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    UP News: ‘एटीएम’ से भी मिलेंगे स्टांप पेपर… क्यूआर कोड से होगी संपत्ति जांच, योगी सरकार ने लिया बड़ा फैसला

    Updated: Mon, 25 Aug 2025 08:03 AM (IST)

    उत्तर प्रदेश सरकार स्टाम्प और पंजीकरण व्यवस्था को आधुनिक बनाने जा रही है। अब एटीएम की तरह मशीन से स्टाम्प पेपर मिलेंगे। किरायेदारी समझौतों के पंजीकरण के लिए शुल्क कम किया जाएगा। संपत्ति लेन-देन में पारदर्शिता के लिए क्यूआर कोड आधारित सत्यापन प्रणाली शुरू होगी। भूमि रजिस्ट्री डेटा को राजस्व विभाग के रिकॉर्ड से जोड़ा जाएगा। पारिवारिक संपत्ति के निपटान को सरल बनाया जाएगा।

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    ‘एटीएम’ से भी मिलेंगे स्टांप पेपर, क्यूआर कोड से होगी संपत्ति जांच।

    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। प्रदेश सरकार स्टाम्प और पंजीकरण व्यवस्था को आधुनिक बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाने जा रही है। आम लोग बैंक एटीएम की तरह मशीन से आसानी से स्टाम्प पेपर निकाल सकेंगे। 

    स्टाम्प तथा न्यायालय शुल्क एवं पंजीयन विभाग जल्द ही 10, 20, 50 और 100 रुपये के स्टाम्प पेपर के लिए ‘एटीएम’ स्थापित करेगा। इनकी सालाना बिक्री लगभग 800 करोड़ रुपये की है।

    स्टाम्प और न्यायालय शुल्क व पंजीयन राज्यमंत्री रवींद्र जायसवाल ने बताया कि किरायेदारी समझौतों के पंजीकरण के लिए जल्द ही 500 से 1000 रुपये का निश्चित शुल्क तय किया जाएगा, ताकि मकान मालिक और किरायेदार दोनों अपने अधिकार सुरक्षित कर सकें। 

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    अभी चार प्रतिशत स्टाम्प ड्यूटी के कारण पंजीकरण महंगा पड़ता है, जिससे लोग अपंजीकृत समझौते कर लेते हैं, जिनका कानूनी मूल्य नहीं होता। सरकार संपत्ति लेन-देन में पारदर्शिता के लिए क्यूआर कोड आधारित सत्यापन प्रणाली शुरू करने जा रही है। 

    इससे कोई भी व्यक्ति क्यूआर कोड स्कैन कर संपत्ति के स्वामित्व, पिछले लेन-देन और विक्रेता की कानूनी स्थिति की जानकारी ले सकेगा। ऐतिहासिक स्वामित्व डाटा छह महीने के भीतर आनलाइन उपलब्ध कराया जाएगा। 

    भूमि रजिस्ट्री डेटा को राजस्व विभाग के रिकार्ड से जोड़ा जाएगा, ताकि पंजीकरण के तुरंत बाद खरीदार का नाम राजस्व अभिलेखों में दर्ज हो सके। अभी इसमें 35 से 40 दिन लगते हैं। इसके लिए पंजीकरण कार्यालयों में राजस्व अधिकारी भी तैनात किए जाएंगे। 

    सरकार पारिवारिक संपत्ति के निपटान को भी सरल बनाने पर काम कर रही है। पांच हजार रुपये के निश्चित शुल्क पर चार पीढ़ियों तक के लिए निपटान की अनुमति देने की योजना है। 

    उन्होंने बताया कि 2017-18 में जहां 16 लाख संपत्ति पंजीकरण हुए थे, वहीं अब यह संख्या बढ़कर करीब 50 लाख तक पहुंच गई है। स्टाम्प और पंजीकरण से होने वाली आय भी 2017 में 16,000 करोड़ रुपये से बढ़कर अब लगभग 35,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है। 

    वर्तमान में स्टाम्प शुल्क गणना के लिए 42 मानदंड हैं, जिन्हें घटाकर 18-20 तक सीमित किया जाएगा, ताकि लोगों को आवासीय, वाणिज्यिक और कृषि भूमि के नियमों की स्पष्ट जानकारी मिल सके। सरकार का लक्ष्य खरीद के तीन महीने के भीतर संपत्ति सत्यापन पूरा करना है, जिससे कर और भूमि उपयोग के नियम समय पर लागू हो सकें। 

    पंजीकरण कार्यालयों का आधुनिकीकरण पासपोर्ट सेवा केंद्रों की तर्ज पर कर रही है और भूमि अभिलेखों का डिजिटलीकरण तेजी से किया जा रहा है। इससे संपत्ति खरीद-बिक्री पारदर्शी और सुरक्षित बनेगी।