Sant Premanand: संत ने किया जगद्गुरु सुतीक्ष्णदास का वंदन, नाभापीठाधीश्वर के साथ आध्यात्मिक मिलन
वृंदावन में नाभापीठाधीश्वर जगद्गुरु स्वामी सुतीक्ष्णदास ने संत प्रेमानंद से भेंट की। उन्होंने ब्रज के रसिक संत रामदास के जीवन पर चर्चा करते हुए बताया ...और पढ़ें

Sant Premanand: नाभापीठाधीश्वर जगद्गुरु स्वामी सुतीक्ष्णदास के साथ चर्चा करते संत प्रेमानंद।
संवाद सहयोगी, जागरण, वृंदावन (मथुरा)। संत प्रेमानंद से मिलने शनिवार की सुबह नाभापीठाधीश्वर जगद्गुरु स्वामी सुतीक्ष्णदास श्रीराधा केलिकुंज पहुंंचे। यहां संत प्रेमानंद के समक्ष जगद्गुरु सुतीक्ष्णदास ने ब्रज के रसिक संत रामदास के जीवन चरित्र पर चर्चा की।
कहा उन्हें साक्षात ईश्वर के दर्शन हुए। वे भी आपकी तरह भक्तों के सवालों के उत्तर देकर संतुष्टि देते थे।
परिक्रमा मार्ग स्थित श्रीराधा केलिकुंज में शनिवार की सुबह साढ़े सात बजे नाभापीठ सुदामा कुटी के पीठाधीश्वर जगद्गरु सुतीक्ष्णदास देवाचार्य पहुंचे तो संत प्रेमानंद ने उनका जोशीला स्वागत किया।
उन्हें आसन पर बिठाया और उनके समक्ष नीचे जमीन पर आसन लेकर संत प्रेमानंद बैठ गए। इस दौरान जगद्गुरु सुतीक्ष्णदास ने उन्हें ब्रज के संत रामदास के जीवन चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि वे भी आपकी तरह कथा प्रवचन के बाद भक्तों के सवालों का जवाब देकर संतुष्ट करते थे।
एक बार किसी भक्त ने उनसे ईश्वर दर्शन की इच्छा जताई तो उन्होंने कहा जिसे ईश्वर के दर्शन करने हों रात 10 बजे मेरे पास आ जाए। ये जानते ही भक्तों की भीड़ उनके पास रात 10 बजे पहुंच गई। सभी ने संकीर्तन शुरू किया।
आधी रात गुजर गई, तीसरा प्रहर शुरू हो गया। सब चले गए। केवल संत रामदास ही बचे। तब संत ने ईश्वर से आह्वान किया कि प्रभु मेरी तो इच्छा यही है कि आप केवल मुझे ही दर्शन दें।

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