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    बांकेबिहारी के सेवायत बैठक में भिड़े, इस बात को लेकर मीटिंग में शुरू हुई गाली-गलौज, आठवीं बैठक भी बेनतीजा 

    Updated: Fri, 21 Nov 2025 06:45 AM (IST)

    ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर के प्रबंधन के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित उच्चाधिकार प्रबंधन समिति की आठवीं बैठक बिना किसी विशेष निर्णय के समाप्त हो गई। तीन घंटे तक चली बैठक में सेवायतों के बीच विवाद हुआ। गर्भगृह के बाहर कलश रखने और उसमें दान-दक्षिणा रखने को लेकर समिति ने हटाने का निर्देश दिया, लेकिन एक सेवायत ने इसका विरोध किया।    

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    जागरण संवाददाता, मथुरा। ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर के लिए प्रबंधन के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित उच्चाधिकार प्रबंधन समिति की आठवीं बैठक भी बिना कोई विशेष निर्णय के समाप्त हो गई। करीब तीन घंटे तक चली बैठक में सदस्य सेवायतों के बीच जो हुआ, उसने मर्यादा तोड़ दीं। गर्भगृह के बाहर जगमोहन सेवाधिकारी कलश रखते हैं, इसमें दान-दक्षिणा रखी जाती है। समिति ने इसे हटाने को कहा, तो एक सेवायत ने आपत्ति जताई।

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    दूसरे सेवायत ने हटाने का समर्थन किया। फिर क्या था, दोनों में जो गाली -गलौज हुई, उसमें बैठक में मौजूद महिला अधिकारी भी असहज हो गईं। किसी तरह दोनों को शांत कराया गया। वृंदावन के शहीद लक्ष्मण सिंह सभागार में समिति के कार्यालय में शाम करीब पौने छह बजे बैठक में समिति अध्यक्ष सेवानिवृत्त न्यायाधीश अशोक कुमार की अध्यक्षता में शुरू हुई। बैठक में अध्यक्ष अशोक कुमार ने कहा कि जगमोहन पर सेवाधिकारी पैसे रखने के लिए कलश रखते हैं, यह ठीक नहीं है, कल से इसे हटाया जाए।

    हटाने से किया इनकार 

    इस पर सदस्य सेवायत शैलेंद्र गोस्वामी ने इसे हटाने से इनकार कर दिया। इस पर दूसरे सदस्य सेवायत दिनेश गोस्वामी ने आपत्ति जताई। कहा कि कलश के नाम पर लूट हो रही है। यदि नहीं हटा तो मैं अपने पद से इस्तीफा दे दूंगा। सेवायत जगमोहन पर गद्दी लगाकर बैठते हैं, यह परंपरा के विरुद्ध है। इस पर दोनों सेवायतों के बीच खूब गाली-गलौच हुई। मर्यादा की सारी सीमाएं टूट गईं। बैठक में मौजूद महिला अधिकार भी असहज हो गईं। हालांकि बाद में उन्होंने अध्यक्ष से ऐसी गाली-गलौच बैठक में होने पर आपत्ति जताई। किसी तरह दोनों को शांत किया गया। समिति ने मंदिर की दान पेटिका खोलने पर विचार किया। कहा कि सोना चांदी व नकली सामान की भी सूची बने।

    बैंक से नोट गिनने की मशीन मांगें और स्थायी रूप से मंदिर में रखें। चार वकील नोट गिनने के लिए रखे जाते हैं। उन पर खर्च होता है। इसके बाद भी कई बार गड़बड़ी मिली। ऐसे में वकील अब नहीं रखे जाएंगे। दिसंबर में गोलक खुलने पर प्रबंधन समिति का सदस्य मानीटरिंग करेगा और गणना में नियुक्त व्यक्ति, प्रबंधन, बैंक कर्मी आदि गणना करेंगे। पहले की तरह गणना नहीं होगी। बैठक में दिल्ली की एक कंपनी को लाइव स्ट्रीमिंग के लिए चयनित किया गया। वह मंदिर के बाहर और अंदर श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए लाइव स्ट्रीमिंग की व्यवस्था करेगी।

    अधिवक्ता की नियुक्ति पर चर्चा हुई

    इसके बाद ही मोबाइल ले जाने पर प्रतिबंध का निर्णय लिया जाएगा। मंदिर के विधिक मामलों के लिए एक अधिवक्ता की नियुक्ति पर चर्चा हुई। अभिलेखों के लिए मुख्य लेखाधिकारी एवं वरिष्ठ सहायक लेखाधिकारी की नियुक्ति पर चर्चा हुई। चालीस हजार पारिश्रमिक देने की बात तय हुई। वाईके गुप्ता एंड कंपनी चार्टर्ड एकाउंटेंट द्वारा मंदिर की आडिट रिपोर्ट प्रस्तुति की गई। इस पर गहमागहमी भी रही। पता चला कि वर्ष 2012-13 में सिक्योरिटी एजेंसियों के सुरक्षाकर्मियों पर आठ लाख खर्च हुआ, जबकि 13-14 में 34 लाख। सिक्योरिटी एजेंसी बदली तो खर्च बढ़ गया। टेंडर के डाक्यूमेंट भी नहीं मिल पाए।

    जवाब मिला कि गार्डों की संख्या बढ़ी। इस पर समिति अध्यक्ष ने सारी प्रक्रिया समझी। समिति ने कहा कि यह सब आज बताया जा रहा है, सारा खेल चल रहा है। सदस्य सेवायत श्रीवर्धन गोस्वामी ने कहा कि एक सिक्योरिटी गार्ड ने 11 साल की बच्ची से अभद्र व्यवहार किया। इज्जत बचाने को स्वजन चुपचाप चले गए। एजेंसी ठीक नहीं।

    बैठक में तय हुआ कि मंदिर चबूतरे से दुकानें व अन्य अतिक्रमण एक सप्ताह में हटाने के निर्देश दिए। विहार पंचमी पर 25 नवंबर को निधिवन से भव्य शोभायात्रा निकलेगी। बीते वर्ष 4.60 लाख खर्च हुए थे, इस बार सात लाख रुपये खर्च बढ़ाया गया। जबकि गोस्वामी दस लाख खर्च पर अड़े थे। ठाकुर जी का भोग तैयार करने को एक हलवाई की नियुक्ति हुई।

    भूमि अधिग्रहण को बढ़ाया गया सर्किल रेट

    समिति ने बताया कि मंदिर गलियारा के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू की गई है। पहले सर्किल रेट दस हजार रुपये प्रति वर्गमीटर था। इसे बढ़ाकर आवासीय का 22 हजार रुपये किया गया है। व्यवसायिक का 90 हजार है, जो पहले 28 हजार ही था। निर्माण का 16 हजार वर्गमीटर के हिसाब से मुआवजा दे सकते हैं। जिनकी दुकानें जाएंगी, उन्हें गलियारा में दुकान मिलेंगी। सदस्य सेवायत दिनेश गोस्वामी ने बताया कि रजिस्ट्री का कोई पैसा भी प्रशासन नहीं लेगा।

    शैलेंद्र गोस्वामी ने कहा कि गलियारा की जरूरत ही नहीं है, जबकि सेवायत श्रीवर्धन गोस्वामी ने बाजार मूल्य से मुआवजा देने की बात कही। प्रशासन ने सेवायत और अन्य लोगों को पुनर्वासित करने के लिए एमवीडीए फ्लैट का टेंडर निकालेगा। फ्लैट सब्सिडी पर दिए जाएंगे।