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    UP Religious Tourism: काशी और अयोध्या के बाद विंध्याचल उत्तर प्रदेश का अगला बड़ा धार्मिक पर्यटन केंद्र

    Updated: Sun, 07 Sep 2025 05:12 PM (IST)

    Vindhyachal is UP News Religious Tourism Center इस वर्ष के अंतर कर विंध्याचल में एक करोड़ श्रृद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद की जा रही है। जनवरी से जून के बीच विंध्याचल में 64 लाख से ज्यादा श्रृद्धालु मां विंध्यवासिनी के दर्शन कर चुके हैं। वर्ष 2024 में 78 लाख श्रृद्धालुओं ने मां विंध्यवासिनी के दर्शन किए थे।

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    विंध्याचल बन रहा है धार्मिक पर्यटन का बड़ा केंद्र

    राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊः मीरजापुर का विंध्याचल उत्तर प्रदेश का अगला बड़ा पर्यटन स्थल बनकर उभर रहा है। काशी और अयोध्या की तरह ही मां विंध्यवासिनी मंदिर की लोकप्रियता नए आयाम छू रही है।

    अनुमान है कि मौजूदा वर्ष मंदिर में दर्शनार्थियों की संख्या एक करोड़ के पार पहुंच जाएगी। वर्ष 2025 के शुरुआती छह महीनों में ही 64 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने मंदिर में दर्शन किए। अर्थात, हर महीने औसतन 10 लाख श्रद्धालु पहुंचे। वर्ष 2024 में वर्षांत तक यह आंकड़ा 78 लाख था, जिसे इस बार आसानी से पार कर लिया जाएगा। यह जानकारी उत्तर प्रदेश  के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने दी। 

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    काशी और अयोध्या के बाद मीरजापुर में स्थित विंध्याचल राज्य में धार्मिक व ईको-पर्यटन का बड़ा केंद्र बनकर उभर रहा है। इस वर्ष के अंतर कर विंध्याचल में एक करोड़ श्रृद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद की जा रही है। जनवरी से जून के बीच विंध्याचल में 64 लाख से ज्यादा श्रृद्धालु मां विंध्यवासिनी के दर्शन कर चुके हैं। वर्ष 2024 में 78 लाख श्रृद्धालुओं ने मां विंध्यवासिनी के दर्शन किए थे।

    पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि श्रृद्धालुओं की बढ़ रही संख्या से विंध्याचल त्रिकोण यात्रा (विंध्यवासिनी देवी मंदिर, अष्टभुजा मंदिर और काली खोह मंदिर) सहित जिले के अन्य प्रमुख स्थलों पर भी रौनक बढ़ी है। अष्टभुजा मंदिर में इस वर्ष अब तक 38 लाख से अधिक भक्त पहुंच चुके हैं, जबकि वर्ष 2024 में यहां कुल 55 लाख दर्शनार्थी आए थे।

    सरकार अष्टभुजा और काली खोह मंदिर क्षेत्र का भी कारिडोर शैली में पुनर्विकास कर रही है। बेहतर कनेक्टिविटी के लिए सड़कों, घाटों और परिवहन सुविधाओं को उन्नत किया जा रहा है। शाम की गंगा आरती को और भव्य बनाने के लिए भी विशेष मंच बनाए जा रहे हैं।

    प्रमुख सचिव मुकेश कुमार मेश्राम ने कहा कि अब वे दिन नहीं रहे जब मीरजापुर में केवल बरसात के मौसम में ही झरनों को देखने के लिए भीड़ उमड़ती थी। उन्होंने बताया कि झरने, जंगलों और ट्रैकिंग पथों को विकसित कर पर्यटकों को नया अनुभव देने का प्रयास किया जा रहा है।

    ग्रामीण होम-स्टे, नेचर वाक, पारंपरिक हस्तशिल्प और स्थानीय व्यंजन भी पर्यटन का हिस्सा बन रहे हैं। वहीं, विंध्य क्षेत्र के सलखन जीवाश्म पार्क का यूनेस्को की विश्व धरोहर की अस्थायी सूची में शामिल होने से भी क्षेत्र की लोकप्रियता को बढ़ रही है।

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