Potato Prices: बढ़ रही लागत और मुनाफा हो रहा कम... आलू के नहीं मिल रहे अच्छे दाम, किसानों परेशान
किसान आलू लागत से कम पर बेचने को मजबूर हैं। किसानों ने अच्छे भाव की उम्मीद में शीतगृहों में आलू का भंडारण किया था लेकिन अब पूर्वांचल और नेपाल से मांग कम होने के कारण निकासी धीमी है। उद्यान विभाग किसानों को जागरूक कर रहा है पर किसान बेहतर कीमत की उम्मीद में निकासी नहीं कर रहे जिससे नुकसान का खतरा बढ़ रहा है।

जागरण संवाददाता, मैनपुरी। शीतगृहों से आलू की निकासी का वक्त करीब आ चुका है, लेकिन बाजार में आलू की कीमतों में कोई सुधार नहीं हो रहा है, जिससे किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें हैं। किसानों का कहना है कि वाजिब भाव न मिलने के कारण उन्हें लागत से कम पर आलू बेचना पड़ रहा है।
जिले में आलू का उत्पादन किसान भारी मात्रा में करते हैं। पिछले दो सालों में आलू का भाव अच्छा रहा था, जिसके बाद किसानों ने रकबा भी बढ़ाया था। पैदावार भी अच्छी हुई। जिले में इस साल लगभग 22 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में आलू की पैदावार हुई थी। बाद में अच्छा भाव मिलने की उम्मीद में किसानों व व्यापारियों ने शीतगृहों में आलू का भंडारण किया था।
उद्यान विभाग के आंकड़ों की मानें तो अब तक मात्र 142382.88 मीट्रिक टन ही आलू की निकासी हो चुकी है। जबकि जिले के 66 शीतगृहों में 564563.35 मीट्रिक टन का आलू का भंडारण हुआ था।
बढ़ रही लागत, मुनाफा हो रहा कम
एक बीघा जमीन में आलू पर करीब 13 हजार रुपये लागत आती है। एक बीघा खेत में करीब 45 से 50 पैकेट आलू पैदा होता हैं। इस हिसाब से आलू के एक पैकेट पर करीब 289 रुपये की लागत लगती है। इसमें किसान की मेहनत और ट्रांसपोर्ट का खर्च अलग है। हर साल लागत बढ़ रही है। इस समय शीतगृह से करीब 300 से 500 रुपये प्रति पैकेट के हिसाब से आलू बिक रहा है।
शीतगृह से निकल उपभोक्ता तक पहुंचने में तीन गुना हो रहा भाव
किसानों का आलू शीतगृह और मंडी में सस्ते दामों पर बिक रहा है, लेकिन बाजार में आम आदमी को तीन गुने दामों पर आम आलू खरीदना पड़ रहा है। बाजार में इस समय आलू का भाव 20 रुपये प्रति किलो से 25 रुपये प्रति किलोग्राम है।
आलू की फसल में लागत बहुत लगती है। इस हिसाब से भाव अच्छा नहीं मिल रहा है। इससे किसान को नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। - गजेंद्र मिश्रा, बेवर
आलू की निकासी इस वर्ष न के बराबर हो रही है। व्यापारियों की माने तो पूर्वांचल व नेपाल से आलू की डिमांड नहीं आ रही है। अगर समय रहते आलू की निकासी न हुई तो भारी नुकसान होने की संभावना है। - पंकज चौहान, शीतगृह संचालक
आलू की निकासी के लिए किसानों को जागरूक किया जा रहा है। किसान रेट बढ़ने की उम्मीद में आलू की निकासी नहीं कर रहे हैं। अगर समय रहते आलू की निकासी न की तो किसानों को नुकसान होने की संभावना बढ़ेगी। -अनूप कुमार चतुर्वेदी, जिला उद्यान अधिकारी
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