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    यूपी में तकनीक पकड़ेगी अवैध खनन, जारी होगा डिजिटल एमएम-11

    Updated: Thu, 09 Oct 2025 02:41 AM (IST)

    अवैध खनन पर नकेल कसने के लिए खनन विभाग तकनीक का इस्तेमाल करेगा। अब डिजिटल एमएम-11 जारी किया जाएगा, जिससे अवैध परिवहन पर नियंत्रण होगा। जीपीएस और अन्य तकनीकों से माइनिंग क्षेत्रों की निगरानी की जाएगी। इस नई व्यवस्था से खनन कार्यों में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी। सरकार का लक्ष्य है कि खनन से जुड़े सभी कार्य सुचारू रूप से हों।

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    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। फर्जी ट्रांजिट पास (एमएम-11 प्रपत्र) के सहारे होने वाले अवैध खनन के खेल को को रोकने के लिए भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग अब आधुनिक तकनीक का सहारा लेने जा रहा है।

    अब ट्रांजिट पास की फिजिकल कापी के बजाय डिजिटल कापी जारी की जाएगी। यह कापी टोल वसूली के लिए उपयोग किए जाने वाले फास्टैग की तरह होगी, जिससे विभागीय कर्मी स्कैन कर असली-नकली का फर्क पकड़ सकेंगे। विभाग इस व्यवस्था को जल्द लागू करने के लिए अंतिम रूप देने में जुटा है।

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    प्रदेश में बड़ी संख्या में अवैध खनन के मामले सामने आते रहे हैं। पट्टाधारकों व ठेकेदारों द्वारा फर्जी ट्रांजिट पास, पास की कार्यालय प्रति का उपयोग, एक ही ट्रांजिट पास का कई-कई बार परिवहन करने के लिए उपयोग करने के मामले आए दिन पकड़े जाते हैं।

    अगस्त माह में भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक (कैग) द्वारा विधानसभा में प्रस्तुत की गई रिपोर्ट में वर्ष 2017 से 2022 के बीच खनिज परिवहन में अनियमितताएं सामने आई थीं। इसमें 5.89 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान होने की बात कही गई थी। मानसून से पहले महोबा, सोनभद्र सहित कई जिलों में बड़ी संख्या में ऐसे मामले पकड़े गए थे।

    विभागीय आंकड़ों के अनुसार पिछले चार साल में 21,477 वाहनों को अवैध परिवहन के लिए काली सूची में डाला जा चुका है। हाल ही में महोबा में फर्जी वेबसाइट बनाकर प्रपत्र जारी करने का मामला पकड़ा गया है। इसके बाद विभाग अब ट्रांजिट पास की व्यवस्था को सुरक्षित बना रहा है।

    सचिव एवं निदेशक भूतत्व एवं खनिकर्म माला श्रीवास्तव ने बताया कि नई व्यवस्था के तहत पट्टा धारकों को उनके मोबाइल पर इस प्रपत्र की डिजिटल कापी भेजी जाएगी, जो फास्टेग और क्यूआर कोड जैसी होगी। इस डिजिटल कापी में कोड रैंडम आधार पर बदलते रहेंगे, जिससे कोई इसका दुरुपयोग न कर सके।

    विभागीय चेक प्वाइंट्स पर कर्मचारी इसको स्कैन करेंगे, जिससे तत्काल उसके असली होने का पता चल जाएगा। विभाग अपने मोबाइल एप को भी इस हिसाब से अपडेट कर रहा है।