संत प्रेमानंद से मिलने पहुंचे शिल्पा शेट्टी और राज कुंद्रा, अपनी किडनी देने की अपील की तो महाराज ने कही ये बात
अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी और उनके पति राज कुंद्रा ने वृंदावन में संत प्रेमानंद से आशीर्वाद लिया। संत प्रेमानंद ने उन्हें नामजप करने का संदेश दिया और कहा कि जीवन एक अभिनय है जिसे सुंदर बनाने के लिए हमेशा नामजप करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि हमें परमात्मा का चिंतन करना चाहिए और भगवान का नाम संकीर्तन ही असली खुशी है।

संवाद सहयोगी, वृंदावन। सिनेतारिका शिल्पा शेट्टी अपने पति राज कुंद्रा के साथ गुरुवार की सुबह संत प्रेमानंद से एकांतिक वार्ता में आशीर्वाद लेने पहुंचे तो संत प्रेमानंद ने उन्हें नामजप करने का संदेश दिया। कहा ये परमानंद का बाजार है, इसमें संतों के वचन जितने लूट सकते हो लूट लो।
जीवन भी एक अभिनय है, जिसे सुंदर करने के लिए हमें हमेशा नामजप करना चाहिए। ताकि दूसरा जन्म भी हमें मिले तो देश दुनिया की सेवा करने का मौका मिले। न कि किसी जीव जंतु के रूप में धरती पर पैदा हों। अगला जन्म सफल करने के लिए नामजप सबसे सरल उपाय है।
श्रीराधा केलिकुंज में गुरुवार की सुबह साढ़े छह बजे सिनेतारिका शिल्पा शेट्टी एवं उद्योगपति राज कुंद्रा संत प्रेमानंद का आशीर्वाद लेने पहुंचे। संत प्रेमानंद ने कहा जीवन भी एक अभिनय है, कोई पति, कोई पत्नी, कोई माता या पिता का अभिनय कर रहा है।
अभिनय करते हुए हमें जीवन व्यतीत करना है। लेकिन, जीवन किसके लिए व्यतीत करना है, ये सबसे बड़ा प्रश्न है। इसका समाधान चाहिए। हम धन कमाते हैं अपने भाेग व सुविधा के लिए। सुविधा अपने जीवन के लिए तो सवाल ये कि जीवन किसके लिए। जीवन अगर परमात्मा के लिए है, तो हमारा जीवन धन्य हो गया।
अगर नहीं तो आपका न अभिनय व धन और न शरीर रहेगा। एक समय वो आयेगा, जो हमारा नाम चिन्ह भी मिटा देगा। इसलिए हमें परमात्मा का चिंतन करना चाहिए। धीरे धीरे काल के गर्त में सब चला जाता है। लेकिन, ये खुशी नहीं। असली खुशी भगवान का नाम संकीर्तन है। आप को भगवान ने वृंदावन भेजा है तो नामजप का नियम ले लो।
शिल्पा शेट्टी ने सवाल किया आप बताएं हमें क्या करना है, तो संत प्रेमानंद बोले एक काउंटर लें और उसमें दस हजार नाम 24 घंटे मंे जप लीजिए। फिर आप देखिए हर परिस्थति को मटियामेट करके परमानंद में निमग्न करने वाला प्रभु का नाम है। मेरी दोनो किडनी फेल हैं, हर कष्ट बाहर है। लेकिन, अंदर जो आनंद है, वह कहा नहीं जा सकता।
मृत्यु का किंचिन मात्र भय नहीं है। ये बाजार परमानंद का बाजार है, ये लूट लो और संतों के वचन मानकर चल लो तो मंगल हो जाएगा। नहीं तो भगवान का नाम, लीला सब अर्थ प्रधान हो गया है। अध्यात्म कभी बिकता नहीं जो बिकता है वह अध्यात्म हो नहीं सकता। जो स्वयं परमात्मा में बिक गया, उसकी का जगत में परिवर्तन होता है।
दंपति ने सवाल किया अभी तो हम प्रसन्न हैं, आगे क्या होगा? अलग से क्या अानंद होता है़? संत प्रेमानंद बोले ये प्रसन्नता अस्थाई है, मृत्यु आने वाली है। यही अज्ञान की दशा है कि हम अगले कदम को नहीं सोचते। महाराजा नहुस अपने पुण्यबल से इंद्र की पदवी पर गए और इंद्र पदवी पर देवराज की पत्नी पर गलत दृष्टि से अजगर पदवी पर आ गए।
आज हमें पीड़ा है तो चिकित्सा कर सकते हैं। लेकिन, कल जब कीड़े-मकोड़े, पशु पक्षी बनेंगे तो क्या होगा? शरीर परिवर्तनशील है। तो हमें पुण्य, तप, नामजप, तीर्थाटन करना चाहिए। कि हमारा अपना अगला जन्म फिर मनुष्य का हो और देश और दुनिया की सेवा कर सकूं। कब मृत्यु आए पता नहीं। इसलिए हमेशा नामजप करें। अगर मान सको तो कोई नशा न करो।
राज कुंद्रा ने संत प्रेमानंद से की अपनी किडनी देने की अपील
राज कुंद्रा ने कहा मैं पिछले दो वर्ष से आपको इंस्टाग्राम पर फोलो कर रहा हूं। मैं जानता हूं आपकी किडनी फेल हैं, आज में अपनी एक किडनी आपके नाम करना चाहता हूं। तो संत प्रेमानंद ने इंकार करते हुए कहा आम स्वस्थ रहो। में भगवान की कृपा से स्वस्थ हूं। जब तक उनका बुलावा नहीं आएगा। तब तक में रहूंगा। आपका सद्भाव हमें स्वीकार है। आप नामजप करते रहो।
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