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    मुजफ्फरनगर : शुकतीर्थ में शिक्षा ऋषि ने 1945 में शुरू किया था गंगा मेला, 1958 में पंडित नेहरू का भी हुआ था आगमन

    By Parveen VashishtaEdited By:
    Updated: Wed, 17 Nov 2021 06:00 AM (IST)

    शुकदेव पीठ के पीठाधीश्वर स्वामी ओमानंद महाराज के अनुसार वर्ष 1945 में शिक्षा ऋषि ब्रह्मलीन स्वामी कल्याणदेव जी महाराज ने श्रीशुकदेव आश्रम सेवा समिति गठित कर भागवत जन्मभूमि में कार्तिक पूर्णिमा गंगा स्नान मेला की परंपरा प्रारंभ की थी।

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    शुकतीर्थ में शिक्षा ऋषि कल्याणदेव महाराज ने 1945 में शुरू किया था गंगा मेला

    मुजफ्फरनगर, जागरण संवाददाता। हिंदू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा गंगा स्नान को सबसे अधिक फलदायी माना गया है। इसी की महत्ता को देखते हुए शिक्षा ऋषि वीतराग स्वामी कल्याणदेव महाराज ने तीर्थनगरी शुकतीर्थ में कार्तिक गंगा स्नान मेला की शुरुआत की थी। इसमें प्रति वर्ष दूरदराज क्षेत्रों से लाखों श्रद्धालु गंगाजी में पुण्य की डुबकी लगाने के लिए पहुंचते हैं। 26 नवंबर, 1958 को तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू भी गंगा मेला में आए थे।

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    सर्वप्रथम मेला संयोजक बने थे लाला इंद्रप्रकाश, तुलाराम, जयप्रकाश और जगत प्रकाश

    शुकदेव पीठ के पीठाधीश्वर स्वामी ओमानंद महाराज ने बताया कि वर्ष 1945 में शिक्षा ऋषि ब्रह्मलीन स्वामी कल्याणदेवजी महाराज ने श्रीशुकदेव आश्रम सेवा समिति गठित कर भागवत जन्मभूमि में कार्तिक पूर्णिमा गंगा स्नान मेला की परंपरा प्रारंभ कर दी। सर्वप्रथम मेला का संयोजक लाला इंद्रप्रकाश, तुलाराम, जयप्रकाश और जगत प्रकाश को बनाया था, तभी से नगरी में यह सबसे बड़ा पांच दिन का मेला लगता है। मेला में श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए स्वामी कल्याणदेवजी ने गंगा स्नान मेला का प्रबंध जिला पंचायत को सौंप दिया।

    गंगा किनारे लगा था ऊंचा मंच

    जनपद जाट महासभा के सरंक्षक शिक्षाविद् महावीर सिंह राठी बताते हैं कि गंगा किनारे रेत के मैदान में ऊंचा मंच लगा था, जिस पर स्वामी कल्याणदेव और पंडित नेहरू विराजमान थे।