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    यूपी में सपा विधायक सुधाकर सिंह का निधन, उपचुनाव में कैबिनेट मंत्री को दी थी शिकस्त

    Updated: Thu, 20 Nov 2025 09:31 AM (IST)

    घोसी विधानसभा क्षेत्र के सपा विधायक सुधाकर सिंह का लखनऊ के मेदांता अस्पताल में निधन हो गया। वह मुख्तार अंसारी के बेटे के विवाह समारोह से लौटते समय बीमार हो गए थे। उन्होंने उपचुनाव में कैबिनेट मंत्री दारा सिंह चौहान को हराया था। सुधाकर सिंह छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय थे और आपातकाल में जेल भी गए थे। वह जिले के कद्दावर नेताओं में गिने जाते थे।

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    जागरण संवाददाता, मऊ। विधानसभा क्षेत्र घोसी के सपा विधायक 67 वर्षीय सुधाकर सिंह का गुरुवार को सुबह सात बजे उपचार के दौरान मेदांता अस्पताल लखनऊ में निधन हो गया है। विधायक सुधाकर सिंह दो दिन पहले मुख्तार अंसारी के बेटे मऊ सदर से विधायक अब्बास अंसारी के छोटे भाई उमर अंसारी के वैवाहिक मांगलिक कार्यक्रम में शामिल होकर दिल्ली से लौट रहे थे।

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    वाराणसी एयरपोर्ट पर ही उनकी तबीयत खराब हुई। परिजनों ने वाराणसी में एक निजी अस्पताल भर्ती किया था। हालत खराब देखते हुए वाराणसी से लखनऊ के मेदांता अस्‍पताल के लिए रेफर कर दिया। यहां आज सुबह उनका निधन हो गया। वह 10 साल से हार्ट के मरीज थे। उन्होंने विधानसभा के उपचुनाव में उन्होंने भाजपा प्रत्याशी कारागार मंत्री दारा सिंह चौहान को कड़ी शिकस्त दी थी।

    घोसी नगर से सटी ग्राम पंचायत भावनपुर निवासी स्व. कुलदीप सिंह के चार पुत्रों में तीसरे नंबर के पुत्र सुधाकर सिंह छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय भागीदारी करने लगे। आपातकाल के दौरान मात्र 17 वर्ष की आयु में जयप्रकाश नारायण के समग्र क्रांति आंदोलन में भाग लेने के कारण जेल भेजा गया।

    जेल से निकलने के बाद सुधाकर सिंह ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। भारतीय जनता युवा मोर्चा के जिला महामंत्री बने। 1977-78 व 1978-79 सत्र में सर्वोदय डिग्री कॉलेज घोसी के अध्यक्ष चुने गए। वर्ष 1996 में प्रथम बार विधानसभा क्षेत्र नत्थूपुर (अब मधुबन) से विधायक बने।

    वर्ष 2012 में कैबिनेट मंत्री रहे फागू चौहान को हराया तो 5 सितंबर 2023 को हुए उपचुनाव में कैबिनेट मंत्री दारा चौहान को पराजित कर इंडी गठबंधन को प्रथम जीत दिलाई।

    सुधाकर सिंह जिले के उनका कद्दावर नेताओं में शामिल थे जिन्होंने कभी न दिल बदल न दल बदला हालांकि दो बार पार्टी से निष्कासित भी किए गए। जन समस्याओं को लेकर धरना प्रदर्शन व आंदोलन के चलते उन्हें कई बार जेल जाना पड़ा। आज भी विभिन्न न्यायालय में कई मुकदमे विचाराधीन हैं।