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    New GST Rates : खेलों का सामान होगा सस्ता, खूब खेलेंगे खिलाड़ी, बढ़ेगा उत्पादन, मेरठ है स्पोर्ट्स सिटी

    Updated: Fri, 05 Sep 2025 05:54 PM (IST)

    Meerut News मेरठ के खेल उद्योग के लिए खुशखबरी है। अधिकांश खेल सामग्री पर लगने वाले जीएसटी को घटाकर पांच प्रतिशत कर दिया गया है। पहले यह दर 12 प्रतिशत या इससे अधिक थी। इस फैसले से फुटबाल क्रिकेट बास्केटबाल और जिम के उपकरण सस्ते होंगे। शाटपुट हैमर जेवलिन वेटलिफ्टिंग आदि पर पहले भी 18 प्रतिशत जीएसटी था। अब भी 18 प्रतिशत ही है।

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    खेल सामग्री पर अब सिर्फ 5 प्रतिशत जीएसटी, बढ़ेगा उत्पादन

    जागरण संवाददाता,मेरठ। New GST Rates : सरकार ने खेल सामग्री को दो श्रेणी में बांटते हुए जीएसटी की दोनों स्लैब में रखा है। सामान्य खेल सामग्री जैसे बल्ला, गेंद, बैडमिंटन, बास्केटबाल, फुटबाल आदि पर GST 12 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत स्लैब में कर दिया है। ये खेल सामग्री सीधे खिलाड़ी खरीदते हैं और इसकी अधिक मांग होती है, इसलिए इसे सामान्य श्रेणी में रखते हुए पांच प्रतिशत में कर दिया गया है।

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    एथलेटिक्स खेलों के सामान सामान्य तौर पर खिलाड़ी नहीं खरीदते हैं। इसे स्टेडियम, प्रशिक्षण संस्थान या सरकारी खरीद के तहत खरीदा जाता है। इसमें शाटपुट, हैमर, जेवलिन, वेटलिफ्टिंग आदि शामिल हैं। इस पर पहले भी 18 प्रतिशत जीएसटी था और अभी भी 18 प्रतिशत में ही रखा गया है। 

    भल्ला इंटरनेशनल के निदेशक शेखर भल्ला का कहना है कि जीएसटी स्लैब को लेकर बुधवार रात से लेकर गुरुवार दोपहर तक स्थिति स्पष्ट नहीं थी। माना जा रहा था कि सभी खेल सामग्री पांच प्रतिशत में रखी गईं हैं, लेकिन अब इसकी स्थिति स्पष्ट हो गई है। सामान्य खेल उत्पादों को पांच प्रतिशत में रखा गया है।

    उन्होंने बताया कि एथलेटिक्स महंगे खेल में आता है, इसलिए इसके खिलाड़ी या तो कहीं स्टेडियम या संस्थान में अभ्यास करते हैं। वहीं की खेल सामग्री उपयोग करते हैं या फिर कंपनियों से स्पांसर के माध्यम से लेते हैं।

    खिलाड़ी इन खेलों के सामान की सीधी खरीद कम ही करते हैं। खेल सामग्री एवं खिलौना निर्यात संवर्धन परिषद के वाइस चेयरमैन अंबर आनंद का कहना है कि परिषद ने सभी खेल सामग्रियों को 18 प्रतिशत में ही रखने की मांग की थी, क्योंकि जीएसटी रिफंड सबसे बड़ी समस्या होती है।

    इससे यह होगा लाभ

    -खेल सामग्री 7–12 प्रतिशत तक सस्ती हो जाएगी।

    -घरेलू बाजार में मांग बढ़ेगी, खासकर स्कूल-कॉलेजों और अकादमियों से।

    -अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय उत्पादों की प्रतिस्पर्धा क्षमता मज़बूत होगी।

    -फिटनेस और खेल संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा।

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