UP: पुस्तकों से विद्यार्थियों का स्क्रीन टाइम घटाएगा शिक्षा विभाग, प्रतियोगिताएं भी कराई जाएंगी
Yogi Adityanath Government: अपर मुख्य सचिव माध्यमिक शिक्षा पार्थ सारथी सेन शर्मा ने सभी मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक, जिला विद्यालय निरीक्षक, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को इस संबंध में निर्देश जारी किए हैं।

बढ़ते स्क्रीन टाइम को कम करने के लिए अब शिक्षा विभाग पुस्तकों के प्रति उनकी रुचि जगाएगा
राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ: इंटरनेट मीडिया और मोबाइल फोन के प्रति विद्यार्थियों की रुचि और बढ़ते स्क्रीन टाइम को कम करने के लिए अब शिक्षा विभाग पुस्तकों के प्रति उनकी रुचि जगाएगा। सभी राजकीय पुस्तकालयों में विद्यार्थियों को प्रवेश दिया जाएगा और हर सप्ताह उनके पाठ्यक्रम से अलग एक पुस्तक पढ़ने के लिए दी जाएगी। इसके बाद में विद्यार्थी को प्रार्थना सभा में पुस्तक के सारांश की प्रस्तुति देनी होगी और अन्य प्रतियोगिताएं भी कराई जाएंगी।
अपर मुख्य सचिव माध्यमिक शिक्षा पार्थ सारथी सेन शर्मा ने सभी मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक, जिला विद्यालय निरीक्षक, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को इस संबंध में निर्देश जारी किए हैं। अपर मुख्य सचिव के पत्र में कहा गया कि वर्तमान में विद्यार्थियों की रुचि पुस्तकों के स्थान पर मोबाइल फोन व इंटरनेट मीडिया में अधिक है। उनका स्क्रीन टाइम कम करने, उनकी वैचारिक एवं तार्किक समझ को विकसित करने और पठन-पाठन की अभिरुचि विकसित करना आवश्यक है।
इसके लिए विद्यालयों के शैक्षिक भ्रमण कार्यक्रमों में विद्यार्थियों को राजकीय जिला पुस्तकालय या किसी अन्य पुस्तकालय का भ्रमण कराया जाए तथा उन्हें पुस्तकालय की संरचना, सेवाओं एवं उपयोगिता के संबंध में जानकारी प्रदान की जाए। प्रत्येक विद्यालय में स्कूल मैगजीन तैयार कराई जाए, जिसका संपादन विद्यार्थियों द्वारा स्वयं किया जाए। इससे उनकी लेखन क्षमता और सृजनशीलता में वृद्धि होगी। समस्त राजकीय जिला पुस्तकालय में विद्यालय के विद्यार्थियों को प्रवेश की अनुमति दी जाए।
प्रत्येक विद्यार्थी को प्रति सप्ताह अनिवार्य रूप से कहानी, उपन्यास, जीवनी या प्रेरणादायी साहित्य से जुड़ी एक पुस्तक पढ़ने के लिए दी जाए। सर्वाधिक पुस्तकें पढ़ने और उनका सारांश प्रस्तुत करने वाले विद्यार्थियों को प्रशंसा प्रमाणपत्र प्रदान किया जाए। अपर मुख्य सचिव ने पुस्तक पढो अभियान, विभिन्न आयोजनों में विजेता छात्र-छात्राओं को स्मृति चिह्न के स्थान पर पुस्तक भेंट करने, पुस्तक चर्चा कराने व अन्य प्रतियोगिताएं कराने के भी निर्देश दिए हैं।

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