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    UP News : फाइलों में बंद शोध पर राज्यपाल की दो टूक, बोलीं - अब यह नहीं चलेगा; हमको समाज तक पहुंचना होगा नवाचार

    Updated: Thu, 07 Aug 2025 05:07 PM (IST)

    UP Higher Education विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद और प्रदेश के विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के साथ बैठक कर शोध की गुणवत्ता सामाजिक उपयोगिता और नवाचार को नई दिशा देने पर जोर दिया। साथ ही यह भी कहा कि अगर शोध समाज से जुड़ा न हो तो वह सिर्फ दस्तावेज बनकर रह जाता है।

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    फाइलों में बंद शोध नहीं चलेगा, अब समाज तक पहुंचना होगा नवाचार: राज्यपाल

    राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ : राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने गुरुवार को राजभवन में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद और प्रदेश के विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के साथ बैठक की। इस दौरान उनका जोर शोध को समाज के लिए उपयोगी बनाने पर ही रहा। उनका मानना है कि शोध संस्थानों को इस पर गंभीर होना होगा।

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    राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालयों में उत्कृष्ट शोध कार्यों को सिर्फ फाइलों तक सीमित नहीं रखा जाएगा, बल्कि उन्हें किसानों, विद्यार्थियों और आम नागरिकों तक पहुंचाकर समाजोपयोगी बनाया जाएगा। साफ तौर पर कहा कि सरकार नीतियां और बजट तो देती है, लेकिन उन नीतियों को ज़मीन पर उतारना विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों की जिम्मेदारी है, जिसे अब गंभीरता से निभाना होगा। वह शोध की गुणवत्ता, सामाजिक उपयोगिता और नवाचार को नई दिशा देने पर जोर दिया। साथ ही यह भी कहा कि अगर शोध समाज से जुड़ा न हो, तो वह सिर्फ दस्तावेज बनकर रह जाता है।

    मूल्यांकन अनिवार्य रूप से किया जाए

    राज्यपाल ने निर्देश दिए कि विश्वविद्यालय जब भी कोई शोध परियोजना प्रस्तावित करें, तो उसका विधिवत प्रस्तुतीकरण, गंभीर स्क्रीनिंग, और गुणवत्ता का मूल्यांकन अनिवार्य रूप से किया जाए। अगर किसी परियोजना की फाइंडिंग्स प्रभावी हों, तो उसे अतिरिक्त फंडिंग दी जाए और उसका विस्तार कर व्यावहारिक क्रियान्वयन कराया जाए। किसी परियोजना को यदि अस्वीकृत किया जाता है, तो अस्वीकृति के कारण जरूर बताए जाएं, ताकि वे आवश्यक सुधार कर उसे दोबारा प्रस्तुत कर सकें।

    शोध की पारदर्शिता और जवाबदेही बनी रहे

    राज्यपाल ने कहा कि आज की दुनिया प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन, कृषि संकट, भूकंप, भूगर्भीय हलचल, पहाड़ों के क्षरण और तापमान वृद्धि जैसी चुनौतियों से जूझ रही है। इन पर गंभीर और लक्ष्य आधारित शोध की जरूरत है। उन्होंने सुझाव दिया कि छात्रों को प्रथम वर्ष से ही शोध के लिए प्रशिक्षित और प्रेरित किया जाए। केंद्र व राज्य सरकार की शोध एजेंसियों के साथ मिलकर पेटेंट योग्य शोध को बढ़ावा दिया जाए। विश्वविद्यालयों को निर्देश दिए कि प्रत्येक परियोजना की प्रगति रिपोर्ट आनलाइन पोर्टल पर अपलोड की जाए, ताकि शोध की पारदर्शिता और जवाबदेही बनी रहे।

    बैठक में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री अनिल कुमार, अपर मुख्य सचिव डा. सुधीर महादेव बोबडे, प्रमुख सचिव पंधारी यादव, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के वरिष्ठ अधिकारी, डा. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय के कुलपति, एचबीटीयू कानपुर और मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, गोरखपुर के कुलपति वर्चुअल माध्यम से उपस्थित रहे।