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    दीपावली मना रहे हैं तो घर पर ये चीज जरूर रखें, एक्सपर्ट भी बोले- बहुत काम आएगी

    Updated: Sat, 18 Oct 2025 05:48 PM (IST)

    दीपावली पर पटाखे जलाते समय सावधानी बरतें। दुर्घटना से बचने के लिए घर पर फर्स्ट एड बाक्स तैयार रखें, जिसमें आवश्यक दवाएं और उपकरण हों। विशेषज्ञ चिकित्सकों के अनुसार, पटाखे जलाने से बचें और ग्रीन पटाखे जलाएं। कानों और आँखों की सुरक्षा के लिए उचित उपाय करें। किसी भी आपात स्थिति में मेडिकल कालेज और जिला अस्पताल में संपर्क करें।

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    जागरण संवाददाता, मेरठ। दीपावली की खुशी परिवार के साथ मनाएं। अक्सर पटाखे, फुलझड़ी, अनार जलाते समय दुर्घटनाएं हो जाती हैं। अचानक ऐसी स्थिति उत्पन्न होने पर लोग परेशान हो जाते हैं। ऐसे में पहले से घर पर एक फर्स्ट एड बाक्स तैयार कर लें। जिसमें एंटी सेप्टिक क्रीम, पेन किलर, घाव साफ करने का लोशन, पेन किलर टेबलेट्स, साफ पट्टी, रुई, छोटी कैंची और ग्लब्स जरूर रखें। ताकि हल्की-फुल्की चोट या जलने की स्थिति में इन चीजों का उपयोग प्राथमिक उपचार के तौर पर कर सकें। इसके साथ ही विशेषज्ञ चिकित्सकों की सलाह है कि पटाखे जीवन भर के लिए जख्म दे सकते हैं। ऐसे में पटाखे जलाने से बचें। यदि जलाना ही है तो ग्रीन पटाखे जलाएं। कान, आंख, हाथ और त्वचा को नुकसान पहुंचाते हैं।

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    कान पर लगाएं इयर प्लग


    -कानों के लिए 70 डेसिबल से कम आवाज वाले पटाखे जलाएं। इससे अधिक आवाज के पटाखे कानों को सुन्न कर सकते हैं।
    -100 डेसिबल से अधिक आवाज के पटाखों से कान का पर्दा फटने का डर रहता है।
    -अधिक आवाज से कान में सीटी बजने लगती है। ये लंबे समय तक परेशान कर सकती है।
    -तेज आवाज के कान की नसें खराब होने का खतरा है। इससे सुनाई देना बंद हो सकता है।

    बचाव के लिए इयर प्लग या इयर मफ पहनें। पटाखों से सुरक्षित दूरी बनाकर रखें। शोरगुल से बचें। कान में सन्न की आवाज होने लगे तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें। -डा.सुमित उपाध्याय, ईएनटी विशेषज्ञ।

    त्वचा जले तो ठंडे पानी से धोएं:

    -डा. शिशिर गुप्ता, त्वचा रोग विशेषज्ञ के अनुसार, पटाखा हाथ में फट जाए या चोट लग जाए तो साबुन न लगाएं। ठंडे पानी से हाथ धोएं।
    -सोफ्रामाइसीन क्रीम लगाएं। थोड़ा जला होने पर ठीक हो जाएगा। ज्यादा डैमेज होने पर डाक्टर को दिखाएं।
    -सोराइसिस या एग्जिमा है, हाथों की एलर्जी है तो बारूद ट्रिगर का काम करेगा। ऐसे लोग पटाखे न जलाएं।
    -कपड़े ऐसे न पहने जो आग पकड़ते हों। बारूद के सीधे संपर्क से एलर्जी व फफोले पड़ सकते हैं। 

    आंखों पर चश्मा, घर पर रखें लूब्रीकेंट ड्राप

    -पटाखों से वायु प्रदूषण बढ़ने पर आंखों में जलन होती है। ऐसी स्थिति में आंख को मले नहीं। लूब्रीकेंट आई ड्राप डालें।
    -फुलझड़ी, पटाखों से आंख जलने,पुतली फटने का डर रहता है। इनको जलाते समय जीरो पावर का चश्मा जरूर लगाएं।
    -राकेट छोड़ते वक्त आंख में ज्वलनशील पदार्थ गिर जाते हैं। इस दौरान भी आंख की सुरक्षा के लिए चश्मा लगाएं।
    -घर में एंटी बायोटिक ड्राप, लूब्रीकेंट जेल जरूर रखें। घटना होने पर प्राथमिक उपचार के तौर पर उपयोग करें।/Bडा. संदीप मित्थल , वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ।

    पटाखे जलाते समय रखें ये सावधानी

    -घर के अंदर पटाखे न जलाएं, खुले स्थान पर जलाएं।
    -मटके और कांच की बोतलों में रखकर पटाखे न चलाएं। इससे मटके या कांच के कण आंख या शरीर में लग सकते हैं।
    -भीड़ वाले क्षेत्र में पटाखे नहीं चलाएं। पटाखा यदि न फूटे तो तुरंत नजदीक न जाएं, इंतजार करें।
    -आतिशबाजी करते समय या दीये वगैरह जलाते समय काटन के ढीले-ढाले कपड़े ही पहनें।
    -जहां पटाखे चला रहे हैं, आसपास बाल्टी में पानी भरकर रख लें।
    -बच्चों से राकेट अनार वगैरह न चलवाएं। फुलझड़ी जब बच्चे चलाएं तो उनके साथ रहें।
    -पटाखा जलाते समय बच्चों के साथ कोई वयस्क व्यक्ति जरूर रहें।
    -तंग गलियों या छतों से पटाखा न छोड़ें। खुले स्थान पर आतिशबाजी करें।
    -आतिशबाजी करते वक्त एक बाल्टी पानी पास में जरूर रखें।
    -घी और तेल के दीपक जलाएं। लेकिन इनके आसपास कपड़े या ज्वलनशील पदार्थ न रखें।
    -दुकानों में पूजा-पाठ के बाद दीपक, अगरबत्ती और मोमबत्ती जलते हुए न छोड़कर जाएं।
    -झालर लगाते समय तार जहां जोड़े वहां टेप जरूर लगा दें। खुला न छोड़े।

    ऐसे बुझाएं आग


    -कपड़ों में आग लगे तो ऊनी कंबल, बोरी से लपेटकर, जमीन पर लेटकर आग बुझाने का प्रयास करें।
    -लकड़ी से लगी आग को पानी, मिट्टी और रेत से बुझा सकते हैं।
    -तेल से लगी आग को बुझाने के लिए फोम अग्निशामक यंत्र और सीओ-2 का प्रयोग करें।
    -गैस से लगी आग के लिए पानी और ड्राई पाउडर का प्रयोग करें।

    मेडिकल कालेज में बर्न यूनिट और इमरजेंसी अलर्ट पर

    दीपावली के पर्व पर लाला लाजपत राय मेडिकल कालेज की इमरजेंसी में 20 बेड को अलग से सुरक्षित कर दिया गया है। बेड पूरी सुविधाएं जैसे वेंटीलेटर, आक्सीजन मानीटर सहित सभी इमरजेंसी की दवाएं भी उपलब्ध हैं। डाक्टर ,स्टाफ नर्स व पैरामेडिकल स्टाफ की अलग से ड्यूटी लगाई गई है। वहीं बर्न यूनिट में कुल 20 बेड हैं। जिसमें छह आईसीयू और 14 सामान्य श्रेणी के बेड हैं। यह बर्न यूनिट लिफ्ट के साथ पूरी तरीके से तैयार है। इसी तरह पीएल शर्मा जिला अस्पताल की इमरजेंसी में भी 20 बेड सुरक्षित हैं। दीपावली पर डाक्टर, नर्सिंग स्टाफ मौजूद रहेंगे।

    जरूरत पर इन नंबरों पर दें सूचना

    मेडिकल कालेज:--121-297 6264/B/Bपीएल शर्मा जिला अस्पताल:---9410609434/B