यूपी में स्वास्थ्य संकट: बजट की कमी से जूझ रहे आयुष्मान आरोग्य मंदिर, इलाज हुआ मुश्किल
उत्तर प्रदेश के एक हजार से अधिक शहरी आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में बजट की कमी के कारण इलाज मिलना मुश्किल हो रहा है। तीन महीने से किराए का भुगतान नहीं हुआ है और कर्मचारियों को वेतन भी नहीं मिला है। लगभग 75 करोड़ रुपये का भुगतान रुका हुआ है जिससे इलाज की सुविधा प्रभावित हो रही है। बजट आने के बाद भुगतान की उम्मीद है।

अमित यादव, लखनऊ। प्रदेश के एक हजार से अधिक शहरी आयुष्मान आरोग्य मंदिर में बजट न मिलने के कारण इलाज मिलना मुश्किल हो रहा है। इन आरोग्य मंदिर के किराए का भुगतान लगभग तीन माह से नहीं हुआ है।
इन आरोग्य मंदिर में इंटरनेट, स्टेशनरी सहित अन्य मदों में मिलने वाले बजट का भुगतान भी नहीं हो पा रहा है। स्थिति यह है कि इन आरोग्य मंदिर में तैनात संविदा डाक्टर, नर्स और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों का अगस्त माह का वेतन भी नहीं दिया गया है।
इसके चलते लगभग चार हजार कर्मचारियों को वेतन नहीं मिल पा रहा है।प्रदेश में एक हजार से अधिक शहरी आयुष्मान आरोग्य मंदिर संचालित हैं। किराए के भवनों में चलने वाले इन शहरी आरोग्य मंदिर में डाक्टर व कर्मचारी राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) से संविदा पर रखे गए हैं।
सूत्रों के अनुसार शुरुआत में आरोग्य मंदिर के भवनों का किराया देने में देरी हुई। इसके बाद इनके संचालन के लिए जरूरी बजट की कटौती होने लगी। बिल न जमा होने से इंटरनेट सेवा भी बंद हो गई। इसके चलते टेली काउंसिलिंग सेवा में दिक्कत आई।
डाक्टरों ने किसी तरह अपने मोबाइल फोन के इंटरनेट से टेली काउंसिलिंग सेवा को जारी रखा लेकिन निजी डाटा सीमित होने के कारण अब टेली काउंसलिंग सेवा भी प्रभावित हो रही है। स्थिति यह है कि सभी शहरी आरोग्य मंदिर का लगभग 75 करोड़ रुपये का भुगतान रुका हुआ है। इससे वहां इलाज की सुविधा प्रभावित हो गई है।
केंद्र से बजट आ गया है। एसएनए स्पर्श के माध्यम से सभी कर्मचारियों और लाभार्थियों को भुगतान के लिए तकनीकी व्यवस्था तैयार की जा रही है। इसीलिए भुगतान में देरी हो रही है।
-पार्थ सारथी सेन शर्मा, प्रमुख सचिव, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं शिक्षा
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