी हिरासत और बार-बार स्थगन ने हस्तक्षेप करने के अलावा कोई विकल्प नहीं छोड़ा है।

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