UPPCL: स्मार्ट प्रीपेड मीटर भी बिजली चोरी रोकने में कारगर नहीं, मीटर में चीन के अधिकांश कंपोनेंट
UPPCL Smart Pre Paid Meters: बिजली चोरी पर पूरी तरह से अंकुश लगाने के उद्देश्य से ही स्मार्ट प्रीपेड मीटर योजना शुरू की गई है। फिर भी गंभीर खामियों के चलते स्मार्ट प्रीपेड मीटर से बिजली चोरी जैसे मामले चिंता का विषय है।

स्मार्ट मीटर योजना पर सवाल
राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ: राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने प्रदेश में 3050 स्मार्ट प्रीपेड मीटर में तकनीकी खामियां पाए जाने पर स्मार्ट मीटर योजना पर सवाल खड़े किए हैं। मीटर से बिजली चोरी जैसे मामले सामने आने पर सवाल उठाते हुए परिषद अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने उच्च स्तरीय जांच करने की मांग करते हुए कहा है कि इन मीटर में चीन के बने ज्यादातर कंपोनेंट लगाए गए हैं।
अवधेश वर्मा ने कहा है कि बिजली चोरी पर पूरी तरह से अंकुश लगाने के उद्देश्य से ही स्मार्ट प्रीपेड मीटर योजना शुरू की गई है। फिर भी गंभीर खामियों के चलते स्मार्ट प्रीपेड मीटर से बिजली चोरी जैसे मामले चिंता का विषय है। उन्होंने बताया है कि प्रदेश में अब तक 36.44 लाख से अधिक स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए गए हैं, जिनमें से 3050 मीटर में तमाम खामियां पाई गई हैं।
कई मामलों में प्रतीत होता है कि स्मार्ट मीटर से छेड़छाड़ की गई है। मीटर कवर खोले जाने, टेंपरिंग और सील तोड़ने जैसी गंभीर अनियमितताएं पकड़ में आई हैं। ऐसे मामले सीधे तौर पर अनियमितता या बिजली चोरी से जुड़े होते हैं। स्मार्ट मीटरों में ये अनियमितताएं गंभीर हैं। यह व्यवस्था में पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर प्रश्न चिह्न है।
उन्होंने बताया है कि विभिन्न विद्युत वितरण कंपनियों में इंटेलीस्मार्ट इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड के 2538 स्मार्ट प्रीपेड मीटर, जीनस पावर इंफ्रास्ट्रक्चर्स लिमिटेड के 395 स्मार्ट प्रीपेड मीटर, पोलारिस कंपनी के 39 स्मार्ट प्रीपेड मीटर तथा जीनस पावर इंफ्रास्ट्रक्चर्स लिमिटेड के 78 स्मार्ट प्रीपेड मीटर में खामियां सामने आई है।
पश्चिमांचल विद्युत वितरण कंपनी के कार्यक्षेत्र में इंटेलीस्मार्ट इंफ्रास्ट्रक्चर के 27,823 से अधिक स्मार्ट प्रीपेड मीटर में ‘वोल्टेज जीरो’ की स्थिति पाई गई है, जबकि इन सभी में करेंट उपलब्ध हैं। यह असंभव स्थिति जांच का विषय है। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम में पांच, मध्यांचल विद्युत वितरण निगम में 46 तथा दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के कार्यक्षेत्र में पांच मामले ‘वोल्टेज जीरो’ के सामने आए हैं।

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