शोले फिल्म के चलते मेनका सिनेमा ने छोड़ दी थी धर्मवीर, मेरठ में भी 52 सप्ताह चलने का फिल्म ने बनाया था अनूठा रिकॉर्ड
राजेंद्र शर्मा की रिपोर्ट के अनुसार फिल्म शोले 15 अगस्त 1975 को मेरठ के दो सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी। फिल्म की सफलता के चलते मेनका सिनेमा ने धर्मवीर को छोड़ दिया था। फिल्म के डायलॉग लोगों की जुबान पर चढ़ गए थे। यह फिल्म मेनका सिनेमा में 52 सप्ताह तक चली थी। 1975 में ओडियन सिनेमा खुला और नटराज सिनेमा भी शुरू हुआ।

राजेंद्र शर्मा, मेरठ। सिने जगत में सफलता का एक अनूठा रिकॉर्ड बनाने वाली फिल्म शोले 15 अगस्त 1975 को मेरठ में भी एक साथ दो सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी। इसकी रिलीज को मेरठ में भी शुक्रवार को पूरे 50 साल हो रहे हैं। शोले फिल्म की सफलता के चलते मेनका सिनेमा ने दूसरी सुपरहिट फिल्म धर्मवीर को भी छोड़ दिया था, तब धर्मवीर शहर के ही दूसरे प्रमुख सिनेमा हाल अप्सरा में चली थी।
ओडियन सिनेमा के लिए बुक हुई थी फिल्म शोले
मेरठ में शोले फिल्म ओडियन सिनेमा हाल के लिए बुक हुई थी। एक सप्ताह यह मेनका व ओडियन दोनों सिनेमा में साथ-साथ चली थी। इसके बाद फिर यह मेनका सिनेमा में ही चली थी।
नया बना था ओडियन सिनेमा
शहर का ओडियन सिनेमा उस समय 15 जनवरी 1975 को नया बना था। दूसरी खासियत यह थी कि ओडियन सिनेमा में 4 ट्रैक साउंड सिस्टम चलता था। वहीं, ओडियन यूपी का पहला ऐसा सिनेमा था, जिसमें 4 ट्रैक साउंड की शुरुआत कर दी थी। इस कारण इसकी यहां बुकिंग हुई थी। ओडियन सिनेमा की शुरुआत फिल्म पाकेटमार से हुई थी। वहीं, उस समय राजश्री प्रोडक्शन की पहली पसंद मेनका सिनेमा था। आरती, राजा और रंग समेत तमाम फिल्में मेनका पर लगी थी।
फिल्म के रिलीज होते ही जुबान पर चढ़ गए थे डॉयलाग
मेरठ में फिल्म शोले चलने के बाद यहां भी लोगों की जबान पर उसके डायलाग चढ़ गए थे। वहीं, उस दौर में कई म्यूजिक कंपनियों ने फिल्म के गानों के बजाय उसके डायलाग के कैसेट जारी किए थे। जिसकी मेरठ में भी बिक्री खूब हुई थी।
मेनका सिनेमा में यह फिल्म पूरे 52 सप्ताह चली थी
मेरठ में भी फिल्म ने इतिहास रच दिया था। यह फिल्म पूरे 52 सप्ताह मेनका सिनेमा में चली थी। देशभर के तमाम सिनेमा की तरह मेरठ में भी लगातार 52 सप्ताह चलने का एक नया रिकार्ड बनाया था।
मेरठ के लिए खास रहा 1975 का साल
मेरठ सिनेमा एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष अजय गुप्ता बताते हैं कि 1975 का साल सिनेमा के लिए खास रहा है। गत 15 जनवरी 1975 को ओडियन सिनेमा की ओपनिंग हुई थी। पहली फिल्म पाकेटमार चली थी। जिसमें 70 एमएम का तब स्क्रीन था, जबकि सामान्य स्क्रीन उस समय 35 एमएम के हुआ करते थे। वहीं, शहर का एक और प्रमुख सिनेमा नटराज भी 15 अगस्त 1975 को शुरू हुआ था, जिसमें पहली फिल्म रानी और लालपरी लगी थी, जिसमें फिरोज खान व संजय खान ने अभिनय किया था।
1960 में शुरू हुआ था मेनका सिनेमा
शहर के घंटाघर स्थित व कालजयी फिल्म शोले को सुपरहिट करने में अहम भूमिका निभाने वाले मेनका सिनेमा के मालिक बाल स्वरूप जैन के पुत्र आलोक जैन बताते हैं कि मेनका सिनेमा 1960 में बना था। पहली फिल्म आरती लगी थी, जिसमें कलाकार अशोक कुमार व मीना कुमारी ने प्रमुख भूमिका निभाई थी। वहीं, राजा और रंक समेत कई फिल्में इस सिनेमा हाल से हिट होने के बाद गई है। राजश्री प्रोडक्शन का मेनका सिनेमा पहली पसंद होता था। इस प्रोडक्शन की हर फिल्म यहां पर रिलीज होती थी। वहीं, मेनका सिनेमा में आखिरी फिल्म गदर रही।
वहीं, यह रास्ते हैं प्यार के फिल्म भी सिनेमा हाल में लगी थी। इस फिल्म मैं अभिनय करने वाले कलाकार मोती लाल इस दौरान मेनका सिनेमा पर भी आए थे। उनका कहना है कि फिल्म शोले के लिए उन्होंने धर्मवीर फिल्म छोड़ दी थी। यह फिल्म पास के ही दूसरे प्रमुख सिनेमा हाल अप्सरा में चली थी।
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