यूपी में परिषदीय विद्यालयों में केस स्टडी से सीखेंगे बच्चे, इन क्लास के बच्चों के लिए आयोजित होगा बैगलेस दिवस
उत्तर प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में अब केस स्टडी के माध्यम से पढ़ाई होगी। सरकार ने शिक्षा प्रणाली में बदलाव करते हुए छात्रों को वास्तविक जीवन की समस्याओं से परिचित कराने का फैसला किया है। हर महीने के तीसरे शनिवार को 'बैगलेस दिवस' मनाया जाएगा, जिसमें छात्र बिना बैग के विद्यालय आकर विभिन्न गतिविधियों में हिस्सा लेंगे। इसका उद्देश्य छात्रों में आलोचनात्मक सोच और रचनात्मकता को बढ़ावा देना है।

अब परिषदीय विद्यालयों में केस स्टडी से सीखेंगे बच्चे।
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। स्कूली शिक्षा को किताबों से बाहर लाने की कोशिश हो रही है। इसके लिए नई पहल ‘आनंदम’ के तहत बच्चे पहली बार केस स्टडी करेंगे और पढ़ाई को वास्तविक जीवन से जोड़कर सीखेंगे। इसके लिए कक्षा छह से आठवीं तक के विद्यार्थियों के लिए हर शैक्षिक सत्र में 10 बैगलेस दिवस अनिवार्य कर दिए गए हैं। इन दिनों छात्र बिना बैग के स्कूल आएंगे और प्रयोग, भ्रमण, कला, शिल्प, स्थानीय व्यवसायों और वैज्ञानिक गतिविधियों में भाग लेंगे।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के बाद से इसे लेकर कई बार कवायद हुई, लेकिन विद्यालयों में इसे गंभीरता से नहीं लिया गया। अब राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) ने इसके लिए ‘आनंदम मार्गदर्शिका’ तैयार की है और सभी जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारियों को निर्देश भेजे हैं। इसके तहत बच्चों को अनुभवात्मक, कौशल आधारित और आनंदपूर्ण शिक्षा से जोड़ना।
कार्यक्रम के दौरान बच्चे अवलोकन, विश्लेषण, वर्गीकरण और निष्कर्ष निकालने जैसी क्षमताएं विकसित करेंगे। पहली बार केस स्टडी के माध्यम से वे वास्तविक परिस्थितियों को समझकर उनसे सीख पाएंगे। इसमें विज्ञान-प्रौद्योगिकी, स्थानीय उद्योग-व्यवसाय और कला-संस्कृति-इतिहास से जुड़ी गतिविधियों की पूरी सूची तैयार की गई है।
इनमें कारीगरों, शिल्पकारों, अभिभावकों और विशेषज्ञों की भागीदारी भी की जाएगी। विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए अलग से समावेशी योजना बनाई गई है। महानिदेशक स्कूल शिक्षा मोनिका रानी ने कहा कि यह कार्यक्रम बच्चों में रचनात्मकता, आत्मविश्वास और अपनी संस्कृति के प्रति गहरा जुड़ाव बढ़ाएगा।
स्मारकों और ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण, स्थानीय कलाकारों से संवाद और एक जिला एक उत्पाद व वोकल फार लोकल से जुड़ाव इस पहल की खास बातें हैं। समुदाय और स्कूल की साझेदारी से बच्चों को वास्तविक जीवन का व्यावहारिक ज्ञान मिलेगा, जिससे उनकी शिक्षा और भी सार्थक होगी।

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