Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    UP में बढ़ेगी गणना फॉर्म भरने की डेट? 27% का नहीं मिल रहा 2003 का रिकॉर्ड; मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने लिखा पत्र

    Updated: Tue, 09 Dec 2025 07:46 PM (IST)

    उत्तर प्रदेश में गणना फॉर्म भरने की तारीख बढ़ने की संभावना है, क्योंकि 27% मतदाताओं का पुराना रिकॉर्ड नहीं मिल रहा है। लखनऊ शहर में गन्ना विभाग डेटा क ...और पढ़ें

    Hero Image

    27% वोटर का नहीं मिल रहा 2003 का रिकॉर्ड।

    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। प्रदेश में चल रहे मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) अभियान में सबसे बड़ी चुनौती मतदाताओं का पुराना रिकॉर्ड न मिलने की आ रही है। प्रदेश में कुल 15.44 करोड़ मतदाता पंजीकृत हैं, लेकिन इनमें से लगभग 27 प्रतिशत यानी करीब चार करोड़ मतदाताओं का रिकॉर्ड वर्ष 2003 की मतदाता सूची में नहीं मिल पा रहे हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    इस स्थिति को देखते हुए मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिणवा ने सभी जिलों को ऐसे सभी मामलों में 2003 की मतदाता सूची से दोबारा मिलान करने के स्पष्ट निर्देश दिए हैं। आयोग की कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा मतदाताओं का रिकॉर्ड मिल जाए ताकि सत्यापन प्रक्रिया सटीक हो सके।

    चुनाव आयोग का मानना है कि जितने अधिक पुराने रिकॉर्ड मिल जाएंगे, उतने कम मामलों में नोटिस जारी करना पड़ेगा। इसके तहत मतदाता का यदि 2003 की सूची में नाम है तो उन्हें कोई दिक्कत नहीं है, यदि उनका नहीं है तो उनके माता-पिता या बाबा-दादी का नाम सूची में होना चाहिए।

    किसी मतदाता का पुरानी मतदाता सूची से मिलान नहीं होता है तो उन्हें निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी (ईआरओ) नोटिस भेजेंगे। यही वजह है कि आयोग ने जिलों को प्राथमिकता के आधार पर पुरानी मतदाता सूची से मिलान एक बार फिर बारीकी से करने के लिए कहा गया है।

    सूत्रों के अनुसार कुछ प्रमुख जिलों में रिकॉर्ड मैपिंग की प्रगति धीमी है। इनमें लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, प्रयागराज, मेरठ और अलीगढ़ शामिल हैं। इन जिलों में 2003 की सूची से दस्तावेजों का मिलान अपेक्षाकृत कम हुआ है, जिसके कारण आयोग ने विशेष निगरानी बढ़ा दी है।

    जिला निर्वाचन अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में टीमों को सक्रिय करें और रिकॉर्ड मिलान को मिशन मोड में पूरा कराएं।

    इसके अलावा, अनुपस्थित, शिफ्टेड और मृत श्रेणी में दर्ज मतदाताओं के सत्यापन को लेकर भी आयोग ने अतिरिक्त सतर्कता बरतने के निर्देश दिए हैं। इन श्रेणियों में 16.50 प्रतिशत मतदाता दर्ज हैं। चुनाव आयोग ने इनके सत्यापन के लिए राजनीतिक दलों से भी सहयोग मांगा है।

    आयोग का मानना है कि यदि सभी दलों के 4,41,582 बूथ लेवल एजेंट (बीएलए) व 1,62,486 बूथ लेवल अधिकारी (बीएलओ) मिलकर काम करेंगे तो इन मतदाताओं के बारे में जानकारी ज्यादा सटीक मिल सकेगी।

    अभियान का समय दो सप्ताह बढ़ाने के लिए आयोग को लिखा पत्र

    एसआईआर में गणना प्रपत्र जमा करने की अंतिम तिथि 11 दिसंबर है। इतनी बड़ी तादाद में पुराने रिकॉर्ड से मिलान न हो पाने के कारण मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय ने भारत निर्वाचन आयोग से दो सप्ताह का समय बढ़ाने का अनुरोध किया है।

    मतदाता सूची को त्रुटि रहित व ज्यादा सटीक बनाने के लिए यह समय मांगा गया है। चूंकि प्रदेश में अभी कोई चुनाव भी नहीं है इसलिए यहां एसआईआर का समय बढ़ाया जा सकता है। चुनाव आयोग इससे पहले 12 राज्यों में चल रहे एसआईआर का समय एक सप्ताह बढ़ा चुकी है।