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    पश्चिमी UP में मिला सबसे खतरनाक 'डेंगू-2 स्ट्रेन', लक्षण और बचाव के क्या उपाय हैं? डॉक्टरों से समझें

    Updated: Fri, 07 Nov 2025 08:33 AM (IST)

    मेरठ में लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज की रिपोर्ट के अनुसार, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में डेंगू-2 और डेंगू-3 स्ट्रेन सक्रिय हैं, जिनमें डेंगू-2 सबसे खतरनाक है। यह रक्तस्रावी बुखार और डेंगू शॉक सिंड्रोम का कारण बन सकता है। 70 मरीजों के अध्ययन में 33 में ये स्ट्रेन पाए गए। यह जानकारी आईसीएमआर को भेजी जाएगी, जिससे वैक्सीन विकास में मदद मिलेगी।

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    जागरण संवाददाता, मेरठ। डेंगू बुखार के बढ़ते खतरे की बीच लाला लाजपत राय मेडिकल कालेज के माइक्राबायोलाजी विभाग की चौकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है। रिपोर्ट में पश्चिमी उप्र में डेंगू-2 स्ट्रेन और डेंगू-3 स्ट्रेन सबसे अधिक सक्रिय पाया गया है। इसमें डेंगू-2 स्ट्रेन सबसे खतरनाक होता है।

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    यह रक्तस्रावी बुखार और डेंगू शाक सिंड्रोम की स्थिति पैदा करता है। जो जानलेवा हो सकता है। यही वजह है कि मेरठ सहित पश्चिमी उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों में डेंगू शाक सिंड्रोम के मामले अधिक सामने आ रहे हैं।

    डेंगू के वायरस के सीरोटाइप का पता लगाने के लिए माइक्राबायोलाजी विभाग ने पहली बार सीरोटेपिंग अध्ययन किया है। डेंगू के करीब 70 मरीजों के ब्लड सैंपलों पर पीसीआर के जरिए अध्ययन किया गया। जिनमें से 33 मरीजो में डेन-2 (डेंगू-2) और डेन-3 (डेंगू-3) सीरोटाइप सक्रिय मिला। डेन-2 स्ट्रेन को सबसे खतरनाक माना जाता है।

    यह स्ट्रेन डेंगू रक्तस्रावी बुखार और डेंगू शाक सिंड्रोम की स्थिति पैदा करता है। जो जानलेवा हो सकती है। अध्ययन करने वाले माइक्रोबायोलाजी विभागाध्यक्ष डा. अमित गर्ग का कहना है कि आइसीएमआर ( इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च ) को यह डेटा भेजा जाएगा। इसका फायदा ये होगा कि डेंगू-2 की रोकथाम के लिए वैक्सीन विकसित करने में मदद मिलेगी।

    प्लेटलेट्स तेजी से गिरती है, मसूड़ों से आने लगता है खून

    डेंगू वायरस के चार सीरोटाइप डीईएनवी-1 (डेंगू-1),डीईएनवी-2 (डेंगू-2),डीईएनवी-3 (डेंगू-3) और डीईएनवी-4(डेंगू-4) होते हैंं। इनमें डेंगू-2 खतरनाक है। इसमें प्लेटलेट्स तेजी से गिरकर 10 हजार से नीचे पहुंच जाती है। नाक, मसूड़ों से खून आना, उल्टी व मल में खून आने की गंभीर स्थिति बनती है। ब्लड प्रेशर अचानक कम हो जाता है।

    जिससे मरीज बेहोश हो सकता है और गुर्दे, लिवर अंग काम करना बंद कर सकते हैं। इसमें तेज बुखार, पेट में गंभीर दर्द, उल्टी, सांस लेने में तकलीफ, अत्यधिक थकान के लक्षण मरीज में आते हैँ।