"अंग्रेजों के जमाने के जेलर" ने बच्चों से कही थी बहुत बड़ी बात, यूपी के इस शहर से जुड़ी हैं असरानी की अनेक यादें
Asrani passes away : मशहूर अभिनेता असरानी के निधन पर मेरठ में उनके प्रशसंकों ने शोक व्यक्त किया है। इस शहर में उन्हें खास लगाव रहा। यहां उनका कई बार आगमन हुआ। वह दैनिक जागरण कार्यालय भी पहुंचे थे। उन्होंने शोले का चर्चित डायलाग हम अंग्रेजों के जमाने के जेलर हैं....सुनाया तो पूरा न्यूज रूम तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा था।

मेरठ में आयोजित कार्यक्रम में बच्चों के साथ अभिनेता असरानी का फाइल फोटो
जागरण संवाददाता, मेरठ। सोमवार को फिल्म अभिनेता व कामेडी किंग गोवर्धन असरानी के निधन से मेरठ के दर्शक व उनके प्रशंसक गमगीन हैं। इस शहर में उनका कई बार आगमन हुआ। यहां दैनिक जागरण कार्यालय में उन्होंने अपना डायलाग हम अंग्रेजों के जमाने के जेलर हैं... सुनाया था।
करीब तीन सौ से अधिक फिल्मों में अपने यादगार अभिनय और फिल्म शोले के डायलाग ने उन्हें फिल्म जगत में अमर कर दिया। फिल्म अभिनेता असरानी 12 नवंबर 2017 में मेरठ आए। उन्होंने वेंक्टेश्वरा वर्ल्ड स्कूल में सेलिब्रेटिंग जिंदगी जियो जी भर के कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की।
उनका कहना था कि पुराने समय में फिल्म डायरेक्टर हमसे जो कराते थे, हम करते, लेकिन युवा पीढ़ी में गजब की प्रतिभा है। यही नहीं युवा पीढ़ी किसी और से नहीं बल्कि स्वयं से सीखकर इनोवेटिव तरीके से काम कर रहे हैं। स्कूल में पहुंचने पर असरानी ने यह भी कहा था कि मेरठ में जो प्यार और सम्मान उन्हें मिला, वह आज तक कहीं नहीं मिला। चाहे देश हो या विदेश, ऐसा अपनापन, प्यार और सम्मान हमेशा इसी शहर से मिला है।
बच्चों को संस्कारी बनाने का दिया था संदेश
असरानी का कहना था कि पुराने समय में फिल्में काफी-साफ सुथरी होती थी, लेकिन अब हर किस्म की फिल्म बनने लगी हैं। फिल्म इंडस्ट्री भी काफी ब्राड हो गई है। ऐसे में स्कूलों की जिम्मेदारी हैं कि वे बच्चों को बेहतर संस्कार दें। पढ़ाई-लिखाई सब कराते हैं लेकिन जो संस्कार दे रहे हैं, आज के जमाने में वही हिट हैं। बच्चों को संस्कारों को अपनाने पर बल दिया था।
दैनिक जागरण न्यूज रूम में भी शोले के डायलाग पर खूब बजी तालियां
फिल्म अभिनेता असरानी 12 फरवरी 2016 को दिल्ली रोड स्थित दैनिक जागरण कार्यालय में पहुंचे थे।। उन्होंने कार्यालय के न्यूज रूम में पहुंचकर फिल्म शोले के चर्चित डायलाग एटेंशन...हम अंग्रेजों के जमाने के जेलर हैं....सुनाया तो पूरा न्यूज रूम तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। डायलाग सुनाने के बाद मेरठ शहर के बारे में विचार साझा किया। यहां के लोगों की जिंदादिली व अपनत्व की खूब सराहना की। साथ ही फिर मिलने के वायदे के साथ विदा ली।
मेरठ में 52 सप्ताह चली थी शोले
मेरठ सिनेमा प्रदर्शक संघ के अध्यक्ष अजय गुप्ता का कहना है कि फिल्म शोले मेरठ के घंटाघर स्थित मेनका सिनेमा में 15 अगस्त-1975 को रिलीज होने के बाद पूरे 52 सप्ताह चली थी। फिल्म में उनके डायलाग ने मेरठ के दर्शकों को भी खूब गुदगुदाया था।
कलाकारों ने दी श्रद्धांजलि
मालीवुड कलाकार जय कुमार का कहना है कि वे वर्ष-2018 में भी द अध्ययन स्कूल शताब्दीनगर में आए थे। शकील अहमद, मुकेश शर्मा, अफजाल सैफी, जसप्रीत, उर्वशी, रजनीश व सोफिया खान व जोगेंद्र कुमार ने बच्चा पार्क स्थित कार्यालय पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
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