आपके घर में बंदर घुस आए तो भगवान भरोसे रहिए... यूपी के इस जिले में सब सो रहे हैं
Meerut News : मेरठ के एक अपार्टमेंट में बंदर घुसने से दहशत फैल गई। वन विभाग और नगर निगम ने बंदर पकड़ने से इन्कार कर दिया, जिससे निवासी परेशान रहे। बाद में, डीएम के आदेश पर एक निजी टीम ने बंदर को बचाया और उसे पशु अस्पताल ले जाया गया। अधिकारियों ने भविष्य में ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए बैठक करने की बात कही है।

आपके घर में बंदर घुस आए तो भगवान भरोसे रहिए (फाइल फोटो)
जागरण संवाददाता, मेरठ। साकेत कालोनी के सनव्यू अपार्टमेंट में शुक्रवार को उस समय अफरा-तफरी मच गई जब सीढ़ियों पर अचानक से दहाड़ मारता हुआ एक बंदर पहुंच गया। बच्चे डर के मारे घरों में घुस गए। बड़े भी एक बार को दहशत में आ गए।
अपार्टमेंट के लोगों ने पहले वन विभाग को फोन किया और फिर नगर निगम को, लेकिन दोनों ने मदद करने से साफ इन्कार कर दिया। वन विभाग ने कहा कि बंदर वन्य जीव नहीं है। इसे हम नहीं पकड़ सकते। नगर निगम ने भी अपना पल्ला छाड़ लिया। इस तरह अपार्टमेंट के लोग करीब 10 घंटे दहशत में रहे। इस घटना से स्पष्ट है कि यदि किसी के घर में बंदर घुस जाए तो बचाने के लिए कोई नहीं आएगा। सब भगवान भरोसे रहेगा।
सनव्यू अपार्टमेंट में लगभग 35 परिवार रहते हैं। इन परिवारों के 20 से अधिक बच्चे अपार्टमेंट के छोटे पार्क में खेलते हैं तो कुछ अपने घरों के बाहर। शुक्रवार की सुबह करीब नौ बजे जब बंदर आया तो बच्चे अपने घरों में कैद हो गए, क्योंकि बंदर अपार्टमेंट की सीढ़ियों पर बैठ गया। जिस कारण लोगों के आने जाने का रास्ता रुक गया।
अपार्टमेंट निवासी विकास शर्मा ने बताया कि उन्होंने डीएफओ वंदना फोगाट को सबसे पहले फोन किया, लेकिन उन्होंने कहा कि बंदर को पकड़ने का काम उनका नहीं है। यह वन्य जीव नहीं है। इसके बाद नगर निगम को फोन किया गया, लेकिन नगर निगम ने भी बंदर को पकड़ने के लिए मना कर दिया।
कुल मिलाकर पूरे दिन अपार्टमेंट में रहने वाले परिवार दहशत में रहे, लेकिन अधिकारी पल्ला झाड़ते रहे। देर रात करीब नौ बजे डीएम डा. वीके सिंह के आदेश पर नगर निगम की टीम मौके पर पहुंची, लेकिन जब तक कालोनी के लोगों ने तेजेन्द्र सिह की टीम को बुलाया और उन्होंने जाल के माध्यम से बंदर को रेस्क्यू किया। जिसके बाद उसे पशु अस्पताल सूरजकुंड ले जाया गया।
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बंदर घायल था, किसी को नहीं पहुंचाया नुकसान
विकास ने बताया कि बंदर घायल था। वह एक कोने में बैठ गया, लेकिन जब भी उसके पास कोई जाता था तो वह काटने के लिए दौड़ता था। इसलिए कोई उसके पास नहीं गया।
इन्होंने कहा...
प्रभागीय निदेशक वानिकी वंदना फोगाट ने कहा कि बंदर को पकड़ने का काम वन विभाग का नहीं है। यह वन्य जीव नहीं है। यदि वन्य जीव होता तो हमारी टीम जाती और बंदर को पकड़कर वन क्षेत्र में छोड़ती।
नगर निगम के नगर आयुक्त सौरभ गंगवार ने कहा कि बंदर पकड़ने के लिए अभी निगम के पास संसाधन नहीं हैं। वैसे भी घायल बंदर के इलाज का काम पशु चिकित्सा विभाग का है।
डीएम डा. वीके सिंह ने कहा कि नगर निगम और वन विभाग की टीम को मौके पर भेजा गया। उससे पहले ही एक निजी टीम ने बंदर को जाल के माध्यम से रेस्क्यू किया। पशु अस्पताल सूरजकुंड पर बंदर का इलाज चल रहा है। शीघ्र इस प्रकरण को लेकर दोनों विभागों की एक बैठक भी होगी, ताकि ऐसी व्यवस्था बने कि भविष्य में इस तरह का प्रकरण संज्ञान में आए तो तत्काल कार्रवाई हो सके।
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