करोड़ों खर्च होने बावजूद वायु स्वच्छता में यूपी के इस जिले की स्थिति हुई और खराब, नोएडा-गाजियाबाद को भी छोड़ा पीछे
जगह - जगह फैला कूड़ा फैक्ट्रियों की चिमनी और खटारा वाहनों से निकलता काला धुआं शहर की हवा सांस लेने योग्य नहीं है। स्वच्छ वायु सर्वेक्षण 2025 की रिपोर्ट कम से कम यही बताती है। 48 शहरों की सूची में मेरठ 33 वें स्थान पर रहा। यह वह शहर हैं जिनकी आबादी 10 लाख से अधिक है।

जागरण संवाददाता, मेरठ। जगह - जगह फैला कूड़ा, फैक्ट्रियों की चिमनी और खटारा वाहनों से निकलता काला धुआं, शहर की हवा सांस लेने योग्य नहीं है। स्वच्छ वायु सर्वेक्षण 2025 की रिपोर्ट कम से कम यही बताती है। 48 शहरों की सूची में मेरठ 33 वें स्थान पर रहा।
यह वह शहर हैं जिनकी आबादी 10 लाख से अधिक है। कचरा प्रबंधन पर करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी गत वर्ष की तुलना में एक अंक की गिरावट हुई है। गाजियाबाद, दिल्ली जैसे शहरों से मेरठ की स्थिति बदतर है।
महत्वपूर्ण बात यह है कि करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद मेरठ की स्थिति सुधरने की बजाए निचले पायदान पर आई है। स्वच्छ वायु सर्वेक्षण 2025 की रिपोर्ट में मेरठ को 174.5 अंक मिले हैं जबकि फाइनल स्कोर 156.5 है। गत वर्ष मेरठ का फाइनल स्कोर 157. 5 अंक मिले थे और उसका स्थान 25 वां था।
इस बार गाजियाबाद को 183 अंक मिले हैं वह सूची में 12 वें नंबर पर है। गाजियाबाद की स्थिति में सुधार हुआ है और गत वर्ष वह 18 वें नंबर पर था। जबकि दिल्ली जो 32 वें नंबर पर उसका फाइनल स्कोर 157.3 है। दिल्ली की हालत में भी खासी गिरावट दर्ज की गई है यह गत वर्ष वह 181 के फाइनल स्कोर के साथ सातवें नंबर पर था।
मेरठ की स्थिति में गिरावट के पीछे मुख्य कारण सड़कों पर उड़ती धूल, जगह जगह फैला कूड़ा और जुगाड़ जैसे वाहनों का संचालन है। दिल्ली रोड, गढ़ रोड पर बेतरतीब ढंग से चल रहे निर्माण कार्यों से गर्मी के मौसम में धूल के गुबार छाए रहे थे। हालांकि पिछले सालों की तुलना में वायु गुणवत्ता की स्थिति में मेरठ की स्थिति में इस बार सुधार देखा गया। इसमें मौसम की भूमिका भी महत्वपूर्ण रही है कि स्माग की स्थितियां तुलनात्मक रूप से कम बनी।
क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी भुवन प्रकाश ने बताया कि स्वच्छ वायु सर्वेक्षण की रैंकिंग में कूड़ा प्रबंधन और निस्तारण कालोनियों में साफ सफाई जैसे बिंदु शामिल होते हैं। कृषि अवशेष जलने की मामले भी इसमें दर्ज होते हैं। जहां तक औद्योगिक इकाइयों के प्रदूषण की बात है तो मानकों के उल्लंघन का कोई मामला नहीं है।
यह बिंदु शामिल किए जाते हैं सर्वेक्षण में
- - सड़कों के दोनों कच्चे भाग से धूल न उड़े इसका प्रबंधन
- - मशीनों का सफाई कार्य में प्रयोग
- - बायो मेडिकल वेस्ट प्रबंधन
- - सोलिड वेस्ट मैनेजमेंट
- - डंपिंग ग्राउंड के आसपास नगर वाटिका निर्माण
- - मियावाकी विधि से पौधारोपण, ग्रीन बेल्ट का विकास
- - उद्योगों के लिए स्वच्छ ईंधन की व्यवस्था
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