UP News: एक्स-रे टेक्नीशियन भर्ती घोटाले की खुली पोल, जांच रिपोर्ट में सामने आए चौंकाने वाले तथ्य
उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य विभाग में 2016 में हुई एक्स-रे टेक्नीशियन भर्ती में गड़बड़ी सामने आई है। जांच टीम ने शासन को रिपोर्ट सौंप दी है। अर्पित सिंह के नाम पर नौकरी कर रहे पांच फर्जी टेक्नीशियन फरार हैं। नियुक्ति पत्र जारी करने में अनियमितता पाई गई है जिसमें तत्कालीन निदेशक पैरामेडिकल और अन्य अधिकारी जांच के दायरे में हैं। आगे की कार्रवाई शासन के निर्देशानुसार की जाएगी।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। स्वास्थ्य विभाग में वर्ष 2016 में हुई 403 एक्स-रे टेक्नीशियन की नियुक्ति में गड़बड़ी की गई थी। स्वास्थ्य महानिदेशालय की तीन सदस्यीय टीम की जांच में यही तथ्य सामने आए हैं। टीम ने अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप दी है।
जांच में अर्पित सिंह के नाम से फर्जी तरीके से कार्य कर रहे पांचों एक्स-रे टेक्नीशियन फरार मिले हैं। शामली, रामपुर, बांदा, फर्रुखाबाद, मैनपुरी के मुख्य चिकित्सा अधिकारियों (सीएमएस) से मिली रिपोर्ट के बाद तीन सदस्यीय टीम ने इस फर्जीवाड़े जांच की थी।
स्वास्थ्य महानिदेशालय के सूत्रों के अनुसार, वर्ष 2016 में अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूपीएसएसएससी) से मिली चयन सूची के बाद महानिदेशालय स्तर नियुक्ति पत्र जारी करने के दौरान यह फर्जीवाड़ा किया गया।
पहले फर्जी नियुक्ति पत्र जारी किए गए इसके बाद उनका सत्यापन करने में भी गड़बड़ी की गई। तत्कालीन निदेशक पैरामेडिकल डॉ. एसी त्रिपाठी के हस्ताक्षर से सभी नियुक्ति पत्र जारी हुए थे। जबकि उस दौरान स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. सुनील कुमार श्रीवास्तव थे।
दोनों ही अधिकारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं। इसके अलावा निदेशक पैरामेडिकल के अनुभाग के लिपिक और कार्यालय अधीक्षक भी जांच के दायरे में हैं। शासन के निर्देश मिलने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
गौरतलब है कि स्वास्थ्य विभाग में वर्ष 2016 में हुई 403 एक्स-रे टेक्नीशियन की नियुक्ति में यूपीएसएसएससी से चयनित अर्पित सिंह के नाम से छह अन्य लोग भी अलग-अलग जिलों में नौकरी कर रहे थे।
जन सूचना के अधिकार से खुलासा हुआ कि असली अर्पित सिंह हाथरस में नौकरी कर रहा था, जबकि अन्य भी उसी नाम से बलरामपुर, शामली, रामपुर, फर्रुखाबाद, रामपुर और अमरोहा में कार्य कर रहे थे।
इस मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग ने लखनऊ के वजीरगंज थाने में फर्जी तरीके से नौकरी करने वाले पांच लोगों के खिलाफ एफआईआर कराई गई थी। इसके अलावा निदेशक पैरामेडिकल डॉ. रंजना खरे की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय टीम इस मामले की जांच कर रही थी।
स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. रतन पाल सुमन के अनुसार जांच रिपोर्ट शासन को सौंप दी गई है। वहां से दिशा-निर्देश मिलने के बाद आगे की कार्रवाई होगी। वर्ष 2008 में चयनित 79 एक्स-रे टेक्नीशियन के स्थान पर 140 को नियुक्ति देने के मामले में सभी सीएमओ से रिपोर्ट मांगी गई है। दो-तीन दिन में पूरी रिपोर्ट आने की उम्मीद है। इसके बाद ही कुछ कहा जा सकता है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।