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    यूपी के इस RTO में मौत के डेढ़ साल बाद व्यापारी ने कैसे कर दिए साइन ? कार दूसरे के नाम हो गई ट्रांसफर, हंगामा

    Updated: Wed, 27 Aug 2025 04:36 PM (IST)

    Meerut News मेरठ के संभागीय परिवहन विभाग में एक नया फर्जीवाड़ा सामने आया है जिसमें डेढ़ साल पहले दिवंगत ट्रांसपोर्ट व्यापारी की कार को दूसरे के नाम पर स्थानांतरित कर दिया गया। मेरठ ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन ने शिकायत दर्ज कराई है क्योंकि व्यापारी की मृत्यु के बाद उनके हस्ताक्षर कैसे हो सकते हैं।

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    कार ट्रांसफर मामले को लेकर मेरठ आरटीओ पहुंचे व्यापारी। जागरण

    जागरण संवाददाता, मेरठ। संभागीय परिवहन विभाग में फर्जीवाड़े का नया मामला सामने आया है। डेढ़ साल पहले दिवंगत ट्रांसपोर्ट व्यापारी की कार दूसरे के नाम स्थानांतरित कर दी गई। बुधवार को मौके पर पहुंचे मेरठ ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने संबंधित अधिकारी और बाबू से शिकायत की। उन्होंने बताया कि दिवंगत व्यापारी ने स्वयं कार्यालय आ कर प्रपत्रों पर हस्ताक्षर किए जिसके बाद वाहन स्थानांतरित किया गया। सवाल यह है कि जिस व्यापारी की मौत डेढ़ साल पहले हो गई है वह एक माह आ कर कैसे हस्ताक्षर कर सकता है। अधिकारियों ने मामले में जांच कराने की बात कही है।

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    यह है मामला

    शास्त्रीनगर आरटीओ कार्यालय में पहले भी फर्जी तरीके वाहनों को दूसरे के नाम से स्थानांतरित करने के मामले आते रहे हैं। मेरठ ट्रांसपोर्ट ऐसोसिएशन के अध्यक्ष गौरव शर्मा ने बताया कि माधवपुरम निवासी विपुल देव शर्मा के पिता पुरुषोत्तम शर्मा का निधन डेढ़ वर्ष पहले हो चुका है। पुरुषोत्तम शर्मा के नाम एक वैगन कार है जिसे बेचने के लिए उन्होंने एक डीलर के यहां खड़ा किया था। कुछ समय बाद में कार बेचने का विचार त्याग दिया। जब डीलर से कार वापस मांगी तो वह आनाकानी करने लगा। 

    परिवहन एप पर चेक करने पर खुली पोल

    बाद में परिवहन एप पर चेक किया तो पता लगा कि 24 जुलाई को दिवंगत पुरुषोत्तम शर्मा के नाम से कार दूसरे के नाम स्थानांरित कर दी गई है, जबकि दिवंगत वाहन स्वामी की कार उसके परिवार जनों की सहमति और औपचारिकता पूरी किए बिना नहीं बेची जा सकती।

    गौरव शर्मा ने बताया कि बुधवार को जब एआरटीओ प्रशासन युतिका सिंह से मिलने पहुंचे तो वह कार्यालय से चली गईं। वहीं बाबू ने अभद्रता की।

    मृत्यु प्रमाण पत्र देख अधिकारियों व कर्मियों के पैरों तले खिसकी जमीन 

    बाबू का कहना था कि फाइल पर पुरुषोत्तम शर्मा के हस्ताक्षर हैं जो उन्होंने स्वयं कार्यालय आ कर किए हैं। विपुल ने जब पिता का मृत्यु प्रमाण पत्र दिखाया तो वहां मौजूद अधिकारियों और कर्मचारियों के पैरों तले जमीन खिसक गई। इसके बाद आरटीओ प्रवर्तन आरके सिंह को पूरे मामले से अवगत कराया। आरटीओ प्रवर्तन आरके सिंह ने बताया कि पूरे मामले की जांच कराई जा रही है। दोषी कर्मचारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।