UP Politics: बसपा मुखिया मायावती का सपा-कांग्रेस पर हमला, बोलीं-दोनों दलों में राजनीतिक ईमानदारी का साहस नहीं
BSP President Mayawati

पार्टी मुख्यालय पर हुई संगठन की राज्य स्तरीय बैठक में बसपा प्रमुख मायावती
राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ: कांशीराम परिनिर्वाण दिवस पर स्मारक स्थल के बेहतर रखरखाव के लिए योगी आदित्यनाथ सरकार की तारीफ करने पर विरोधियों के भाजपा से मिलीभगत के सवालों पर बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने गुरुवार को संगठन की बैठक में सफाई दी।
बसपा सुप्रीमो ने कहा कि सपा सरकार ने ताे जातिवादी द्वेष के कारण बसपा सरकार में बने कांशीराम स्मारक स्थल की उपेक्षा की थी। प्रदेश सरकार ने स्मारक की टिकट बिक्री के पैसे को रखरखाव पर खर्च करने के पार्टी के लिखित अनुरोध को मान लिया तो उसके लिए आभार प्रकट करने की हमारी राजनीतिक ईमानदारी व सदाशयता भी सपा व कांग्रेस जैसी विरोधी पार्टियों को अच्छा न लगना स्वाभाविक है, क्योंकि उनके चरित्र में राजनीतिक ईमानदारी का साहस कहां? मायावती के इस बयान को विपक्ष के आरोपों के बाद, समर्थकों में असमंजस पैदा होने से रोकने की कोशिश माना जा रहा है।
पार्टी मुख्यालय पर हुई संगठन की राज्य स्तरीय बैठक में बसपा प्रमुख ने सपा पर जमकर प्रहार किया। उन्हाेंने कहा कि सपा सरकार यदि बसपा द्वारा बहुजन समाज में जन्मे महान संतों, गुरुओं व महापुरुषों के आदर-सम्मान में बनाए गए नये जिले, यूनिवर्सिटी, कालेज, अस्पताल व अन्य संस्थानों आदि के अधिकांशः नाम बदलने के साथ जनकल्याणकारी योजनाओं को निष्प्रभावी नहीं करती तो उनका नाम दो जून 1995 की स्टेट गेस्ट हाऊस कांड की तरह ही इतिहास के काले पन्नों में दर्ज होने से बच सकता था। परंतु उनको अभी भी इसका पछतावा व पश्चाताप न होना राजनीतिक द्वेष, छलावा व बेईमानी नहीं तो और क्या है।
उन्होंने कहा कि साम, दाम, दंड, भेद जैसे हथकंडो और अंदरूनी मिलीभगत आदि के लिए किसी स्तर तक गिर जाना बसपा का स्वभाव नहीं है। बसपा की राजनीति खुली किताब है और पाक-साफ है। पार्टी को नीले आसमान के नीचे खुल कर समर्थन या विरोध की 'सर्वजन हिताय व सर्वजन सुखाय' की राजनीति पसंद है।
अपनी आदत से मजबूर विरोधी लोग जब बसपा के महाआयोजन के संबंध में सरकारी बसें मुहैया कराने जैसी आधारहीन बातें करके अगर लोगों में अपना मजाक खुद ही उड़ा रहे हैं तो कोई क्या कर सकता है। जबकि कार्यक्रम में लाखों की ऐतिहासिक भीड़ रेल, प्राइवेट बसों व अपने-अपने खुद के छोटे-मोटे संसाधनों से और पैदल भी चलकर अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने आए थे।
यह उनके बसपा के लिए समर्पण का जीता-जागता प्रमाण है, लेकिन किराये पर रैली व जनसभा आदि करने वाली विरोधी पार्टियों के नेता 'खिसयानी बिल्ली खंभा नोचे' की कहावत को चरितार्थ करते हुए इसमें भी अपनी तुच्छ राजनीति से बाज नहीं आ रही। यह इनकी जातिवादी चाल, चरित्र व चेहरे का स्पष्ट प्रमाण है।
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बैठक में बसपा प्रमुख ने कहा कि पदाधिकारियों को संगठन के गठन को लेकर बचे हुए कार्याें को अविलंब पूरा करने के निर्देश दिए। कहा कि बसपा, दूसरी पार्टियों की तरह बड़े-बड़े धन्नासेठों के सहारे व इशारे पर चलने वाली केवल पार्टी नहीं है, बल्कि सर्वसमाज के करोड़ों गरीबों में से खासकर दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों, मुस्लिम व अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों के हित व कल्याण के लिए समर्पित है।
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उन्होंने पार्टी की स्वाभिमान की राजनीति की मजबूती के लिए लोगों से 15 जनवरी को अपने जन्मदिन पर आर्थिक सहयोग की परंपरा को जारी रखने का भी आह्वान किया। कहा कि अपने वोट की शक्ति के बल पर बसपा राजनरतिक सत्ता की मास्टर चाबी हासिल कर बहुजन समाज को 'लेने वाले से देने वाला समाज' बनाना चाहती है, इसके लिए पूरे तन, मन और धन से अनवरत सहयोग जरूरी है।
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