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    UP Politics: ‘वोट चोरी’ को लेकर यूपी में भी चढ़ा सियासी पारा, सपा का नेक्स्ट मूव भी हो गया क्लियर

    Updated: Tue, 19 Aug 2025 07:11 PM (IST)

    समाजवादी पार्टी वोट चोरी के आरोपों के बीच मतदाता पुनरीक्षण अभियानों में जुट गई है। पार्टी कार्यकर्ताओं को छूटे हुए नाम जुड़वाने और गलत तरीके से नाम कटने वालों पर नजर रखने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। सपा का आरोप है कि भाजपा संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग कर रही है। पार्टी पंचायत चुनावों से पहले मतदाता सूचियों की पारदर्शिता पर जोर दे रही है।

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    ‘गड़बड़ी’ के साक्ष्यों से सियासी बिसात बिछाएगी सपा

    दिलीप शर्मा, लखनऊ। कथित ‘वोट चोरी’ को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी दलों और चुनाव आयोग के बीच चल रहे संघर्ष के बीच समाजवादी पार्टी अब मतदाता पुनरीक्षण अभियानों को लेकर पूरी रणनीति के साथ मैदान में उतर गई है।

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    वर्ष 2022 के विधानसभा चुनावों के बाद की गई शिकायत के सहारे भारत निर्वाचन आयोग पर पहले ही सवाल खड़े किए जा चुके हैं, अब राज्य में पंचायत चुनावों के लिए शुरू हुए मतदाता पुनरीक्षण में भी ऐसे ही ‘साक्ष्य’ जुटाने की कोशिश है। जिससे राज्य निर्वाचन आयोग को भी कठघरे में खड़ा किया जा सके।

    इसके लिए मानीटरिंग सेल गठित कर कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी सौंपी गई है। ये कार्यकर्ता छूटे हुए लोगों के नाम तो बढ़वाएंगे ही, सूची से कटने वालों नामों पर खास तौर से नजर रखेंगे। ऐसे लोगों का पूरा विवरण तैयार किया जाएगा, जिनके नाम गलत तरीके से कटे होंगे।

    विधानसभा क्षेत्रों की मतदाता सूचियों के पुनरीक्षण अभियान तक इसी रणनीति पर काम होगा। पार्टी की कोशिश है कि जनता के बीच बनाए जा रहे भाजपा द्वारा संवैधानिक संस्थाओं के दुरुपयोग के माहौल को बल देकर सियासी बढ़त की जमीन तैयार की जा सके।

    राज्य में वर्ष 2027 के विधानसभा चुनावों से पहले अगले वर्ष त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव होने हैं। इसके लिए मंगलवार से मतदाता सूचियों के पुनरीक्षण की शुरुआत हुई है। इसको लेकर सपा ने अपने नेताओं-कार्यकर्ताओं को बूथ स्तर पर जिम्मेदारी दी है।

    कार्यकर्ताओं को कहा गया है कि नाम कटने की स्थिति में मतदाता से संपर्क साधा जाए। यदि नाम को गलत तरीके से हटाया गया है तो संबंधित से आधार या पहचान पत्र की प्रति ली जाए। आवश्यकता पड़ने पर शपथपत्र भरवाया जाए।

    पार्टी ने साक्ष्य संकलित करने के लिए जिला और तहसील स्तर पर भी निगरानी समितियां बनाई हैं, जो कार्यकर्ताओं से रिपोर्ट लेकर प्रदेश स्तर पर रिकार्ड तैयार करेंगीं। बाद में पार्टी अपनी रणनीति के हिसाब से इसके आधार पर अगला कदम उठाएगी।

    सपा के मुख्य प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने बताया कि मतदाता सूचियों से साजिश के तहत नाम काटकर चुनाव को प्रभावित किया जाता है। इस बार इसकी पूरी निगरानी की जा रही है। पंचायत के बाद विधानसभा चुनाव से पहले होने वाले मतदाता पुनरीक्षण में भी इसी तरह गड़बड़ी के साक्ष्य एकत्र किए जाएंगे।

    मतदाता सूचियों की पारदर्शिता को लेकर सपा के साथ कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल भी सवाल उठाते रहे हैं। हाल ही में इंडी गठबंधन ने कई राज्यों का उदाहरण देकर भारत निर्वाचन आयोग पर गड़बड़ी के आरोप लगाए हैं।

    सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी कहा है कि 2022 विधानसभा चुनावों के बाद लगभग 18 हजार मतदाताओं नाम अवैध रूप से हटाए गए, उनकी ओर से आयोग को ई-रसीद के माध्यम इसकी शिकायत की गई थी। आयोग का इस पर दावा है कि उसे कोई शिकायत या शपथपत्र प्राप्त नहीं हुआ।

    इस पर अखिलेश यादव ने आयोग से ई-रसीदों की पुष्टि के लिए ठोस आधिकारिक शपथपत्र जारी करने की मांग की है। इस माहौल के बीच यदि पंचायतों और फिर विधानसभाओं के मतदाता पुनरीक्षण पर प्रश्न खड़े हुए तो आयोग के लिए मुश्किल खड़ी होगी ही, सपा को भी इसका राजनीतिक लाभ मिलने की संभावना है।

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