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    Terrorism in UP : पाकिस्तानियों के भी बनाए गए भारतीय पहचान पत्र, एटीएस ने दस को किया गिरफ्तार

    Updated: Fri, 22 Aug 2025 11:05 PM (IST)

    Fake ID and Aadhar Card गिरोह के कब्जे से बरामद 22 लैपटाप का डाटा खंगाला जा रहा है। एटीएस ने पकड़े गए कुल 10 आरोपितों को लखनऊ के विशेष कोर्ट में पेश किया जहां से उन्हें न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया। एटीएस सभी आरोपितों को पुलिस रिमांड पर लेने के लिए सोमवार को कोर्ट में अर्जी दाखिल करेगा।

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    पाकिस्तानियों के भी बनाए गए भारतीय पहचान पत्र

    राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ : उत्तर प्रदेश में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के प्रयास में लगे लोगों के मंसूबों पर लगातार पानी फिर रहा है। आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) ने घुसपैठियों के जाली पासपोर्ट, आधार व अन्य भारतीय दस्तावेज बनाने वाले गिरोह के दो और सक्रिय सदस्यों अक्षय सैनी व तालिब अंसारी को शुक्रवार को सहारनपुर से गिरफ्तार किया है।

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    गिरोह के सदस्यों ने पाकिस्तानियों के भी कूटरचित आधार कार्ड, पासपोर्ट व अन्य भारतीय पहचान पत्र बनाए थे। अंतरराज्यीय गिरोह का नेटवर्क राजस्थान, महाराष्ट्र व उत्तराखंड में भी फैला होने की जानकारी सामने आई है। उत्तर प्रदेश समेत कुल नौ राज्यों में गिरोह का नेटवर्क फैला हुआ था। गिरोह फर्जी दस्तावेज बनाने के लिए दो हजार रुपये से लेकर 40 हजार रुपये तक वसूलता था।

    इस गिरोह के कब्जे से बरामद 22 लैपटाप का डाटा खंगाला जा रहा है। एटीएस ने पकड़े गए कुल 10 आरोपितों को लखनऊ के विशेष कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया। एटीएस सभी आरोपितों को पुलिस रिमांड पर लेने के लिए सोमवार को कोर्ट में अर्जी दाखिल करेगा। सूत्रों का कहना है कि गिरोह के पास से आधार सेवा के सरकारी लैपटाप भी मिले हैं। गिरोह रबर के जाली फिंगर प्रिंट भी रखता था।

    एडीजी कानून-व्यवस्था अमिताभ यश के अनुसार गिरोह का मास्टरमाइंड आजमगढ़ का मुहम्मद नसीम है। छानबीन में सामने आया है कि गिरोह के सदस्यों ने जनसेवा केंद्रों में अस्थायी रूप से नौकरी करके पहले आधार बनाने की पूरी प्रक्रिया जानी थी। इसके बाद कुछ सदस्यों ने जनसेवा केंद्र संचालकों के यूजर आइडी व पासवर्ड चोरी कर लिए थे। आइ स्कैन के लिए आंखों की पुतली की फोटो रखते थे।

    दलालों के जरिये घुसपैठियों से संपर्क कर उनके जाली आधार कार्ड व अन्य दस्तावेज बनाए जाते थे। गिरोह के सदस्य एक राज्य से दूसरे राज्य में मूवमेंट भी करते रहते थे। वर्ष 2023 के बाद 18 वर्ष से अधिक आयु के लोगों का आधार सीधे बनाने पर रोक लगी थी। गिरोह फर्जी आयु प्रमाणपत्र के आधार पर उम्र 18 वर्ष से कम दर्शाकर भी कई आधार कार्ड बना चुका था। आंतरिक सुरक्षा की दृष्टि से गिरोह की और गहनता से छानबीन कराई जा रही है।

    एटीएस ने गुरुवार को उप्र के अलावा दिल्ली, एनसीआर, बिहार व बंगाल में रोहिंग्या व बांग्लादेशियों के अलावा पाकिस्तानियों, नेपाली व भारतीय नागरिकों के कूटरचित आधार कार्ड, पासपोर्ट व अन्य भारतीय दस्तावेज बनाने के मामले में आठ आरोपितों- आजमगढ़ निवासी मुहम्मद नसीम, मुहम्मद शाकिब व विशाल कुमार, मऊ निवासी हिमांशु राय व मृत्युंजय गुप्ता, गाजियाबाद निवासी सलमान अंसारी, औरैया निवासी गौरव कुमार गौतम तथा गोरखपुर निवासी राजीव तिवारी को गिरफ्तार किया था।

    गिरोह लगभग दो वर्ष से सक्रिय था। आरोपितों के बैंक खातों व अन्य तथ्यों की भी छानबीन की जा रही है। हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि गिरोह ने कितने घुसपैठियों के जाली आधार कार्ड बनवाए हैं, कितनों के पासपोर्ट व अन्य भारतीय दस्तावेज बनवाए गए थे। इनके माध्यम से सरकारी योजनाओं का लाभ भी लिया जा रहा था। अधिकारियों का कहना है कि बरामद इलेक्ट्रानिक उपकरणों की मदद से इसका डाटा जुटाने का प्रयास किया जा रहा है।