दो साल बाद महके फूल, खिलखिलाया आंगन
कोविडकाल में लाकडाउन के चलते बंद रहे थे मंदिरों के पट फूलों की हुई थी बेकदरी

संस, वृंदावन : कोविडकाल में फूलों की खुशबू में ग्रहण लगा, दो साल तक फूलों की बेकदरी हुई, लेकिन अब आराध्य की सेवा में फूल भी महक रहे हैं। फूलों के कारोबार से जुड़े लोगों का आंगन भी खुशियों से खिलखिला रहा है।
पिछले दो साल कोविड का लगातार खतरा रहा। लाकडाउन खुला तो मंदिरों के पट काफी समय तक बंद रहे। ऐसे में मंदिरों में फूल बंगले नहीं सजे। हाल ये हुआ कि फूलों की बेकदरी होने लगी। न फूल बाहर भेजे जा रहे थे और न ही यहां उनको कीमत मिल पा रही थी। श्रद्धालु नहीं आ रहे थे, तो फूलबंगला की सेवा करने वाले भक्त भी न थे और न ही माला खरीदकर आराध्य को अर्पित करने वाले श्रद्धालु। यही कारण था कि उपमंडी समिति में फूल विक्रेताओं के फड़ तक जो भी फूल पहुंचता था, उसकी मजदूरी तक किसान को नहीं मिल पाती थी। इसलिए दोनों ही सालों में गर्मी के दिनों में फूलों को खेतों में ही फेंकने को किसान मजबूर हुए। फूलों के कारोबार से प्रत्यक्ष और प्रत्यक्ष रूप से जुड़े लोगों ने दूसरे धंधे अपना लिए। लेकिन इस साल फूलों की खुशबू से घर-आंगन महक रहे हैं। इस बार फूलों में बहार है। गर्मी में मंदिरों में फूल बंगले सज रहे हैं, ऐसे में फूलों की मांग काफी बढ़ गई है। -ये हैं फूलों के दाम
-गुलाब: 70 रुपये किलो
-कमल: 2 रुपये का एक फूल
-बेला: 120 रुपये किलो
-गिलैटी: 40 रुपये किलो
-तुलसी: 25 रुपये किलो
-कमलगट्टा: 50 रुपये किलो

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